"महाभारत द्रोण पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 181 prishth haian, kul prishth 381 (पिछले 200) (अगले 200)ध धृतराष्ट्र का खेदपूर्वक भीमसेन के बल का वर्णन और अपने पुत्रों की निन्दा धृतराष्ट्र का पश्चाताप और संजय का उत्तर धृतराष्ट्र का प्रश्न धृतराष्ट्र का विलाप धृतराष्ट्र का शोक से व्याकुल होना और संजय से युद्ध विषयक प्रश्न करना धृतराष्ट्र का श्रीकृष्ण और अर्जुन की महिमा बताना धृतराष्ट्र का श्रीकृष्ण की संक्षिप्त लीलाओं का वर्णन करना धृतराष्ट्र का संजय से विषादयुक्त वचन धृष्टद्युम्न और दुर्मुख का युद्ध धृष्टद्युम्न का दु:शासन को हराकर द्रोणाचार्य पर आक्रमण धृष्टद्युम्न का द्रोणाचार्य पर आक्रमण और घोर युद्ध धृष्टद्युम्न का द्रोणाचार्य से युद्ध धृष्टद्युम्न का पलायन और द्रोणाचार्य की विजय धृष्टद्युम्न की प्रतिज्ञा और दोनों दलों में घमासान युद्ध धृष्टद्युम्न के द्वारा अपने कृत्य का समर्थन धृष्टद्युम्न द्वारा द्रुमसेन का वध धृष्टद्युम्न द्वारा द्रोणाचार्य के मस्तक का उच्छेद धृष्टद्युम्न से कौरव सेना की पराजयन नकुल के द्वारा दुर्योधन की पराजय नकुल के द्वारा शकुनि की पराजय नारद की कृपा से राजा सृंजय को पुत्र की प्राप्ति नारद द्वारा सृंजय के पुत्र को जीवित करना नारद द्वारा सृंजय को मरुत्त का चरित्र सुनाना नारद-अकम्पन संवाद का उपंसहार नारायणास्त्र के प्रयोग से युधिष्ठिर का खेद निरमित्र तथा व्याघ्रदत्त का वध और दुर्मुख तथा विकर्ण की पराजयप परशुराम का चरित्र पहले भीम की और पीछे कर्ण की विजय पांडव वीरों का द्रोणाचार्य पर आक्रमण पांडव सेना के महारथियों के रथ, घोड़े, ध्वज तथा धनुषों का वर्णन पांडव सैनिकों की अर्जुन के लिए शुभाशंसा पांडवों और पांचालों का कर्ण पर आक्रमण तथा कर्ण का पराक्रम पांडवों का द्रोणाचार्य पर आक्रमण पांडवों के साथ दुर्योधन का संग्राम प्रतिबिन्ध्य एवं दु:शासन का युद्धब ब्रह्मा द्वारा मृत्यु को वर की प्राप्तिभ भगदत्त और उसके हाथी का भयानक पराक्रम भगवान श्रीराम का चरित्र भीम और अश्वत्थामा का घोर युद्ध भीम और दुर्योधन का युद्ध तथा दुर्योधन का पलायन भीम का वीरोचित उद्गार और उन पर नारायणास्त्र का प्रबल आक्रमण भीम, सहदेव तथा युधिष्ठिर द्वारा सात्यकि और धृष्टद्युम्न को लड़ने से रोकना भीमसेन और अर्जुन का आक्रमण तथा कौरव सेना का पलायन भीमसेन और अलायुध का घोर युद्ध भीमसेन और कर्ण का घोर युद्ध भीमसेन और कर्ण का भयंकर युद्ध भीमसेन और कर्ण का युद्ध तथा कर्ण का पलायन भीमसेन और कर्ण का युद्ध तथा कर्ण की पराजय भीमसेन का कर्ण से युद्ध तथा दुर्योधन के सात भाइयों का वध भीमसेन का कौरव महारथियों के साथ संग्राम भीमसेन का कौरव सेना में प्रवेश भीमसेन का द्रोणाचार्य के रथ को आठ बार फेंकना भीमसेन का पराक्रम तथा धृतराष्ट्र के सात पुत्रों का वध भीमसेन का भगदत्त के हाथी के साथ युद्ध भीमसेन की गर्जना सुनकर युधिष्ठिर का प्रसन्न होना भीमसेन के वीरोचित उद्गार भीमसेन द्वारा अलम्बुष की पराजय भीमसेन द्वारा कर्ण की पराजय भीमसेन द्वारा कर्ण के सारथि सहित रथ का विनाश भीमसेन द्वारा द्रोणाचार्य के सारथि सहित रथ को चूर्ण करना भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्र के ग्यारह पुत्रों का वध भ आगे. भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्र के दस पुत्रों और शकुनि के पाँच भाइयों का वध भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्र के पाँच पुत्रों का वध भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्रपुत्र दुर्जय का वध भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्रपुत्र दुर्मुख का वध भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्रपुत्र दुष्कर्ण और दुर्मद का वध भीमसेन द्वारा ध्रुव, जयरात एवं कलिंग राजकुमार का वध भीष्म का कर्ण को प्रोत्साहन देकर युद्ध के लिए भेजना भीष्म के धराशायी होने से कौरवों का शोक भीष्म के प्रति कर्ण का कथन भूरिश्रवा और सात्यकि का रोषपूर्ण सम्भाषण और युद्ध भूरिश्रवा का अर्जुन को उपालम्भ देना और अर्जुन का उत्तर भूरिश्रवा का आमरण अनशन भूरिश्रवा द्वारा सात्यकि के अपमानित होने का कारणम मृत्यु की उत्पत्ति मृत्यु की घोर तपस्याय युद्धस्थल की भीषण अवस्था का वर्णन युधामन्यु तथा उत्तमौजा का दुर्योधन के साथ युद्ध युधिष्ठिर और अभिमन्यु का संवाद युधिष्ठिर का अर्जुन को आशीर्वाद युधिष्ठिर का द्रोणाचार्य से युद्ध और रणभूमि से पलायन युधिष्ठिर का ब्राह्मणों को दान देना युधिष्ठिर का भीमसेन को अर्जुन और सात्यकि का पता लगाने के लिए भेजना युधिष्ठिर का विलाप युधिष्ठिर का शोक और श्रीकृष्ण तथा व्यास द्वारा उसका निवारण युधिष्ठिर का सात्यकि को कौरव सेना में प्रवेश करने का आदेश युधिष्ठिर के पास व्यास का आगमन युधिष्ठिर द्वारा अर्जुन को अभिमन्युवध का वृत्तान्त सुनाना युधिष्ठिर द्वारा अर्जुन, भीम एवं सात्यकि का अभिनन्दन युधिष्ठिर द्वारा भागती हुई पांडव सेना को आश्वासन युधिष्ठिर द्वारा श्रीकृष्ण का पूजन युधिष्ठिर द्वारा श्रीकृष्ण की स्तुतिर रणनदी का वर्णन राजा अम्बरीष का चरित्र राजा गय का चरित्र राजा दिलीप का उत्कर्ष राजा पृथु का चरित्र राजा पौरव के अद्भुत दान का वृत्तान्त राजा भगीरथ का चरित्र राजा भरत का चरित्र राजा मान्धाता की महत्ता राजा ययाति का उपाख्यान राजा रन्तिदेव की महत्ता राजा शशबिन्दु का चरित्र राजा शिबि के यज्ञ और दान की महत्ता राजा सुहोत्र की दानशीलता रात्रियुद्ध में पांडव सैनिकों का द्रोणाचार्य पर आक्रमणव वृषसेन का पराक्रम तथा कौरव-पांडव वीरों का तुमुल युद्ध वृषसेन के द्वारा द्रुपद की पराजय वृष्णिवंशी वीरों की प्रशंसा व्यास का अर्जुन से शिव की महिमा बताना व्यास का अश्वत्थामा को शिव और श्रीकृष्ण की महिमा बताना व्यास का युधिष्ठिर को समझाकर अन्तर्धान होना व्यास द्वारा मृत्यु की उत्पत्ति का प्रसंग आरम्भ करनाश शंकर और ब्रह्मा का संवाद शकुनि का पांडव सेना पर आक्रमण शकुनि की माया और अर्जुन द्वारा उसकी पराजय शतानीक के द्वारा चित्रसेन की पराजय शल्य का मूर्छित होना और कौरव सेना का पलायन शल्य द्वारा विराट के भाई शतानीक का वध और विराट की पराजय शल्य से भीमसेन का युद्ध तथा शल्य की पराजय शिखण्डी और कृपाचार्य का घोर युद्ध श आगे. श्रीकृष्ण और अर्जुन का घटोत्कच को कर्ण के साथ युद्ध हेतु भेजना श्रीकृष्ण और अर्जुन को आगे बढ़ा देख कौरव सैनिकों की निराशा श्रीकृष्ण और अर्जुन पर आग्नेयास्त्र का प्रभाव न होने से अश्वत्थामा की चिन्ता श्रीकृष्ण का अर्जुन की प्रशंसापूर्वक प्रोत्साहन देना श्रीकृष्ण का अर्जुन को कौरवों के जयद्रथ की रक्षा विषयक उद्योग का समाचार बताना श्रीकृष्ण का अर्जुन को जरासंध आदि के वध करने का कारण बताना श्रीकृष्ण का अर्जुन को प्रतिज्ञा पूर्ण होने पर बधाई देना श्रीकृष्ण का अर्जुन को रणभूमि का दृश्य दिखाते हुए युधिष्ठिर के पास जाना श्रीकृष्ण का अर्जुन को सात्यकि के आगमन की सूचना देना श्रीकृष्ण का भीम को रथ से उतारकर नारायणास्त्र को शान्त करना श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को अर्जुन की विजय का समाचार सुनाना श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को द्रोणाचार्य से दूर रहने का आदेश श्रीकृष्ण का सुभद्रा को आश्वासन श्रीकृष्ण के बताये हुए उपाय से सैनिकों की रक्षा श्रीकृष्ण द्वारा अश्वपरिचर्या श्रीकृष्ण द्वारा भगदत्त के वैष्णवास्त्र से अर्जुन की रक्षा श्रुतायुध का अपनी ही गदा से वधस संकुल युद्ध में गजसेना का संहार संजय का धृतराष्ट्र को उपालम्भ संजय का धृतराष्ट्र को दोषी बताना संजय द्वारा अभिमन्यु की प्रशंसा संशप्तक सेनाओं के साथ अर्जुन का युद्ध संशप्तकगणों के साथ अर्जुन का घोर युद्ध सात्यकि और उनके सारथि का संवाद सात्यकि और कर्ण का युद्ध सात्यकि और द्रोणाचार्य का घोर युद्ध सात्यकि और धृष्टद्युम्न का परस्पर क्रोधपूर्ण वाग्बाणों से लड़ना सात्यकि और युधिष्ठिर का संवाद सात्यकि और श्रीकृष्ण के साथ अर्जुन की रणयात्रा सात्यकि का अद्भुत पराक्रम सात्यकि का अश्वत्थामा से घोर युद्ध सात्यकि का कृतवर्मा से युद्ध सात्यकि का घोर युद्ध और दु:शासन की पराजय सात्यकि का दुर्योधन, कृपाचार्य, कृतवर्मा, कर्ण और वृषसेन को भगाना सात्यकि का द्रोणाचार्य से युद्ध सात्यकि का पराक्रम सात्यकि का पराक्रम तथा दुर्योधन और कृतवर्मा की पुन: पराजय सात्यकि का भीम को युधिष्ठिर की रक्षा हेतु लौटाना सात्यकि की अर्जुन के पास जाने की तैयारी और उनका प्रस्थान सात्यकि की शूरवीरता और प्रशंसा सात्यकि के आगमन से अर्जुन की चिन्ता सात्यकि द्वारा अलम्बुष का और दु:शासन के घोड़ों का वध सात्यकि द्वारा काम्बोजों और यवन आदि सेना की पराजय सात्यकि द्वारा कृतवर्मा की पराजय सात्यकि द्वारा जलसंध का वध सात्यकि द्वारा त्रिगर्तों की गजसेना का संहार सात्यकि द्वारा दुर्योधन की सेना का संहार सात्यकि द्वारा द्रोण की पराजय और कौरव सेना का पलायन सात्यकि द्वारा धृष्टद्युम्न की रक्षा सात्यकि द्वारा पाषाणयोधी म्लेच्छों की सेना का संहार सात्यकि द्वारा भूरि का वध सात्यकि द्वारा भूरिश्रवा का वध सात्यकि द्वारा सुदर्शन का वध सात्यकि द्वारा सोमदत्त का वध सात्यकि से दुर्योधन की पराजय सुभद्रा का विलाप और श्रीकृष्ण द्वारा आश्वासन सुशर्मा आदि संशप्तक वीरों की प्रतिज्ञा सोमदत्त और सात्यकि का युद्ध तथा सोमदत्त की पराजय सोमदत्त की मूर्छा तथा भीमसेन द्वारा बाह्लीक का वध (पिछले 200) (अगले 200)