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रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) |
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*मैंने प्रसन्न होकर भक्ति भाव से भगवान श्रीकृष्ण के उस ईश्वरीय रूप का जो दर्शन किया, वह सब मुझे आज भी अच्छी तरह स्मरण है। मैंने उन्हें प्रत्यक्ष की भाँति जान लिया था। (25) | *मैंने प्रसन्न होकर भक्ति भाव से भगवान श्रीकृष्ण के उस ईश्वरीय रूप का जो दर्शन किया, वह सब मुझे आज भी अच्छी तरह स्मरण है। मैंने उन्हें प्रत्यक्ष की भाँति जान लिया था। (25) | ||
*संजय! बुद्धि और पराक्रम से युक्त [[हृषीकेश|भगवान हृषीकेश]] के कर्मों का अन्त नहीं जाना जा सकता। (26) | *संजय! बुद्धि और पराक्रम से युक्त [[हृषीकेश|भगवान हृषीकेश]] के कर्मों का अन्त नहीं जाना जा सकता। (26) | ||
− | *यदि [[गद]], [[सांब|साम्ब]], [[प्रद्युम्न]], [[विदूरथ]], [[अगावह]], [[अनिरुद्ध]], [[चारुदेष्ण |चारूदेष्ण]], [[सारण]], [[उल्मुक]], [[निशठ]], झिल्ली, पराक्रमी [[बभ्रु (यादव)|बभ्रु]], [[पृथु (यादव) |पृथु]], [[विपृथु]], [[शमीक (यादव) |शमीक]] तथा [[अरिमेजय]]- ये तथा दूसरे भी बलवान एवं प्रहार कुशल [[वृष्णिवंशी]] योध्दा वृष्णिवंश के प्रमुख वीर महात्मा [[केशव]] के बुलाने पर [[पाण्डव सेना]] में आ जायँ और समरभूमि में खड़े हो जायँ तो हमारा सारा उद्योग संशय मे पड़ जाय; ऐसा मेरा विश्वास है। (27-30) | + | *यदि [[गद]], [[सांब|साम्ब]], [[प्रद्युम्न]], [[विदूरथ]], [[अगावह]], [[अनिरुद्ध]], [[चारुदेष्ण |चारूदेष्ण]], [[सारण]], [[उल्मुक]], [[निशठ]], झिल्ली, पराक्रमी [[बभ्रु (यादव)|बभ्रु]], [[पृथु (यादव) |पृथु]], [[विपृथु]], [[शमीक (यादव) |शमीक]] तथा [[अरिमेजय]]- ये तथा दूसरे भी बलवान एवं प्रहार कुशल [[वृष्णि वंश |वृष्णिवंशी]] योध्दा वृष्णिवंश के प्रमुख वीर महात्मा [[केशव]] के बुलाने पर [[पाण्डव सेना]] में आ जायँ और समरभूमि में खड़े हो जायँ तो हमारा सारा उद्योग संशय मे पड़ जाय; ऐसा मेरा विश्वास है। (27-30) |
*[[वनमाला]] और [[हल]] धारण करने वाले [[बलराम|वीर बलराम]] कैलास-शिखर के समान गौरवर्ण हैं। उनमें दस हजार हाथियों का बल है। वे भी उसी पक्ष में रहेंगे, जहाँ श्रीकृष्ण हैं। (31) | *[[वनमाला]] और [[हल]] धारण करने वाले [[बलराम|वीर बलराम]] कैलास-शिखर के समान गौरवर्ण हैं। उनमें दस हजार हाथियों का बल है। वे भी उसी पक्ष में रहेंगे, जहाँ श्रीकृष्ण हैं। (31) | ||
*संजय! जिन [[वासुदेव (कृष्ण)|भगवान वासुदेव]] को द्विजगण सबका पिता बताते हैं, क्या वे [[पाण्डव|पाण्डवों]] के लिये स्वयं युद्ध करेंगे? (32) | *संजय! जिन [[वासुदेव (कृष्ण)|भगवान वासुदेव]] को द्विजगण सबका पिता बताते हैं, क्या वे [[पाण्डव|पाण्डवों]] के लिये स्वयं युद्ध करेंगे? (32) |
13:50, 28 अप्रॅल 2016 का अवतरण
ekadash (11) adhyay: dron parv ( dronabhishek parv)
is prakar shrimahabharat dron parv ke anhtargat dronabhishek parv mean dhritarashhtr vilap vishayak ghyarahavaan adhhyay poora hua.
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tika tippani aur sandarbh
sanbandhit lekh
varnamala kramanusar lekh khoj