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रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) छो (रिंकू बघेल ने महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 10 श्लोक 1-26 पृष्ठ महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 10 श्लोक 1-18 प...) |
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*जो मेघ के समान श्याम वर्ण वाले परम पराक्रमी महारथी [[अर्जुन]] विद्युत की उत्पत्ति करते हुए बादलों के समान भयंकर वज्रास्त्र का प्रयोग करते हैं, जो जल की वर्षा करने वाले [[इन्द्र]] के समान बाण समूहों की वृष्टि करते हैं तथा जो अपने [[धनुष]] की टंकार और [[रथ]] के पहिये की घरघराहट से सम्पूर्ण दिशाओं को शब्दायमान कर देते हैं, वे स्वयं भयंकर मेघ स्वरूप जान पड़ते हैं। धनुष ही उनके समीप विधुत्प्रभा के समान प्रकाशित होता है। रथियों की सेना उनकी फैली हुई घटाएँ जान पड़ती है। रथ के पहियों की घरघराहट मेघ गर्जना के समान प्रतीत होती है। उनके [[बाण अस्त्र|बाणों]] की सनसनाहट वर्षा के शब्द की भाँति अत्यन्त मनोहर लगती है। क्रोध रूपी [[वायु]] उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। वे मनोरथ की भाँति शीघ्रगामी और विपक्षियों के मर्म स्थलों को विदीर्ण कर डालने वाले हैं। बाण धारण करके वे बड़े भयानक प्रतीत होते और रक्त रूपी [[जल]] से सम्पूर्ण दिशाओं को आप्लावित करते हुए मनुष्यों की लाशों से धरती को पाट देते हैं। (15-18) | *जो मेघ के समान श्याम वर्ण वाले परम पराक्रमी महारथी [[अर्जुन]] विद्युत की उत्पत्ति करते हुए बादलों के समान भयंकर वज्रास्त्र का प्रयोग करते हैं, जो जल की वर्षा करने वाले [[इन्द्र]] के समान बाण समूहों की वृष्टि करते हैं तथा जो अपने [[धनुष]] की टंकार और [[रथ]] के पहिये की घरघराहट से सम्पूर्ण दिशाओं को शब्दायमान कर देते हैं, वे स्वयं भयंकर मेघ स्वरूप जान पड़ते हैं। धनुष ही उनके समीप विधुत्प्रभा के समान प्रकाशित होता है। रथियों की सेना उनकी फैली हुई घटाएँ जान पड़ती है। रथ के पहियों की घरघराहट मेघ गर्जना के समान प्रतीत होती है। उनके [[बाण अस्त्र|बाणों]] की सनसनाहट वर्षा के शब्द की भाँति अत्यन्त मनोहर लगती है। क्रोध रूपी [[वायु]] उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। वे मनोरथ की भाँति शीघ्रगामी और विपक्षियों के मर्म स्थलों को विदीर्ण कर डालने वाले हैं। बाण धारण करके वे बड़े भयानक प्रतीत होते और रक्त रूपी [[जल]] से सम्पूर्ण दिशाओं को आप्लावित करते हुए मनुष्यों की लाशों से धरती को पाट देते हैं। (15-18) | ||
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16:33, 26 अप्रॅल 2016 का अवतरण
dasham (10) adhyay: dron parv ( dronabhishek parv)
mahabharat: dron parv: dasham adhyay: shlok 1-26 ka hindi anuvad
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