सभी पृष्ठ | पिछला पृष्ठ (अनुराग पदावली पृ. 74) | अगला पृष्ठ (अर्जुनस्य सखा) |
- अमावसु
- अमावस्या
- अमावास्या
- अमाहठ
- अमिताशना
- अमिताशी
- अमितौजा
- अमूर्ति
- अमूर्त्तरया
- अमृत
- अमृता
- अमोघ
- अमोघ (कार्तिकेय)
- अमोघ (बहुविकल्पी)
- अमोघ (यज्ञ)
- अमोघा
- अमोघा अस्त्र
- अम्बरीष
- अम्बरीष (बहुविकल्पी)
- अम्बरीष (सर्प)
- अम्बष्ठ
- अम्बष्ठ (जाति)
- अम्बष्ठ (बहुविकल्पी)
- अम्बष्ठक
- अम्बा
- अम्बा (बहुविकल्पी)
- अम्बा (माता)
- अम्बा और परशुराम का संवाद तथा अकृतव्रण की सलाह
- अम्बा और शैखावत्य संवाद
- अम्बा का द्रुपद का यहाँ जन्म और शिखण्डी नामकरण
- अम्बा का भीष्म से शाल्वराज के प्रति अनुराग प्रकट करना
- अम्बा का शाल्व द्वारा परित्याग
- अम्बा की कठोर तपस्या
- अम्बा को महादेव से वरप्राप्ति तथा उसका चिता में प्रवेश
- अम्बालिका
- अम्बिका
- अम्बिका, अम्बालिका के साथ विचित्रवीर्य का विवाह
- अम्बिका (अप्सरा)
- अम्बिका (देवी)
- अम्बिका (बहुविकल्पी)
- अम्बिकावन
- अम्बुमती
- अम्बुवाहिनी
- अम्भोरुह
- अय:कणप
- अय:शंक
- अय:शिरा
- अय प्यारे कृष्ण! -स्वामी वियोगी हरि
- अयति
- अयवाह
- अयाति
- अयुतनायी
- अयुतायु
- अयोगुड़
- अयोध्या
- अयोबाहु
- अरट्ट
- अरणि
- अरणी
- अरविन्दाक्ष
- अरस परस सब ग्वाल कहैं -सूरदास
- अराजकता (महाभारत संदर्भ)
- अरालि
- अरि, मेरे लालन की आजु बरष-गांठि -सूरदास
- अरिजित
- अरिमेजय
- अरिष्ट
- अरिष्ट (बहुविकल्पी)
- अरिष्ट (राजा)
- अरिष्ट (वृक्ष)
- अरिष्टनेमा
- अरिष्टनेमि
- अरिष्टनेमि (ऋषि)
- अरिष्टनेमि (कृष्ण)
- अरिष्टनेमि (बहुविकल्पी)
- अरिष्टनेमि (राजा)
- अरिष्टनेमि (सहदेव पुत्र)
- अरिष्टनेमि का राजा सगर को मोक्षविषयक उपदेश
- अरिष्टा
- अरिष्टासुर
- अरिष्टासुर एवं कंस वध
- अरिह
- अरिह (देवातिथि पुत्र)
- अरिह (बहुविकल्पी)
- अरिहा
- अरी अरी सुंदरि नारि सुहागिनि -सूरदास
- अरी चल दूल्हे देखन जाय -नंददास
- अरी तू को है हौ हरि दूती -सूरदास
- अरी माई साँवरौ सलौनौ अति -सूरदास
- अरी मै जानि पाए चिह्न दुरै न दुराए -सूरदास
- अरी मैं जानि पाए चिन्ह दुरैं न दुराए -सूरदास
- अरुंतुद
- अरुंधती
- अरुंधती (देवी)
- अरुज
- अरुझि रहे मुक्ता निरुवारति -सूरदास
- अरुझी कुंडल लट -सूरदास
- अरुण
- अरुण-गरुड़ की उत्पत्ति
- अरुण (कृष्ण पुत्र)
- अरुण (बहुविकल्पी)
- अरुण ऋषि
- अरुण सर्प
- अरुणा
- अरुणा (नदी)
- अरुणा (बहुविकल्पी)
- अरुणासंगम में स्नान से राक्षसों और इन्द्र का संकटमोचन
- अरुधंती
- अरुन उदय उठि प्रातही -सूरदास
- अरुन उदय उठि प्रातहीं -सूरदास
- अरुन उदय बेला अरु नैन -सूरदास
- अरुन नैन राजत प्रभु भोरे -सूरदास
- अरुन्तुद
- अरुन्धती
- अरुन्धती, धर्मराज और चित्रगुप्त द्वारा धर्म सम्बन्धी रहस्य का वर्णन
- अरुन्धती (देवी)
- अरुन्धती (बहुविकल्पी)
- अरुन्धती वट
- अरुन्धतीवट
- अरुभी कुंडल लट -सूरदास
- अरूपा
- अरे शिरश्छेदकारी
- अर्क
- अर्कज
- अर्कजा
- अर्कनंदन
- अर्कनन्दन
- अर्कपर्ण
- अर्चिष्मती
- अर्चिष्मान
- अर्जुन
- अर्जुन-सुभद्रा का श्रीकृष्ण के साथ इन्द्रप्रस्थ पहुंचना
- अर्जुन और अश्वत्थामा का युद्ध
- अर्जुन और कर्ण का युद्ध
- अर्जुन और कर्ण का संवाद
- अर्जुन और कृपाचार्य का युद्ध देखने के लिए देवताओं का आगमन
- अर्जुन और दुर्योधन का एक-दूसरे के सम्मुख आना
- अर्जुन और दुर्योधन का युद्ध
- अर्जुन और द्रोणाचार्य का वार्तालाप तथा युद्ध
- अर्जुन और निवातकवचों का युद्ध
- अर्जुन और बभ्रुवाहन का युद्ध एवं अर्जुन की मृत्यु
- अर्जुन और भीम के द्वारा कौरव वीरों का संहार
- अर्जुन और भीम द्वारा कर्ण एवं शल्य की पराजय
- अर्जुन और भीम द्वारा कौरव सेना का संहार
- अर्जुन और भीम द्वारा कौरवों की रथसेना एवं गजसेना का संहार
- अर्जुन और भीष्म का अद्भुत युद्ध
- अर्जुन और युधिष्ठिर का मिलन
- अर्जुन और व्यास की बातचीत
- अर्जुन और श्रीकृष्ण द्वारा शिव की स्तुति
- अर्जुन और सात्यकि के प्रति युधिष्ठिर की चिन्ता
- अर्जुन और सुभद्रा का विवाह
- अर्जुन का अग्निदेव से दिव्य धनुष एवं रथ मांगना
- अर्जुन का अद्भुत पराक्रम
- अर्जुन का अनेक पर्वतीय देशों पर विजय पाना
- अर्जुन का अपनी तपस्या यात्रा के वृत्तान्त का वर्णन
- अर्जुन का अवशिष्ट यादवों को अपनी राजधानी में बसाना
- अर्जुन का अश्वत्थामा के साथ अद्भुत युद्ध
- अर्जुन का अश्वत्थामा के साथ युद्ध
- अर्जुन का इंद्र और ऋषि बालकों के संवाद का वर्णन
- अर्जुन का इन्द्रकील पर्वत पर प्रस्थान
- अर्जुन का इन्द्रसभा में स्वागत
- अर्जुन का उत्तर को शमीवृक्ष से अस्त्र उतारने का आदेश
- अर्जुन का उत्तरकुमार को अपना और अपने भाइयों का यथार्थ परिचय देना
- अर्जुन का उत्तरकुमार को आश्वासन
- अर्जुन का उत्तरकुमार को आश्वासन देकर रथ पर चढ़ाना
- अर्जुन का कथन
- अर्जुन का कर्ण के सामने उपस्थित होना
- अर्जुन का कर्ण को फटकारना और वृषसेन वध की प्रतिज्ञा
- अर्जुन का कर्ण पर आक्रमण और विकर्ण की पराजय
- अर्जुन का कौरव महारथियों के साथ घोर युद्ध
- अर्जुन का कौरव योद्धाओं के साथ युद्ध
- अर्जुन का कौरव सेना को नष्ट करके आगे बढ़ना
- अर्जुन का कौरव सेना पर आक्रमण
- अर्जुन का कौरव सैनिकों द्वारा प्रतिरोध
- अर्जुन का गंगाद्वार में रुकना एवं उलूपी से मिलन
- अर्जुन का जयद्रथ पर आक्रमण तथा दुर्योधन और कर्ण का वार्तालाप
- अर्जुन का दुर्योधन की सेना पर आक्रमण और गौओं को लौटा लाना
- अर्जुन का द्रुपद को बंदी बनाकर लाना
- अर्जुन का द्रोणाचार्य और कृतवर्मा से युद्ध
- अर्जुन का द्रोणाचार्य के साथ युद्ध
- अर्जुन का द्वारका एवं श्रीकृष्ण की पत्नियों की दशा देखकर दुखी होना
- अर्जुन का द्वारकावासियों को अपने साथ ले जाना
- अर्जुन का धृतराष्ट्र के कार्य की निन्दा करना
- अर्जुन का निवातकवच दानवों के साथ युद्ध की तैयारी का कथन
- अर्जुन का निवातकवच दानवों के साथ युद्धारम्भ
- अर्जुन का नौ कौरव महारथियों के साथ अकेले युद्ध
- अर्जुन का पराक्रम और पांडवों का भीष्म पर आक्रमण
- अर्जुन का पराक्रम तथा पाँचवें दिन के युद्ध की समाप्ति
- अर्जुन का पाताल में प्रवेश
- अर्जुन का पुत्र और पत्नी से विदा लेकर पुन: अश्व के पीछे जाना
- अर्जुन का प्रभास तीर्थ में श्रीकृष्ण से मिलना
- अर्जुन का प्राग्ज्यौतिषपुर के राजा वज्रदत्त के साथ युद्ध
- अर्जुन का भगदत्त और उसके हाथी से युद्ध
- अर्जुन का भीष्म को रथ से गिराना
- अर्जुन का मणिपूर में चित्रांगदा से पाणिग्रहण
- अर्जुन का युद्ध हेतु सुशर्मा आदि संशप्तक वीरों के निकट जाना
- अर्जुन का युधिष्ठिर के मत का निराकरण करना
- अर्जुन का युधिष्ठिर के वध हेतु उद्यत होना
- अर्जुन का युधिष्ठिर को आश्वासन देना
- अर्जुन का युधिष्ठिर से कर्ण को न मार सकने का कारण बताना
- अर्जुन का युधिष्ठिर से स्वर्गलोक में प्राप्त अपनी अस्त्रविद्या का कथन
- अर्जुन का रणभूमि में प्रवेश और शंखनाद
- अर्जुन का लक्ष्यवेध करके द्रौपदी को प्राप्त करना
- अर्जुन का वनवास
- अर्जुन का विजयी होकर उत्तरकुमार के साथ राजधानी को प्रस्थान
- अर्जुन का विराट को महाराज युधिष्ठिर का परिचय देना
- अर्जुन का शत्रुसेना पर आक्रमण और जयद्रथ की ओर बढ़ना
- अर्जुन का शिव से युद्ध
- अर्जुन का श्रीकृष्ण से गीता का विषय पूछना
- अर्जुन का श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर के पास चलने का आग्रह
- अर्जुन का श्रीकृष्ण से रथ कर्ण के पास ले चलने के लिए कहना
- अर्जुन का संशप्तकों के साथ युद्ध
- अर्जुन का सब योद्धाओं और महारथियों के साथ युद्ध
- अर्जुन का सात्यकि को युधिष्ठिर की रक्षा का आदेश
- अर्जुन का सुभद्रा पर आसक्त होना
- अर्जुन का सैन्धवों के साथ युद्ध
- अर्जुन का स्वप्न में श्रीकृष्ण के साथ शिव के समीप जाना
- अर्जुन का स्वर्गलोक प्रस्थान
- अर्जुन का स्वर्गलोक से आगमन तथा भाईयों से मिलन
- अर्जुन का हस्तिनापुर आगमन
- अर्जुन की इंद्रलोक यात्रा
- अर्जुन की उग्र तपस्या
- अर्जुन की जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा
- अर्जुन की द्रोणाचार्य की सेना पर विजय
- अर्जुन की प्रतिज्ञा की सफलता हेतु युधिष्ठिर की श्रीकृष्ण से प्रार्थना
- अर्जुन की प्रतिज्ञा से जयद्रथ का भय
- अर्जुन की प्रसंशा कर भीष्म का दुर्योधन को संधि के लिए समझाना
- अर्जुन की मृत्यु पर बभ्रुवाहन का शोकोद्गार
- अर्जुन की मृत्यु से चित्रांगदा का विलाप
- अर्जुन की विराट के यहाँ नृत्य प्रशिक्षक के पद पर नियुक्ति
- अर्जुन की सफलता हेतु श्रीकृष्ण के दारुक से उत्साह भरे वचन
- अर्जुन के कहने से उभयपक्ष के सैनिकों का सो जाना
- अर्जुन के दिव्यास्त्र प्राप्ति का लोमश द्वारा वर्णन
- अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा की पराजय
- अर्जुन के द्वारा कर्ण का वध
- अर्जुन के द्वारा कौरव सेना का विध्वंस
- अर्जुन के द्वारा कौरव सेना का संहार
- अर्जुन के द्वारा कौरव सेना का संहार और पांडवों की विजय
- अर्जुन के द्वारा त्रिगर्तों की पराजय
- अर्जुन के द्वारा दण्ड का वध
- अर्जुन के द्वारा दण्डधार का वध
- अर्जुन के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग
- अर्जुन के द्वारा भीष्म का मूर्च्छित होना
- अर्जुन के द्वारा वज्रदत्त की पराजय
- अर्जुन के द्वारा संशप्तक सेना का संहार
- अर्जुन के द्वारा सत्यकर्मा और सत्येषु का वध
- अर्जुन के द्वारा सुशर्मा का उसके पुत्रों सहित वध
- अर्जुन के नाम
- अर्जुन के पास दिक्पालों का आगमन
- अर्जुन के प्रोत्साहन से शिखंडी का भीष्म पर आक्रमण
- अर्जुन के बाणों से कृपाचार्य का मूर्छित होना तथा अर्जुन का खेद
- अर्जुन के बाणों से व्यथित होकर कर्ण और अश्वत्थामा का पलायन
- अर्जुन के बाणों से संतप्त होकर कौरव वीरों का पलायन
- अर्जुन के भय से कौरव सेना का पलायन
- अर्जुन के रथ का दग्ध होना
- अर्जुन के लिए पांडवों की चिन्ता
- अर्जुन के विवाह
- अर्जुन के विषय में श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर की बातचीत
- अर्जुन के वीरोचित उद्गार
- अर्जुन के वीरोचित वचन
- अर्जुन के संकेत से भीम द्वारा दुर्योधन की जाँघें तोड़ना
- अर्जुन के साथ निवातकवचों के मायामय युद्ध का वर्णन
- अर्जुन के साथ भीष्म का युद्ध
- अर्जुन के साथ युद्ध में भीष्म का मूर्च्छित होना
- अर्जुन को अस्त्र और संगीत की शिक्षा
- अर्जुन को दिव्यास्त्र प्राप्ति
- अर्जुन को देवी दुर्गा से वर की प्राप्ति
- अर्जुन को ध्वज की प्राप्ति तथा उनके द्वारा शंखनाद
- अर्जुन को ब्रह्मशिर अस्त्र की प्राप्ति
- अर्जुन को मार्ग में शुभ शकुन संकेतों का दर्शन
- अर्जुन को शिव का वरदान
- अर्जुन को स्वप्न में पुन: पाशुपतास्त्र की प्राप्ति
- अर्जुन तथा कौरव महारथियों के ध्वजों का वर्णन
- अर्जुन तथा द्रौपदी द्वारा कृष्ण स्तुति
- अर्जुन द्वारा अद्भुत जलाशय का निर्माण
- अर्जुन द्वारा अनेक राजाओं तथा भगदत्त की पराजय
- अर्जुन द्वारा अपने ब्रह्मास्त्र का उपसंहार
- अर्जुन द्वारा अपने सहायकों और युधिष्ठिर की शक्ति का परिचय देना
- अर्जुन द्वारा अश्वत्थामा की पराजय
- अर्जुन द्वारा अश्वत्थामा के क्रोध एवं गुरुहत्या के भीषण परिणाम का वर्णन
- अर्जुन द्वारा उत्तरकुमार के भय का निवारण
- अर्जुन द्वारा उत्तरा को पुत्रवधू के रूप में ग्रहण करना
- अर्जुन द्वारा उद्यत हुए कृष्ण को रोकना
- अर्जुन द्वारा कर्ण की पराजय
- अर्जुन द्वारा कर्णवध की प्रतिज्ञा और युधिष्ठिर का आशीर्वाद
- अर्जुन द्वारा कर्णवध हेतु प्रतिज्ञा
- अर्जुन द्वारा कृष्ण की स्तुति और प्रार्थना
- अर्जुन द्वारा कृष्ण के विश्वरूप का देखा जाना
- अर्जुन द्वारा कृष्ण से विश्वरूप का दर्शन कराने की प्रार्थना
- अर्जुन द्वारा कौरव रथियों की सेना का संहार
- अर्जुन द्वारा कौरव सेना का विनाश करके रक्त की नदी बहाना
- अर्जुन द्वारा कौरव सेना का संहार
- अर्जुन द्वारा कौरव सेना की पराजय और तीसरे दिन के युद्ध की समाप्ति
- अर्जुन द्वारा कौरव सेना के महारथियों की पराजय
- अर्जुन द्वारा कौरवों की रथसेना पर आक्रमण
- अर्जुन द्वारा कौरवों के लिए संदेश
- अर्जुन द्वारा गोधन की रक्षा के लिए नियम-भंग
- अर्जुन द्वारा चित्ररथ गन्धर्व की पराजय एवं दोनों की मित्रता
- अर्जुन द्वारा तीव्र गति से कौरव सेना में प्रवेश
- अर्जुन द्वारा त्रिगर्तों की पराजय
- अर्जुन द्वारा दस हज़ार संशप्तक योद्धाओं और उनकी सेना का संहार
- अर्जुन द्वारा दुर्मर्षण की गजसेना का संहार
- अर्जुन द्वारा दुर्योधन की पराजय
- अर्जुन द्वारा देवी दुर्गा की स्तुति
- अर्जुन द्वारा धृष्टद्युम्न की रक्षा और अश्वत्थामा की पराजय
- अर्जुन द्वारा निवातकवचों का वध
- अर्जुन द्वारा भगदत्त का वध
- अर्जुन द्वारा भीष्म की प्यास बुझाना
- अर्जुन द्वारा भीष्म को तकिया देना
- अर्जुन द्वारा भूरिश्रवा की भुजा का उच्छेद
- अर्जुन द्वारा मगधराज मेघसन्धि की पराजय
- अर्जुन द्वारा मत्स्य भेदन
- अर्जुन द्वारा युद्ध की तैयारी तथा अस्त्र-शस्त्रों का स्मरण
- अर्जुन द्वारा रथसेना का विध्वंस
- अर्जुन द्वारा राज राजदण्ड की महत्ता का वर्णन
- अर्जुन द्वारा लक्ष्यवेध
- अर्जुन द्वारा वज्रव्यूह की रचना
- अर्जुन द्वारा वर्गा अप्सरा का उद्धार
- अर्जुन द्वारा विन्द और अनुविन्द का वध
- अर्जुन द्वारा वृषक और अचल का वध
- अर्जुन द्वारा वृषसेन का वध
- अर्जुन द्वारा शकुनिपुत्र की पराजय
- अर्जुन द्वारा शत्रुंतप और संग्रामजित का वध
- अर्जुन द्वारा शिव से संग्राम एवं पाशुपतास्त्र प्राप्ति की कथा
- अर्जुन द्वारा शिव स्तुति
- अर्जुन द्वारा श्रीकृष्ण से दुर्योधन के दुराग्रह की निन्दा
- अर्जुन द्वारा श्रुतंजय, सौश्रुति तथा चन्द्रदेव का वध
- अर्जुन द्वारा श्रुतायु, अच्युतायु, नियतायु, दीर्घायु और अम्बष्ठ आदि का वध
- अर्जुन द्वारा संशप्तक सेना के अधिकांश भाग का वध
- अर्जुन द्वारा संशप्तकों का वध
- अर्जुन द्वारा सत्यसेन का वध तथा संशप्तक सेना का संहार
- अर्जुन द्वारा समस्त कौरव दल की पराजय
- अर्जुन द्वारा सिन्धुराज जयद्रथ का वध
- अर्जुन द्वारा सुदक्षिण का वध
- अर्जुन द्वारा सुधन्वा का वध
- अर्जुन द्वारा हिरण्यपुरवासी पौलोम तथा कालकेयों का वध
- अर्जुन सहित भीमसेन का कौरवों पर आक्रमण
- अर्जुन से दु:शासन आदि की पराजय
- अर्जुन से पराजित होकर अलम्बुष का पलायन
- अर्जुन से बाण न चलाने के लिए कर्ण का अनुरोध
- अर्जुन से युद्ध हेतु द्रोणाचार्य का दुर्योधन के शरीर में दिव्य कवच बाँधना
- अर्जुन से शकुनि और उलूक की पराजय
- अर्जुन से श्रीकृष्ण का उपदेश
- अर्जुन से हताहत होकर दु:शासन का सेनासहित पलायन
- अर्जुनक