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- यह पट पीत कहाँ तै पायौ -सूरदास
- यह परचौ बिदिमान 2 -सूरदास
- यह पूजा मोहिं कान्ह बताई -सूरदास
- यह पूजा मोहिं कान्हौ बताई -सूरदास
- यह प्रसाद हों पाऊं श्री यमुना जी -परमानंददास
- यह प्रीतम सौ प्रीति निरंतर -सूरदास
- यह बंसी खोजत फिरै -सूरदास
- यह बल केतिक जादौराइ -सूरदास
- यह बात हमारे कौन सुनै -सूरदास
- यह मति नंद तोहि क्यौ छाजी -सूरदास
- यह मति नंद तोहि क्यौं छाजी -सूरदास
- यह महिमा येई पै जानै -सूरदास
- यह महिमा येई पै जानैं -सूरदास
- यह मांगो गोपीजन वल्लभ -परमानंददास
- यह मुरली ऐसी है माई -सूरदास
- यह मुरली कुस-दाहनहारी -सूरदास
- यह मुरली जरि गई न तबहीं -सूरदास
- यह मुरली बन-झार की -सूरदास
- यह मुरली बहि गई न नारै -सूरदास
- यह मुरली बहि गई न नारैं -सूरदास
- यह मुरली मोहिनी कहावै -सूरदास
- यह मुरली वन-झार की -सूरदास
- यह मुरली सखि ऐसी है -सूरदास
- यह मोकौं तबही न सुनाई -सूरदास
- यह लीला सब करत कन्हाई -सूरदास
- यह वानी कहि कंस सुनाई -सूरदास
- यह वृषभानु सुता वह को है -सूरदास
- यह व्रत हिय धरि देवी पूजो -सूरदास
- यह व्रत हिय धरि देवी पूजो 2 -सूरदास
- यह संदेश कहत हौ ऊधौ -सूरदास
- यह संदेस कह्यौ है माधौ -सूरदास
- यह सखि अब लौ कहाँ दुराई -सूरदास
- यह सखि अब लौं कहाँ दुराई -सूरदास
- यह सब नैननिही कौ लागै -सूरदास
- यह सब नैननिहीं कौं लागै -सूरदास
- यह सब मेरीयै आइ कुमति -सूरदास
- यह सब मै ही पोच करी -सूरदास
- यह सब मैं ही पोच करी -सूरदास
- यह सरीर नाहिन मेरौ -सूरदास
- यह ससि सीतल -सूरदास
- यह ससि सीतल काहैं कहियत -सूरदास
- यह सुंदरी कहाँ तैं आई -सूरदास
- यह सुख सुनि हरषीं ब्रजनारी -सूरदास
- यह सुनत नागरी माथ नायौ -सूरदास
- यह सुनि कै नृप त्रास भरयौ -सूरदास
- यह सुनि कै मन स्याम सिहात -सूरदास
- यह सुनि कै हँसि मौन रही री -सूरदास
- यह सुनि कै हँसि मौन रहीं री -सूरदास
- यह सुनि कै हलधर तहँ धाए -सूरदास
- यह सुनि गिरी धरनि झुकि माता -सूरदास
- यह सुनि चकित भइं ब्रज-बाला -सूरदास
- यह सुनि चकित भईं ब्रज-बाला -सूरदास
- यह सुनि नंद बहुत सुख पाए -सूरदास
- यह सुनि भए व्याकुल नंद -सूरदास
- यह सुनि राजा रोइ पुकारे -सूरदास
- यह सुनि स्याम बिरह भरे -सूरदास
- यह सुनि हँसीं सकल ब्रजनारि -सूरदास
- यह सुनि हंसि चलौं ब्रज-नारि -सूरदास
- यह सुनि हंसी सकल ब्रजनारि -सूरदास
- यह सुनि हमहिं आवति लाज -सूरदास
- यह हमकौ बिधना लिखि राख्यौ -सूरदास
- यह हमकौं बिधना लिखि राख्यौ -सूरदास
- यहई मन आनंद-अवधि सब -सूरदास
- यहाँ-वहाँ कुछ कहीं न मेरा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- यहि बिधि भक्ति कैसे होय -मीराँबाई
- यहै कहत बसुदेव त्रिया जनि रोवहु हो -सूरदास
- यहै कहत बसुदेव त्रिया जनि रोवहु हो 2 -सूरदास
- यहै कहत बसुदेव त्रिया जनि रोवहु हो 3 -सूरदास
- यहै कही कहि मौन रही -सूरदास
- यहै जानि गोपाल बँधाए -सूरदास
- यहै प्रकृति परि आई ऊधौ -सूरदास
- यहै बहुत जो बात चलावै -सूरदास
- यहै भाव सब जुवतिनि सौ -सूरदास
- यहै भाव सब जुवतिनि सौं -सूरदास
- यहै मंत्र अक्रूर सौ -सूरदास
- यहै मंत्र अक्रूर सौं -सूरदास
- या गति की माई को जानै -सूरदास
- या गोकुल के चौहटै रँगभीजी ग्वालिनि -सूरदास
- या गोकुल के चौहटै रँगभीजी ग्वालिनि 2 -सूरदास
- या गोकुल के चौहटैं रँगभीजी ग्वालिनि -सूरदास
- या गोकुल के चौहटैं रँगभीजी ग्वालिनि 2 -सूरदास
- या घर प्यारी आवति रहियौ -सूरदास
- या घर मैं कोउ है कै नाहीं -सूरदास
- या जुवती के गोरस कौ हरि -सूरदास
- या बिधि राजा करयौ बिचारि -सूरदास
- या बिनु होत कहा -सूरदास
- या बिनु होत कहा ह्याँ सूनौ -सूरदास
- या ब्रज तै दवरितु न गई -सूरदास
- या ब्रज में कछू देख्यो री टोना -मीराँबाई
- या मोहन के मैं रूप लुभानी -मीराँबाई
- या लकुटी अरु कामरिया पर -रसखान
- याकी जाति स्याम नहिं जानी -सूरदास
- याकी सखि सुनै ब्रज को रे -सूरदास
- याकै गुन मैं जानति हों -सूरदास
- याचना (महाभारत संदर्भ)
- याज
- याज्ञयवल्क्य द्वारा सूर्य से वेदज्ञान की प्राप्ति का प्रसंग सुनाना
- याज्ञवल्क्य
- याज्ञवल्क्य का जनक को उपदेश
- याज्ञवल्क्य का जनक को उपदेश देकर विदा होना
- याज्ञसेनी
- याज्ञ्वल्क्य का जनक को उपदेश
- यातुधानी
- यातैं तुमकौं ढीठि कही -सूरदास
- याद पड़ रहा है-आये थे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- यादव सेना द्वारा शाल्व सेना का प्रतिरोध
- यादवानां ज्ञानद
- यादवेश
- यादवैर्मण्डितांग
- यादवैर्मण्डिताङ्ग
- यादवों का पांडवों से मिलन
- यादवों की अर्जुन के विरुद्ध युद्ध की तैयारी
- यानहन्ता
- याम (सूर्य)
- यामुन
- यामुन पर्वत
- यायात तीर्थ की महिमा और ययाति के यज्ञ का वर्णन
- यायावर
- यायावर (ऋषि)
- यायावर (बहुविकल्पी)
- याहि और नहि कछू उपाइ -सूरदास
- याही तै सूल रही सिसुपालहिं -सूरदास
- याहू मै कछु बाट तिहारौ -सूरदास
- याहू मैं कछु बाट तिहारौ -सूरदास
- युग
- युगंधर
- युगंधर (राजा)
- युगधर्म का वर्णन एवं काल का महत्त्व
- युगन्धर
- युगन्धर (पर्वत)
- युगन्धर (बहुविकल्पी)
- युगन्धर (राजा)
- युगप
- युगानां सहस्त्रम
- युगान्तकालिक कलियुग समय के बर्ताव का वर्णन
- युगों के अनुसार मनुष्यों की आयु तथा गुणों का निरूपण
- युद्ध (महाभारत संदर्भ)
- युद्ध की भयानक स्थिति का वर्णन और आठवें दिन के युद्ध की समाप्ति
- युद्धकृत
- युद्धस्थल की भीषण अवस्था का वर्णन
- युधामन्यु
- युधामन्यु तथा उत्तमौजा का दुर्योधन के साथ युद्ध
- युधामन्यु द्वारा चित्रसेन का वध तथा भीम का हर्षोद्गार
- युधिष्ठर
- युधिष्ठर (कृष्ण पुत्र)
- युधिष्ठिर
- युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की उत्पत्ति
- युधिष्ठिर (कृष्ण पुत्र)
- युधिष्ठिर (बहुविकल्पी)
- युधिष्ठिर आदि का ऋषियों के आश्रम देखना
- युधिष्ठिर आदि का पुन: द्वैतवन से काम्यकवन में प्रवेश
- युधिष्ठिर आदि का सौगन्धिक वन में भीमसेन के पास पहुँचना
- युधिष्ठिर आदि के पास ऋषियों सहित व्यास का आगमन
- युधिष्ठिर एवं द्रौपदी का विलाप
- युधिष्ठिर और अभिमन्यु का संवाद
- युधिष्ठिर और कुंती आदि का दुखी होना
- युधिष्ठिर और चार्वाक
- युधिष्ठिर और दुर्योधन का युद्ध
- युधिष्ठिर और दुर्योधन की सेनाओं का संक्षिप्त वर्णन
- युधिष्ठिर और धृतराष्ट्र का युद्ध में मारे गये सगे-संबंधियों का श्राद्धकर्म करना
- युधिष्ठिर और नकुल-सहदेव के साथ शल्य का युद्ध
- युधिष्ठिर और माद्रीपुत्रों के साथ शल्य का युद्ध
- युधिष्ठिर और श्रीकृष्ण का संवाद
- युधिष्ठिर और श्रीकृष्ण की बातचीत
- युधिष्ठिर का अनुग्रह करके सुशर्मा को मुक्त करना
- युधिष्ठिर का अपनी छावनी में जाकर विश्राम करना
- युधिष्ठिर का अपनी दुरावस्था पर मार्कडेण्य मुनि से प्रश्न करना
- युधिष्ठिर का अपने पुत्रों एवं पांचालों के वध का वृतांत सुनकर विलाप
- युधिष्ठिर का अपशकुन देखना एवं यादवों के विनाश का समाचार सुनना
- युधिष्ठिर का अर्जुन के प्रति अपमानजनक क्रोधपूर्ण वचन
- युधिष्ठिर का अर्जुन को आशीर्वाद
- युधिष्ठिर का अर्जुन से आन्तरिक खेद प्रकट करना
- युधिष्ठिर का अर्जुन से भ्रमवश कर्ण के मारे जाने का वृत्तान्त पूछना
- युधिष्ठिर का अश्वत्थामा को छोड़कर दूसरी ओर चले जाना
- युधिष्ठिर का कर्ण के लिये शोक प्रकट करते हुए प्रेतकृत्य सम्पन्न करना
- युधिष्ठिर का कर्ण को शाप मिलने का वृत्तांत पूछना
- युधिष्ठिर का कलश आदि बाँटना और धृतराष्ट्र के पास बैठना
- युधिष्ठिर का कुन्ती एवं कौरवों के लिए संदेश
- युधिष्ठिर का कुरुवंशियों के प्रति संदेश
- युधिष्ठिर का कृष्ण से अपना अभिप्राय निवेदन करना
- युधिष्ठिर का दिव्य लोक में जाना
- युधिष्ठिर का दुर्योधन को सान्त्वना देते हुए खेद प्रकट करना
- युधिष्ठिर का द्रोणाचार्य से युद्ध और रणभूमि से पलायन
- युधिष्ठिर का द्रौपदी और नकुल-सहदेव के साथ आश्रम पर लौटना
- युधिष्ठिर का धन, राज्य, भाई, द्रौपदी सहित अपने को भी हारना
- युधिष्ठिर का धर्म की प्रमाणिकता पर संदेह उपस्थित करना
- युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर शोक करना
- युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र के अधीन रहकर राज्य व्यवस्था के लिए अपने का भाइयों को नियुक्त करना
- युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र को यथेष्ट धन देने की स्वीकृति देना
- युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र को वन जाने हेतु अनुमति देना
- युधिष्ठिर का ब्राह्मणों और राजाओं को विदा करना
- युधिष्ठिर का ब्राह्मणों को दान देना
- युधिष्ठिर का भाइयों से परामर्श तथा धन लाने हेतु प्रस्थान
- युधिष्ठिर का भीम को अन्याय करने से रोकना
- युधिष्ठिर का भीम को हिडिम्ब-वध से रोकना
- युधिष्ठिर का भीम को हिडिम्बा-वध से रोकना
- युधिष्ठिर का भीमसेन को अर्जुन और सात्यकि का पता लगाने के लिए भेजना
- युधिष्ठिर का भीष्म, द्रोण आदि से अनुमति लेकर युद्ध हेतु तैयार होना
- युधिष्ठिर का भीष्म से विदा लेकर हस्तिनापुर में प्रवेश
- युधिष्ठिर का महेन्द्र पर्वत पर गमन
- युधिष्ठिर का मारे हुए पुत्रादि को देखकर भाई सहित शोकातुर होना
- युधिष्ठिर का मृत्युविषयक प्रश्न व ब्रह्मा की रोषाग्नि से प्रजा के दग्ध होने का वर्णन
- युधिष्ठिर का युवराज पद पर अभिषेक
- युधिष्ठिर का राजसभा में राजा विराट से मिलना
- युधिष्ठिर का राजसूयविषयक संकल्प
- युधिष्ठिर का राज्य से विरक्त होना
- युधिष्ठिर का राज्य से विरक्त होने पर भीष्म द्वारा राज्य की महिमा का वर्णन
- युधिष्ठिर का राज्याभिषेक
- युधिष्ठिर का वानप्रस्थ एवं संन्यासी जीवन का निश्चय
- युधिष्ठिर का विद्या, बल और बुद्धि की अपेक्षा भाग्य की प्रधानता बताना
- युधिष्ठिर का विराट के यहाँ निवास पाना
- युधिष्ठिर का विलाप
- युधिष्ठिर का विषाद और अर्जुन का उन्हें आश्वासन
- युधिष्ठिर का शिखण्डी को उपालम्भ
- युधिष्ठिर का शिशुपाल को समझाना
- युधिष्ठिर का शोक और श्रीकृष्ण तथा व्यास द्वारा उसका निवारण
- युधिष्ठिर का शोकमग्न होकर गिरना और धृतराष्ट्र का उन्हें समझाना
- युधिष्ठिर का श्रीकृष्ण से वैष्णव धर्म विषयक प्रश्न
- युधिष्ठिर का श्रीकृष्ण से वैष्णवधर्म विषयक प्रश्न
- युधिष्ठिर का संजय को इंद्रप्रस्थ लौटाने की कहना
- युधिष्ठिर का संजय से कौरव पक्ष का कुशलक्षेम पूछना
- युधिष्ठिर का संताप और अर्जुन द्वारा कृष्ण के वचनों का समर्थन
- युधिष्ठिर का सदेह स्वर्ग में जाना
- युधिष्ठिर का समस्त पुत्रों और सैनिकों के मारे जाने के विषय में श्रीकृष्ण से पूछना
- युधिष्ठिर का सर्परूपधारी नहुष के प्रश्नों का उत्तर देना
- युधिष्ठिर का सात्यकि को कौरव सेना में प्रवेश करने का आदेश
- युधिष्ठिर का सेना सहित वन प्रस्थान
- युधिष्ठिर का सेना सहित सरोवर पर जाना
- युधिष्ठिर का स्त्रियों को शाप
- युधिष्ठिर की अज्ञा से सबका दाह संस्कार
- युधिष्ठिर की अर्जुन से दिव्यास्त्र-दर्शन की इच्छा
- युधिष्ठिर की आज्ञा से यज्ञभूमि की तैयारी
- युधिष्ठिर की चिंता और श्रीकृष्ण द्वारा उनको आश्वासन
- युधिष्ठिर की चिन्ता तथा दुर्योधन की शासननीति
- युधिष्ठिर की दिव्य सभाओं के विषय में जिज्ञासा
- युधिष्ठिर की प्रभासक्षेत्र में तपस्या
- युधिष्ठिर की भीष्म से उपदेश देने की प्रार्थना
- युधिष्ठिर की महिमा कहते हुए भीष्म की पांडव अन्वेषण के विषय में सम्मति
- युधिष्ठिर की रणयात्रा
- युधिष्ठिर के आदेश से अर्जुन का आक्रमण
- युधिष्ठिर के उत्तर से संतुष्ट यक्ष द्वारा चारों भाइयों को जीवित करना
- युधिष्ठिर के कहने से दुर्योधन का सरोवर से बाहर आना
- युधिष्ठिर के द्वारा दुर्योधन की पराजय
- युधिष्ठिर के द्वारा भगवान की स्तुति
- युधिष्ठिर के द्वारा शल्य का वध
- युधिष्ठिर के द्वारा शल्य के भाई का वध
- युधिष्ठिर के धर्मराज्य का वर्णन
- युधिष्ठिर के पास नारद आदि महर्षियों का आगमन
- युधिष्ठिर के पास नारद का आगमन
- युधिष्ठिर के पास व्यास का आगमन
- युधिष्ठिर के पूछने पर भीष्म द्वारा राजधर्म का वर्णन
- युधिष्ठिर के यज्ञ की सजावट और आयोजन
- युधिष्ठिर के यज्ञ में नेवले का आगमन
- युधिष्ठिर के राज्य की विशेषता
- युधिष्ठिर के विविध धर्मयुक्त प्रश्नों का उत्तर
- युधिष्ठिर के वैभव को देखकर दुर्योधन का चिन्तित होना
- युधिष्ठिर के साथ कृष्ण और भीम की बातचीत
- युधिष्ठिर के साथ सहदेव और द्रौपदी का वन जाने का उत्साह
- युधिष्ठिर के स्त्रियों की रक्षा के विषय में प्रश्न
- युधिष्ठिर को जरासंध की उत्पत्ति का प्रसंग सुनाना
- युधिष्ठिर को धृतराष्ट्र द्वारा राजनीति का उपदेश
- युधिष्ठिर को भीष्म का सान्त्वना देना
- युधिष्ठिर को भेंट में मिली वस्तुओं का दुर्योधन द्वारा वर्णन
- युधिष्ठिर को महर्षि धौम्य द्वारा समझाया जाना
- युधिष्ठिर को शोकवश शरीर त्यागने को उद्यत देख व्यास का समझाना
- युधिष्ठिर तथा कुंती द्वारा धृतराष्ट्र और गांधारी की सेवा
- युधिष्ठिर द्वारा अपना अपराध मानना एवं अर्जुन का भयवश कृष्ण के पीछे छिपना
- युधिष्ठिर द्वारा अपने मत की यथार्थता का प्रतिपादन
- युधिष्ठिर द्वारा अपने सेनापतियों का अभिषेक
- युधिष्ठिर द्वारा अर्जुन, भीम एवं सात्यकि का अभिनन्दन
- युधिष्ठिर द्वारा अर्जुन की चिन्ता तथा उनके गुणों का वर्णन
- युधिष्ठिर द्वारा अर्जुन को अभिमन्युवध का वृत्तान्त सुनाना
- युधिष्ठिर द्वारा ऋषियों की विदाई और हस्तिनापुर में प्रवेश
- युधिष्ठिर द्वारा कृष्ण के वचनों का अनुमोदन
- युधिष्ठिर द्वारा क्रोध निन्दा
- युधिष्ठिर द्वारा दिये हुए भवनों में सभी भाइयों का प्रवेश और विश्राम
- युधिष्ठिर द्वारा दिव्य लोक में कृष्ण, अर्जुन आदि का दर्शन करना
- युधिष्ठिर द्वारा दुर्गा देवी की स्तुति
- युधिष्ठिर द्वारा दुर्योधन की रक्षा
- युधिष्ठिर द्वारा द्रौपदी आक्षेप का समाधान
- युधिष्ठिर द्वारा धन के त्याग की महत्ता का प्रतिपादन
- युधिष्ठिर द्वारा धर्म पर ही रहने की घोषणा
- युधिष्ठिर द्वारा धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की हड्डियों को गंगा में प्रवाहित करना
- युधिष्ठिर द्वारा नकुल को जल लाने का आदेश
- युधिष्ठिर द्वारा नरक में रहने का निश्चय
- युधिष्ठिर द्वारा परशुराम का पूजन
- युधिष्ठिर द्वारा ब्राह्मणों एवं आश्रितों का सत्कार
- युधिष्ठिर द्वारा भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति
- युधिष्ठिर द्वारा भागती हुई पांडव सेना को आश्वासन
- युधिष्ठिर द्वारा भीम की खोज
- युधिष्ठिर द्वारा भीम की बात का विरोध एवं मुनिवृत्ति-ज्ञानी महात्माओं की प्रशंसा
- युधिष्ठिर द्वारा महाभारत युद्ध में मारे गये लोगों की संख्या और गति का वर्णन
- युधिष्ठिर द्वारा राजा श्रुतायु की पराजय
- युधिष्ठिर द्वारा शल्य की पराजय
- युधिष्ठिर द्वारा श्रीकृष्ण का पूजन
- युधिष्ठिर द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुति
- युधिष्ठिर द्वारा सूर्य उपासना
- युधिष्ठिर धौम्य संवाद
- युधिष्ठिर पर कौरव सैनिकों का आक्रमण
- युधिष्ठिर से ब्राह्मणों व शौनक का वार्तालाप
- युधिेष्ठिर
- युयुत्सु
- युयुत्सु और उलूक का युद्ध तथा युयुत्सु का पलायन
- युयुत्सु का राजमहिलाओं के साथ हस्तिनापुर में जाना
- युयुधान
- युवनाश्व
- युवनाश्व (आर्द्र पुत्र)
- युवनाश्व (बहुविकल्पी)
- यूपकेतु
- ये अखियाँ बड़भागिनी -सूरदास
- ये दिन रूसिबे के नाही -सूरदास
- ये दिन रूसिबे के नाहीं -सूरदास
- ये दोऊ मेरे गाइ चरैया -सूरदास
- ये नन्दगाँव ते आये इहां उत आई -पद्माकर
- ये नैना अतिही चपल चोर -सूरदास
- ये नैना अतिहीं चपल चोर -सूरदास
- ये नैना अपस्वारथ के -सूरदास
- ये नैना मेरे ढीठ भए री -सूरदास
- ये नैना यौ आहिं हमारे -सूरदास
- ये नैना यौं आहिं हमारे -सूरदास
- ये लखि आवत मोहनलाल -सूरदास
- ये लोचन ललाची भए री -सूरदास
- ये सब मेरैहि खोज परी -सूरदास
- येई है जग जीवन माधौ -सूरदास
- येई हैं कुलदेव हमारे -सूरदास
- यो तो रंग धत्ताँ हि लाग्यो हे माय -मीराँबाई
- यो तो रंग धत्तां लग्यो ए माय -मीराँबाई
- योक्ता
- योग (महाभारत संदर्भ)
- योग और सांख्य के स्वरूप का वर्णन तथा आत्मज्ञान से मुक्ति
- योग का वर्णन व उससे परब्रह्म परमात्मा की प्राप्ति
- योग से परमात्मा की प्राप्ति का वर्णन
- योगगण
- योगधर्म का प्रतिपादनपूर्वक उसके फल का वर्णन
- योगमाया
- योगमायाकर
- योगमायी
- योगमार्ग के स्वरूप, साधन, फल और प्रभाव का वर्णन
- योगिनियाँ
- योगिनी
- योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय
- योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 1
- योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 10
- योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 100
- योगिराज श्रीकृष्ण -लाला लाजपतराय पृ. 101