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*उन्होंने रणक्षेत्र में [[अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], [[मगध]], [[काशि]], कोसल, [[वत्स (देश)|वत्स]], गर्ग, [[करूष]] तथा पौण्ड्र आदि देशों पर विजय पायी थी। (15) | *उन्होंने रणक्षेत्र में [[अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], [[मगध]], [[काशि]], कोसल, [[वत्स (देश)|वत्स]], गर्ग, [[करूष]] तथा पौण्ड्र आदि देशों पर विजय पायी थी। (15) | ||
*[[संजय]]! इसी प्रकार कमल नयन [[श्रीकृष्ण]] ने [[अवन्ती]], दक्षिण प्रान्त, पर्वतीय देश, [[दाशेरक]], काश्मीर, औरसिक, [[पिशाच (बहुविकल्पी)|पिशाच]], मुद्गल, [[काम्बोज]], [[वाटधान]], चोल, पाण्डय, [[त्रिगर्त]], [[मालव]], अत्यन्त दुर्जय [[दरद देश|दरद]] आदि देशों के योद्धाओं को तथा नाना दिशाओं से आये हुए खशों, शकों और अनुयायियों सहित [[कालयवन]] को भी जीत लिया। (16-18) | *[[संजय]]! इसी प्रकार कमल नयन [[श्रीकृष्ण]] ने [[अवन्ती]], दक्षिण प्रान्त, पर्वतीय देश, [[दाशेरक]], काश्मीर, औरसिक, [[पिशाच (बहुविकल्पी)|पिशाच]], मुद्गल, [[काम्बोज]], [[वाटधान]], चोल, पाण्डय, [[त्रिगर्त]], [[मालव]], अत्यन्त दुर्जय [[दरद देश|दरद]] आदि देशों के योद्धाओं को तथा नाना दिशाओं से आये हुए खशों, शकों और अनुयायियों सहित [[कालयवन]] को भी जीत लिया। (16-18) | ||
− | *पूर्वकाल में श्रीकृष्ण ने | + | *पूर्वकाल में श्रीकृष्ण ने जल-जन्तुओं से भरे हुए [[समुद्र]] में प्रवेश करके जल के भीतर निवास करने वाले [[वरुण]] [[देवता]] को युद्ध में परास्त किया। (19) |
*इसी प्रकार [[हृषीकेश]] ने [[पाताल]] निवासी पंचजन नामक दैत्य को युद्ध में मारकर दिव्य पंचजन्य [[शंख]] प्राप्त किया। (20) | *इसी प्रकार [[हृषीकेश]] ने [[पाताल]] निवासी पंचजन नामक दैत्य को युद्ध में मारकर दिव्य पंचजन्य [[शंख]] प्राप्त किया। (20) | ||
*[[खाण्डव वन]] में [[अर्जुन]] के साथ [[अग्निदेव]] को संतुष्ट करके महाबली श्रीकृष्ण ने दुर्धर्ष आग्नेय अस्त्र चक्र को प्राप्त किया था। (21) | *[[खाण्डव वन]] में [[अर्जुन]] के साथ [[अग्निदेव]] को संतुष्ट करके महाबली श्रीकृष्ण ने दुर्धर्ष आग्नेय अस्त्र चक्र को प्राप्त किया था। (21) |
13:16, 27 अप्रॅल 2016 का अवतरण
ekadash (11) adhyay: dron parv ( dronabhishek parv)
mahabharat: dron parv: ekadash adhyay: shlok 1-22 ka hindi anuvad
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tika tippani aur sandarbh
sanbandhit lekh
varnamala kramanusar lekh khoj