"महाभारत अनुशासन पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 200 prishth haian, kul prishth 308 (पिछले 200) (अगले 200)अ अगस्त्य के कमलों की चोरी तथा ब्रह्मर्षियों और राजर्षियों की धर्मोपदेशपूर्ण शपथ अग्नि, लक्ष्मी, अंगिरा, गार्ग्य, धौम्य तथा जमदग्नि द्वारा धर्म के गूढ़ रहस्य का वर्णन अग्निपुत्र सुदर्शन की मृत्यु पर विजय अजमीढ के वंश का वर्णन अत्रि और च्यवन ऋषि के प्रभाव का वर्णन अन्धत्व और पंगुत्व आदि दोषों और रोगों के कारणभूत दुष्कर्मों का वर्णन अन्न और जल के दान की महिमा अन्न दान का विशेष माहात्म्य अन्न, सुवर्ण और गौदान का माहात्म्य अरुन्धती, धर्मराज और चित्रगुप्त द्वारा धर्म सम्बन्धी रहस्य का वर्णन अव्यक्तादि चौबीस तत्त्वों की उत्पत्ति आदि का वर्णन अशुभदान से भी शुभ फल की प्राप्ति अष्टावक्र का वदान्य ऋषि की कन्या से विवाह अष्टावक्र का स्त्रीरूपधारिणी उत्तर दिशा के साथ संवाद अष्टावक्र मुनि का उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान अहिंसा और इन्द्रिय संयम की प्रशंसाआ आयु की वृद्धि और क्षय करने वाले शुभाशुभ कर्मों का वर्णन आहार शुद्धि का वर्णनइ इन्द्र और तोते का स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुष की श्रेष्ठता विषयक संवाद इन्द्र का चुराये हुए कमलों को वापस देना इन्द्र द्वारा कमलों की चोरी तथा धर्मपालन का संकेत इन्द्र द्वारा मतंग को समझानाउ उत्तम और अधम कुल में जन्म दिलाने वाले कर्मों का वर्णन उपमन्यु का शिव विषयक आख्यान उपमन्यु को महादेव का वरदान उपमन्यु द्वारा महादेव की तपस्या उपमन्यु द्वारा महादेव की स्तुति उपमन्यु द्वारा शिवसहस्रनामस्तोत्र का वर्णन उपवास की विधि उमा-महेश्वर संवाद में महत्त्वपूर्ण विषयों का विवेचनऋ ऋषियों और राजाओं के मंगलमय नामों का कीर्तन-माहात्म्य ऋषियों का शिव की कृपा विषयक अपने-अपने अनुभव सुनाना ऋषियों का श्रीकृष्ण का प्रभाव देखना और उनसे वार्तालाप करनाक कन्या और विद्यादान का माहात्म्य कन्या के विवाह तथा कन्या और दौहित्र आदि के उत्तराधिकार का विचार कन्या विवाह के सम्बंध में पात्र विषयक विभिन्न विचार कप दानवों का स्वर्गलोक पर अधिकार कपिला गौओं की उत्पत्ति कपिला गौओं की महिमा का वर्णन कर्तव्यपालनपूर्वक शरीरत्याग का महान फल कर्मानुसार विभिन्न योनियों में पापियों के जन्म का उल्लेख कर्मों के फल का वर्णन कल्याणकारी आचार-व्यवहार का वर्णन काम, क्रोध आदि द्वारा देहत्याग करने से नरक की प्राप्ति कार्तवीर्य अर्जुन को वरदान प्राप्ति और उनमें अभिमान की उत्पत्ति का वर्णन कार्तिकेय और सुवर्ण की उत्पत्ति कार्तिकेय का देवसेनापति पद पर अभिषेक और तारकासुर का वध कार्तिकेय की उत्पत्ति और उनका पालन-पोषण कीड़े का क्षत्रिय योनि में जन्म तथा व्यासजी का दर्शन कीड़े का ब्राह्मण योनि में जन्म तथा सनातनब्रह्म की प्राप्ति कुबेर द्वारा अष्टावक्र का स्वागत-सत्कारग गंगा का भीष्म के लिए शोक प्रकट करना और श्रीकृष्ण का उन्हें समझाना गंगा का शिवतेज को धारण करना और फिर मेरुपर्वत पर छोड़ना गंगाजी के माहात्म्य का वर्णन गायत्री मंत्र का फल गुरुपूजा का महत्त्व गृहस्थधर्म तथा पंचयज्ञ विषयक पृथ्वीदेवी और श्रीकृष्ण का संवाद गृहस्थाश्रम के कर्तव्यों का विस्तारपूर्वक निरूपण गोदान एवं स्वर्ण दक्षिणा का माहात्म्य गोदान करने वाले नरेशों के नाम गोदान की महिमा गोदान की विधि और गौओं से प्रार्थना गोलोक तथा गोदान विषयक युधिष्ठिर और इन्द्र के प्रश्न गौओं और ब्राह्मणों की रक्षा से पुण्य की प्राप्ति गौओं की महिमा के प्रसंग में च्यवन मुनि के उपाख्यान का प्रारम्भ गौओं को तपस्या द्वारा अभीष्ट वर की प्राप्ति गौओं तथा गोदान की महिमा ग आगे. गौओं द्वारा लक्ष्मी को गोबर और गोमूत्र में स्थान देनाच च्यवन मुनि का मत्स्यों के साथ जाल में फँसना च्यवन मुनि का राजा कुशिक और उनकी रानी की सेवा से प्रसन्न होना च्यवन मुनि का राजा कुशिक के यहाँ अपने निवास का कारण बताना च्यवन मुनि का राजा कुशिक से वर माँगने के लिए कहना च्यवन मुनि के प्रभाव से राजा कुशिक और उनकी रानी को आश्चर्यमय दृश्यों का दर्शन च्यवन मुनि द्वारा गौओं का माहात्म्य कथन च्यवन मुनि द्वारा भृगुवंशी और कुशिकवंशियों के सम्बंध का कारण बताना च्यवन मुनि द्वारा मत्स्यों और मल्लाहों की सद्गति च्यवन मुनि द्वारा राजा कुशिक और उनकी रानी के धैर्य की परीक्षा च्यवन मुनि द्वारा राजा कुशिक को वरदानछ छत्र और उपानह की उत्पत्ति एवं दान की प्रशंसाज जपने योग्य मंत्र और सबेरे-शाम कीर्तन करने योग्य देवता जमदग्नि का सूर्य पर कुपित होना जलाशय बनाने तथा बगीचे लगाने का फल जिनका अन्न ग्रहण करने योग्य है और जिनका ग्रहण करने योग्य नहीं है, उन मनुष्यों का वर्णन जूता, शकट, तिल, भूमि, गौ और अन्न के दान का माहात्म्यत तप की प्रशंसा तथा गृहस्थ के उत्तम कर्तव्य का निर्देश तपस्वी श्रीकृष्ण के पास ऋषियों का आना तपस्वी सुवर्ण और मनु का संवाद तारकासुर के भय से देवताओं का ब्रह्मा की शरण में जाना तिल का दान और उसके फल का माहात्म्य तिल, जल, दीप तथा रत्न आदि के दान का माहात्म्य तीर्थस्थान की विधि त्रिवर्ग का निरूपणद दरिद्रों के लिए यज्ञतुल्य फल देने वाले उपवास-व्रत तथा उसके फल का वर्णन दान की प्रशंसा और कर्म का रहस्य दान के पाँच फल दान लेने और अनुचित भोजन करने का प्रायश्चित दान से स्वर्गलोक में जाने वाले राजाओं का वर्णन दानपात्र की परीक्षा दिग्गजों का धर्म सम्बन्धी रहस्य एवं प्रभाव दूसरे की गाय को चुराने और बेचने के दोष तथा गोहत्या के परिणाम देवता और पितरों के कार्य में आमन्त्रण देने योग्य पात्रों का वर्णन देवताओं द्वारा अग्नि की खोज देवशर्मा का विपुल को निर्दोष बताकर समझाना दैव और पुरुषार्थ तथा पुनर्जन्म का विवेचन दैव की अपेक्षा पुरुषार्थ की श्रेष्ठता का वर्णन दैव की प्रधानता द्वादशी तिथि को उपवास तथा विष्णु की पूजा का माहात्म्य द्वैपायन व्यास और एक कीड़े का वृत्तान्तध धर्म के विषय में आगम-प्रमाण की श्रेष्ठता धर्म के विषय में इन्द्र और बृहस्पति का संवाद धृतराष्ट्र द्वारा भीष्म का दाह संस्कार धृतराष्ट्ररूपधारी इन्द्र और गौतम ब्राह्मण का संवादन नरकगामी और स्वर्गगामी मनुष्यों के लक्षणों का वर्णन नहुष का ऋषियों पर अत्याचार नहुष का एक गौ के मोल पर च्यवन मुनि को खरीदना नहुष का पतन नाना प्रकार के दानों का फल नाना प्रकार के धर्म और उनके फलों का प्रतिपादन नाना प्रकार के पुत्रों का वर्णन नारद का पुण्डरीक को भगवान नारायण की आराधना का उपदेश नारद द्वारा पूजनीय पुरुषों के आदर-सत्कार से होने वाले लाभ का वर्णन नारद द्वारा पूजनीय पुरुषों के लक्षण नारद द्वारा हिमालय पर शिव की शोभा का विस्तृत वर्णन नित्यस्मरणीय देवता, नदी, पर्वत, ऋषि और राजाओं के नाम-कीर्तन का माहात्म्य निमि का पुत्र के निमित्त पिण्डदानप पंक्तिदूषक ब्राह्मणों का वर्णन पंक्तिपावन ब्राह्मणों का वर्णन पंचचूड़ा अप्सरा का नारद से स्त्री दोषों का वर्णन पतिव्रता स्त्रियों के कर्तव्य का वर्णन पाँच प्रकार के दानों का वर्णन पाप से छूटने के उपाय तथा अन्नदान की विशेष महिमा पापियों की नरकयातनाओं का वर्णन पापों से छूटने के विषय में महर्षि विद्युत्प्रभ और इन्द्र का संवाद पार्वती का देवताओं को शाप प आगे. पार्वती के द्वारा स्त्री-धर्म का वर्णन पाशुपत योग का वर्णन पितर और देवताओं का श्राद्धान्न से अजीर्ण होकर ब्रह्मा के पास जाना पिता के शाप से नचिकेता का यमराज के पास जाना पुण्य के विधान का वर्णन पूर्वजन्म की स्मृति का रहस्य प्रजापति मनु के वंश का वर्णन प्रतर्दन द्वारा वीतहव्य के पुत्रों का वध प्रमथगणों द्वारा धर्माधर्म सम्बन्धी रहस्य का कथन प्रवृत्ति-निवृत्तिरूप धर्म का निरूपण प्राणियों के चार भेदों का निरूपणब बड़े और छोटे भाई के पारस्परिक बर्ताव का वर्णन बन्धन मुक्ति, स्वर्ग, नरक एवं दीर्घायु और अल्पायु प्रदान करने वाले कर्मों का वर्णन बृहस्पति और युधिष्ठिर का संवाद बृहस्पति का युधिष्ठिर को अहिंसा एवं धर्म की महिमा बताना ब्रह्मर्षि अगस्त्य और वसिष्ठ के प्रभाव का वर्णन ब्रह्मस्व की रक्षा में प्राणोत्सर्ग से चांडाल को मोक्ष की प्राप्ति ब्रह्महत्या के समान पापों का निरूपण ब्रह्मा और भगीरथ का संवाद ब्रह्मा का इन्द्र को गोदान की महिमा बताना ब्रह्मा का इन्द्र को गोलोक और गौओं का उत्कर्ष बताना ब्रह्मा का इन्द्र को गोलोक की महिमा बताना ब्रह्मा का गौओं को वरदान देना ब्रह्मा का देवताओं को आश्वासन ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों की महत्ता का वर्णन ब्राह्मण आदि वर्णों की दायभाग विधि का वर्णन ब्राह्मण और राक्षस का सामगुण विषयक वृत्तान्त ब्राह्मण के धन का अपहरण विषयक क्षत्रिय और चांडाल का संवाद ब्राह्मण प्रशंसा विषयक इन्द्र और शम्बरासुर का संवाद ब्राह्मण विषयक सियार और वानर के संवाद का वर्णन ब्राह्मणत्व हेतु तपस्यारत मतंग की इन्द्र से बातचीत ब्राह्मणशिरोमणि उतथ्य के प्रभाव का वर्णन ब्राह्मणादि वर्णों की प्राप्ति में शुभाशुभ कर्मों की प्रधानता का वर्णन ब्राह्मणों की महिमा का वर्णन ब्राह्मणों की महिमा विषयक कार्तवीय अर्जुन और वायु देवता का संवाद ब्राह्मणों द्वारा कप दानवों को भस्म करनाभ भगवान विष्णु और भीष्म द्वारा धर्म सम्बन्धी रहस्यों के माहात्म्य का वर्णन भगवान शंकर के माहात्म्य का वर्णन भिक्षुरूपधरी इन्द्र द्वारा कृत्या का वध तथा सप्तर्षियों की रक्षा भीष्म का धृतराष्ट्र और युधिष्ठिर को कर्तव्य का उपदेश देना भीष्म का पिता शान्तनु को कुश पर पिण्ड देना भीष्म का प्राणत्याग भीष्म का युधिष्ठिर को गृहस्थ के धर्मों का रहस्य बताना भीष्म का युधिष्ठिर को स्त्रियों की रक्षा हेतु आदेश भीष्म का युधिष्ठिर से कृतघ्न की गति और प्रायश्चित का वर्णन भीष्म का शरीर, वाणी और मन से होने वाले पापों के परित्याग का उपदेश भीष्म का शुभाशुभ कर्मों को ही सुख-दु:ख की प्राप्ति का कारण बताना भीष्म का श्रीकृष्ण आदि से देहत्याग की अनुमति लेना भीष्म का श्रीकृष्ण से महादेव का माहात्म्य बताने का अनुरोध भीष्म की अनुमति से युधिष्ठिर का सपरिवार हस्तिनापुर प्रस्थान भीष्म के अन्त्येष्टि संस्कार की सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदि का आगमन भीष्म द्वारा उत्तम दान तथा उत्तम ब्राह्मणों की प्रशंसा भीष्म द्वारा उत्तम ब्राह्मणों के सत्कार का उपदेश भीष्म द्वारा गौतमी ब्राह्मणी, व्याध, सर्प, मृत्यु और काल के संवाद का वर्णन भीष्म द्वारा धर्माधर्म के फल का वर्णन भीष्म द्वारा युधिष्ठिर से ब्राह्मण के महत्त्व का वर्णन भीष्म द्वारा श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन भीष्म द्वारा श्रेष्ठ ब्राह्मणों की प्रशंसा भूमिदान का महत्त्व भूमिदान के महत्त्व का वर्णन भूमिदान विषयक इन्द्र और बृहस्पति का संवाद भृगुवंशी विपुल द्वारा योगबल से गुरुपत्नी की रक्षाम मतंग की तपस्या और इन्द्र का उसे वरदान मद्य और मांस भक्षण के दोष तथा उनके त्याग की महिमा मद्यसेवन के दोषों का वर्णन मनुष्य को बुद्धिमान, मन्दबुद्धि तथा नपुंसक बनाने वाले कर्मों का वर्णन (पिछले 200) (अगले 200)