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[[चित्र:Prev.png|link=महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 8 श्लोक 1-19]] | [[चित्र:Prev.png|link=महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 8 श्लोक 1-19]] | ||
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− | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: द्रोण पर्व: अष्टम अध्याय: श्लोक 20-36 का हिन्दी अनुवाद</div> | + | ;<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">महाभारत: द्रोण पर्व: अष्टम अध्याय: श्लोक 20-36 का हिन्दी अनुवाद</div> |
− | द्रोणाचार्य के धनुष का वेग महान | + | *[[द्रोणाचार्य]] के [[धनुष]] का वेग महान था। उन्होंने [[अस्त्र |अस्त्रों]] द्वारा आग सी प्रज्वलित कर दी थी। [[पाण्डव]] और पांचाल सैनिक उनके पास पहुँचकर उन्हें रोकने की चेष्टा करने लगे। (20) |
+ | *द्रोणाचार्य ने हाथी, घोड़े और पैदलों सहित उन समस्त योद्धाओं को [[यमलोक]] पहुँचा दिया थोड़ी देर मे भूतल पर रक्त की कीच मचा दी। (21) | ||
+ | *द्रोणाचार्य ने निरन्तर [[बाण अस्त्र|बाणों]] की वर्षा और उत्तम अस्त्रों का विस्तार करके सम्पूर्ण दिशाओं में बाणों का जाल सा बुन दिया, जो स्पष्ट दिखलायी दे रहा था। (22) | ||
+ | *पैदल सैनिकों, रथियों, घुड़सवारों तथा हाथी सवारों में सब ओर विचरता हुआ उनका [[ध्वज |ध्वज]] बादलों में विघुत- सा दृष्टिगोचर हो रहा था। (23) | ||
+ | *पाँचों श्रेष्ठ केकय राजकुमारों तथा पांचाल राज [[द्रुपद]] को अपने बाणों से मथ कर उदार हृदय वाले द्रोणाचार्य ने हाथों में [[धनुष]] बाण लेकर [[युधिष्ठिर]] की सेना पर आक्रमण किया। (24) | ||
+ | *यह देख [[भीमसेन]], [[अर्जुन]], [[सात्यकि]], [[धृष्टद्युम्न |धृष्टद्युम्न]], [[शैव्य |शैब्य कुमार]], [[काशिराज]] तथा [[शिबि]] गर्जना करते हुए उनके ऊपर बाण-समूहों की वर्षा करने लगे। (25) | ||
+ | (इन सबके बाण द्रोणाचार्य के सायकों द्वारा छिन्न-भिन्न एवं निष्फल हो युद्ध स्थल में धरती पर लौटते दिखायी देने लगे, मानो नदियों के द्वीप में ढेर-के-ढेर कास अथवा सरकण्डे काटकर बिछा दिये गये हों।) | ||
+ | *द्रोणाचार्य ने धनुष से छुटे हुए सुवर्णमय विचित्र पंखों से युक्त बाण हाथी, घोड़े और युवकों के शरीर को छेदकर धरती में घुस गये। उस समय उनके पंख रक्त से रँग गये थे। (26) | ||
+ | *जैसे वर्षा काल के मेघों की घटा से आकाश आच्छादित हो जाता है, उसी प्रकार वहाँ बाणों से विदीर्ण होकर गिरे हुए योद्धाओं के समूहों, रथों, हाथियों और घोड़ों से सारी रणभूमि पट गयी थी। (27) | ||
+ | *सात्यकि, भीमसेन और अर्जुन जिसमें [[सेनापति]] थे तथा जिसके भीतर [[अभिमन्यु]], द्रुपद एवं काशिराज जैसे योद्धा मौजूद थे, उस सेना को तथा अन्यान्य महावीरों को भी द्रोणाचार्य ने समरांगण में रौंद डाला; क्योंकि वे आपके [[पुत्र|पुत्रों]] को ऐश्वर्य की प्राप्ति कराना चाहते थे। (28) | ||
+ | *राजन! कौरवेन्द्र! युद्ध स्थल में ये तथा और भी बहुत से वीरोचित कर्म करके महात्मा [[द्रोणाचार्य]] प्रलयकाल के [[सूर्य]] की भाँति सम्पूर्ण लोकों को तपाकर यहाँ से स्वर्ग में चले गये। (29) | ||
+ | *इस प्रकार सुवर्णमय [[रथ]] वाले शूर वीर द्रोणाचार्य रणक्षेत्र में [[पाण्डव सेना |पाण्डव पक्ष]] के लाखों योद्धाओं का संहार करके अन्तमें धृष्टद्युम्न के द्वारा मार गिराये गये। (30) | ||
+ | *धैर्यशाली द्रोणाचार्य ने युद्ध में पीठ न दिखाने वाले शूर वीरों की एक [[अक्षौहिणी]] से भी अधिक सेना का संहार करके पीछे स्वयं भी परम गति प्राप्त कर ली। (31) | ||
+ | *राजन! सुवर्णमय रथ वाले द्रोणाचार्य अत्यन्त दुष्कर पराक्रम करके अन्त में [[पाण्डव|पाण्डवों]] सहित अमंगलकारी क्रूर कर्मा पांचालों के हाथ से मारे गये। (32) | ||
+ | *नरेश्वर ! युद्ध स्थल में आचार्य द्रोण के मारे जाने पर [[आकाश]] में स्थित अदृश्य भूतों का तथा [[कौरव सेना |कौरव-सैनिकों]] का आर्तनाद सुनायी देने लगा। (33) | ||
+ | *उस समय [[स्वर्ग |स्वर्ग लोक]], भू-लोक, अन्तरिक्ष लोक, दिशाओं तथा विदिशाओं को भी प्रतिध्वनित करता हुआ समस्त प्राणियों का अहो! धिक्कार है! यह शब्द वहाँ जोर-जोर से गूँजने लगा। (34) | ||
+ | *[[देवता]], पितर तथा जो इनके पूर्ववर्ती [[भाई]]-बन्धु थे, उन्होंने भी वहाँ भरद्वाज नन्दन महारथी द्रोणाचार्य को मारा गया देखा। (35) | ||
+ | *पाण्डव विजय पाकर सिंहनाद करने लगे। उनके उस महान सिंहनाद से पृथ्वी काँप उठी। (36) | ||
− | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्तर्गत | + | <div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">इस प्रकार श्रीमहाभारत द्रोणपर्व के अन्तर्गत द्रोणाभिषेक पर्व में द्रोण वध श्रवण विषयक आठवाँ अध्याय पूरा हुआ।</div> |
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[[चित्र:Next.png|link=महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 9 श्लोक 1-18]] | [[चित्र:Next.png|link=महाभारत द्रोण पर्व अध्याय 9 श्लोक 1-18]] |
12:34, 26 अप्रॅल 2016 का अवतरण
ashhtam (8) adhyay: dron parv ( dronabhishek parv)
(in sabake ban dronachary ke sayakoan dvara chhinhn-bhinhn evan nishhphal ho yuddh shthal mean dharati par lautate dikhayi dene lage, mano nadiyoan ke dvip mean dher-ke-dher kas athava sarakanhde katakar bichha diye gaye hoan.)
is prakar shrimahabharat dronaparv ke anhtargat dronabhishek parv mean dron vadh shravan vishayak athavaan adhhyay poora hua.
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tika tippani aur sandarbh
sanbandhit lekh
varnamala kramanusar lekh khoj