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रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) |
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<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: द्रोण पर्व: एकादश अध्याय: श्लोक 1-22 का हिन्दी अनुवाद</div> | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: द्रोण पर्व: एकादश अध्याय: श्लोक 1-22 का हिन्दी अनुवाद</div> | ||
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− | धृतराष्ट्र | + | ;धृतराष्ट्र का भगवान श्रीकृष्ण की संक्षिप्त लीलाओं का वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण और अर्जुन की महिमा बताना |
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+ | *[[धृतराष्ट्र]] बोले– [[संजय]]! वसुदेव नन्दन भगवान [[श्रीकृष्ण]] के दिव्य कर्मों का वर्णन सुनो। भगवान गोविन्द ने जो-जो कार्य किये हैं, वैसा दूसरा कोई पुरुष कदापि नहीं कर सकता। (1) | ||
+ | *संजय! बाल्यावस्था में ही जब कि वे गोपकुल में पल रहे थे, महात्मा श्रीकृष्ण ने अपनी भुजाओं के बल और पराक्रम को तीनों लोकों मे विख्यात कर दिया। (2) | ||
+ | *[[यमुना]] के तटवर्ती वन में उच्चै:श्रवा के समान बलशाली और [[वायु]] के समान वेगवान अश्वराज [[केशी]] रहता था। उसे श्रीकृष्ण ने मार डाला। (3) | ||
+ | *इसी प्रकार एक भयंकर कर्म करने वाला दानव वहाँ बैल का रूप धारण करके रहता था, जो गौओं के लिये [[मृत्यु |मृत्यु]] के समान प्रकट हुआ था। उसे भी श्रीकृष्ण ने बाल्यावस्था में अपने हाथों से ही मार डाला। (4) | ||
+ | *तत्पश्चात कमल नयन श्रीकृष्ण ने [[प्रलम्बासुर|प्रलम्ब]], [[नरकासुर (बहुविकल्पी)|नरकासुर]], जम्भासुर, [[पीठ]] नामक महान असुर [[यमराज]] सदृश [[मुर]] का भी संहार किया। (5) | ||
+ | *इसी प्रकार श्रीकृष्ण ने पराक्रम करके ही [[जरासन्ध (बहुविकल्पी)|जरासंध]] के द्वारा सुरक्षित महातेजस्वी [[कंस]] को उसके गणों सहित रणभूमि मे मार गिराया। (6) | ||
+ | *शत्रु हन्ता श्रीकृष्ण ने [[बलराम]] जी के साथ जाकर युद्ध में पराक्रम दिखाने वाले, बलवान, वेगवान, सम्पूर्ण [[अक्षौहिणी]] सेनाओं के अधिपति, भोज राज कंस के मझले भाई [[शूरसेन जनपद|शूरसेन]] देश के राजा [[सुनामा]] को समर में सेना सहित दग्ध कर डाला। (7-8) | ||
+ | *पत्नी सहित श्रीकृष्ण ने परम क्रोधी ब्रह्मर्षि [[दुर्वासा]] की आराधना की। अत: उन्होंने प्रसन्न होकर उन्हें बहुत- से वर दिये। (9) | ||
+ | *कमल नयन वीर श्रीकृष्ण ने स्वयंवर में [[गान्धार]] राज की [[पुत्री]] को प्राप्त करके समस्त राजाओं को जीतकर उसके साथ विवाह किया। उस समय अच्छी जाति के घोड़ों की भाँति श्रीकृष्ण के वैवाहिक [[रथ]] में जुते हुए वे असहिष्णु राजा लोग कोड़ों की मार से घायल कर दिये गये थे। (10-11) | ||
+ | *जर्नादन श्रीकृष्ण ने समस्त अक्षौहिणी सेनाओं के अधिपति महाबाहु जरासंध को उपाय पूर्वक दूसरे योद्धा<ref>[[भीमसेन]]</ref> के द्वारा मरवा दिया। (12) | ||
+ | *बलवान श्रीकृष्ण ने राजाओं की सेना के अधिपति पराक्रमी [[चेदि]] राज [[शिशुपाल]] को अग्र पूजन के समय विवाद करने के कारण पशु की भाँति मार डाला। (13) | ||
+ | *तत्पश्चात [[माधव]] ने [[आकाश]] में स्थित रहने वाले सौम नामक दुर्घर्ष दैत्य-नगर को, जो राजा [[शाल्व]] द्वारा सुरक्षित था, [[समुद्र]] के बीच पराक्रम करके मार गिराया। (14) | ||
+ | *उन्होंने रणक्षेत्र में [[अंग]], [[वंग]], [[कलिंग]], [[मगध]], [[काशि]], कोसल, [[वत्स (देश)|वत्स]], गर्ग, [[करूष]] तथा पौण्ड्र आदि देशों पर विजय पायी थी। (15) | ||
+ | *[[संजय]]! इसी प्रकार कमल नयन [[श्रीकृष्ण]] ने [[अवन्ती]], दक्षिण प्रान्त, पर्वतीय देश, [[दाशेरक]], काश्मीर, औरसिक, [[पिशाच (बहुविकल्पी)|पिशाच]], मुद्गल, [[काम्बोज]], [[वाटधान]], चोल, पाण्डय, [[त्रिगर्त]], [[मालव]], अत्यन्त दुर्जय [[दरद देश|दरद]] आदि देशों के योद्धाओं को तथा नाना दिशाओं से आये हुए खशों, शकों और अनुयायियों सहित [[कालयवन]] को भी जीत लिया। (16-18) | ||
+ | *पूर्वकाल में श्रीकृष्ण ने [[जल]]-जन्तुओं से भरे हुए [[समुद्र]] में प्रवेश करके जल के भीतर निवास करने वाले [[वरुण]] [[देवता]] को युद्ध में परास्त किया। (19) | ||
+ | *इसी प्रकार [[हृषीकेश]] ने [[पाताल]] निवासी पंचजन नामक दैत्य को युद्ध में मारकर दिव्य पंचजन्य [[शंख]] प्राप्त किया। (20) | ||
+ | *[[खाण्डव वन]] में [[अर्जुन]] के साथ [[अग्निदेव]] को संतुष्ट करके महाबली श्रीकृष्ण ने दुर्धर्ष आग्नेय अस्त्र चक्र को प्राप्त किया था। (21) | ||
+ | *वीर श्रीकृष्ण [[गरुड़]] पर आरूढ़ हो [[अमरावती|अमरावती पुरी]] में जाकर वहाँ के निवासियों को भयभीत करके महेन्द्र भवन से [[पारिजात]] वृक्ष उठा ले आये। (22) | ||
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[[चित्र:Next.png|link=महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 11 श्लोक 23-51]] | [[चित्र:Next.png|link=महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 11 श्लोक 23-51]] |
13:12, 27 अप्रॅल 2016 का अवतरण
ekadash (11) adhyay: dron parv ( dronabhishek parv)
mahabharat: dron parv: ekadash adhyay: shlok 1-22 ka hindi anuvad
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tika tippani aur sandarbh
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