सभी पृष्ठ | पिछला पृष्ठ (हित हरिवंश गोस्वामी -ललिताचरण गोस्वामी पृ. 433) |
- ‘कहौ पितु मोसौं सोइ सतिभाव -सूरदास
- ‘काम’ रहेगा, तब तक होंगें ‘पाप' -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- ‘काया’ मैं न, ‘जीव’ तुम हो नहिं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- ‘काया’ मैं न, ‘जीव’ तुम हो नहीं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- ‘हम तैं बिदुर कहा है नीकौं -सूरदास
- ’भगवत्ता’ से रहित नहीं माना -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- ’भोगों में सुख है’-इस भारी भ्रम को हर लो -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- ’लालन ! देखु आयौ काग -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- “हरि, तुम क्यौं न हमारैं आए -सूरदास
- ”सुनि राजा दुर्जोधन -सूरदास