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- नौकर्णी
- नौका हौं नाहीं लै आऊँ -सूरदास
- नौकाजीवी
- नौबंधन
- नौबन्धन
- न्यंकु
- न्यग्रोध
- न्यग्रोध (उग्रसेन पुत्र)
- न्यग्रोध (बहुविकल्पी)
- न्याय तजी स्यामा गोपाल -सूरदास
- न्याय तजो स्यामा गोपाल -सूरदास
- न्हात नंद सुधि करी स्याम की -सूरदास
- पंकज-नैनी जय राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पंकजवन
- पंकजित
- पंकजित्
- पंकदिग्धांग
- पंक्तिदूषक ब्राह्मणों का वर्णन
- पंक्तिपावन ब्राह्मणों का वर्णन
- पंचक
- पंचकन्या
- पंचकर्पट
- पंचकष्ट
- पंचगण
- पंचचूड़ा
- पंचचूड़ा अप्सरा का नारद से स्त्री दोषों का वर्णन
- पंचजन
- पंचजन्य
- पंचजन्य शंख
- पंचतत्त्व
- पंचनद (महाभारत)
- पंचनद तीर्थ
- पंचबाण
- पंचभूतों के गुणों का विस्तार और परमात्मा की श्रेष्ठता का वर्णन
- पंचमहाभूतों के गुणों का विस्तारपूर्वक वर्णन
- पंचमहाभूतों द्वारा सुदर्शन द्वीप का संक्षिप्त वर्णन
- पंचमहायज्ञ का वर्णन
- पंचमी
- पंचमी (बहुविकल्पी)
- पंचमी नदी
- पंचयक्षा
- पंचवटी तीर्थ
- पंचवीर्य
- पंचशिख
- पंचशिख (बहुविकल्पी)
- पंचशिख (ब्रह्मा पुत्र)
- पंचश्रोतस
- पंचामृत
- पंचाल
- पंडवों का संदेश लेकर उलूक का लौटना
- पंडितक
- पंढरपुर
- पंथी इतनी कहियौ बात -सूरदास
- पक्षालिका
- पग घुँघुरू बाँध मीरा नाची, रे -मीराँबाई
- पग घुंघरू बांध मीरा नाची रे -मीराँबाई
- पञ्चबाण
- पञ्चवक्त्र
- पञ्चशिख और जनक का संवाद
- पञ्चशिख के द्वारा मोक्षतत्त्व के विवेचन का वर्णन
- पटच्चर
- पटच्चर (जाति)
- पटच्चर (बहुविकल्पी)
- पटवासक
- पटह
- पटी
- पटुश
- पट्टराज्ञीभि आरात संस्तुत धनी
- पट्टिश अस्त्र
- पठवत जोग कछू जिय लाज न -सूरदास
- पढ़ौ भाइ, राम-मुकुंद-मुरारि -सूरदास
- पढौ भाइ, राम-मुकुंद ‘मुरारि -सूरदास
- पणव
- पण्डित (महाभारत संदर्भ)
- पण्डितक
- पण्ढरपुर
- पतंग (देवकी पुत्र)
- पतंग की गुडी उडावन लागे व्रजबाल -परमानंददास
- पतन
- पताका
- पताकी
- पताकी (बहुविकल्पी)
- पताकी (योद्धा)
- पताल
- पति
- पति-पत्नी का अध्यात्मविषयक संवाद
- पति (महाभारत संदर्भ)
- पतित नहीं जो होते जग में -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पतित पावन हरि -सूरदास
- पतितपावन जानि सरन आयो -सूरदास
- पतियां मैं कैसे लिखूं -मीराँबाई
- पतिव्रता स्त्रियों के कर्तव्य का वर्णन
- पतिव्रता स्त्री और माता-पिता की सेवा का माहात्म्य
- पत्ति
- पत्ति (जनपद)
- पत्ति (बहुविकल्पी)
- पत्नी
- पत्रोर्ण
- पत्नी
- पथिक, कहियो हरि सौ यह बात -सूरदास
- पथिक कह्यौ ब्रज -सूरदास
- पथिक कह्यौ ब्रज जाइ -सूरदास
- पथिकृत
- पथिकृत्
- पद (महाभारत संदर्भ)
- पद रत्नाकर
- पदमावती
- पदाति
- पद्म
- पद्म-सौगन्धिक
- पद्म (अनुचर)
- पद्म (निधि)
- पद्म (बहुविकल्पी)
- पद्म (राजा)
- पद्म धर्यो जन ताप निवारण -परमानंददास
- पद्म पुराण
- पद्म सौगन्धिक
- पद्मक
- पद्मकेतन
- पद्मज
- पद्मनाभ
- पद्मनाभ (कृष्ण)
- पद्मनाभ (बहुविकल्पी)
- पद्मनाभ (महानाग)
- पद्मनेत्र
- पद्मपुराण
- पद्मसर
- पद्महार
- पद्मा
- पद्माकर
- पद्मावती
- पद्मावती (जयदेव पत्नी)
- पद्मावती (नदी)
- पद्मावती (बहुविकल्पी)
- पद्मावती (मातृका)
- पद्मिनि सारँग एक मझारि -सूरदास
- पनघट पर हरि करत अचगरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पनघट रोके रहत कन्हाई -सूरदास
- पनस
- पन्नग अस्त्र
- पपइया रे, पिव की वाणि न बोल -मीरां
- पपइया रे पिव की बाणि न बोल -मीराँबाई
- पपीया रे पीव की बानी न बोलि -मीराँबाई
- पपीया रे पीवकी बानी न बोलि -मीराँबाई
- पपीहा माई बोलि -सूरदास
- पम्पा
- पयस्य
- पयहारी कृष्णदास
- पयोदा
- पयोष्णी
- पयोष्णी, नर्मदा तथा वैदूर्य पर्वत का माहात्म्य
- पर (कृष्ण)
- पर (बहुविकल्पी)
- पर (विश्वामित्र पुत्र)
- पर जिनमें अपनी रुचि कुछ भी नहीं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पर पूरुष
- परंतप
- परकायप्रवेश सिद्धि
- परत मन छिन नैकहु नहिं चैन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परतंगण
- परद्रुमा
- परन्तप
- परपुरंजय
- परबत पहिलेहि खोदि बहाऊं -सूरदास
- परबत पहिलेहिं खोदि बहाऊँ -सूरदास
- परब्रह्म की प्राप्ति का उपाय
- परम कृपाल श्री वल्लभ नंदन -कृष्णदास
- परम गुरु राम मिलावनहार -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम गोप्य अतिसय अमल -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम चतुर वृषभानु दुलारी -सूरदास
- परम पद
- परम प्रेम-आनंदमय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम प्रेममयी श्रीराधा-गोपीजन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम बियोगिनी सब ठाढ़ी -सूरदास
- परम सत्य जो नित्य हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम सनेही राम की निति ओलूंरी आवै -मीराँबाई
- परमकाम्बोज
- परमक्रोधी
- परमधन राधे नाम अधार
- परमपद
- परमात्मतत्त्व का निरूपण
- परमात्मा
- परमात्मा (महाभारत)
- परमात्मा (महाभारत संदर्भ)
- परमात्मा (महाभारत संदर्भ))
- परमात्मा की प्राप्ति का साधन
- परमात्मा की श्रेष्ठता व दर्शन का उपाय
- परमात्मा प्राप्ति के अन्य साधनों का वर्णन
- परमानंद दास
- परमानंददास
- परमानंददास के पद
- परमानन्द दास
- परमानन्ददास
- परमेश्वरी
- परमेष्ठी
- परमेष्ठी दर्जी
- परलोक से आये व्यक्तियों का रागद्वेषरहित होकर मिलना
- परशु अस्त्र
- परशुराम
- परशुराम अवतार की संक्षिप्त कथा
- परशुराम और भीष्म का घोर युद्ध
- परशुराम और भीष्म का युद्ध हेतु कुरुक्षेत्र में उतरना
- परशुराम और भीष्म का रोषपूर्ण वार्तालाप
- परशुराम का अपनी माता का मस्तक काटना
- परशुराम का चरित्र
- परशुराम का तपस्या के द्वारा सिद्धि प्राप्त करना
- परशुराम का पृथ्वी को नि:क्षत्रिय करना
- परशुराम कुण्ड
- परशुराम के उपाख्यान क्षत्रियों का विनाश तथा पुन: उत्पन्न होने की कथा
- परशुराम के द्वारा क्षत्रिय कुल का संहार
- परशुराम के साथ भीष्म द्वारा युद्ध प्रारम्भ करना
- परशुराम को तीर्थस्नान द्वारा तेज की प्राप्ति
- परशुराम जयन्ती
- परशुराम द्वारा कर्ण को दिव्यास्त्र प्राप्ति का वर्णन
- परशुराम द्वारा नर-नारायणरूप कृष्ण-अर्जुन का महत्त्व वर्णन
- परशुराम द्वारा होने वाले क्षत्रिय संहार के विषय में युधिष्ठिर का प्रश्न
- परशुरामकुंड
- परशुरामकुण्ड
- परशुरामदेव
- परशुवन
- परश्वध
- परसत चरन चलत सब घर कौं -सूरदास
- परसपर स्याम ब्रज-बाम सोहै -सूरदास
- परसपर स्याम ब्रज बाम सोहै -सूरदास
- परसपर स्याम ब्रज बाम सोहैं -सूरदास
- परसुराम जदमग्नि-गेह लीनौ अवतारा -सूरदास
- परसुराम तेहिं औसर आए -सूरदास
- परसों गाँव
- परहा
- परा-दृष्टि
- पराक्रम (महाभारत संदर्भ)
- पराजय (महाभारत संदर्भ)
- पराजित
- परात्पर श्रीकृष्णावतार का प्रयोजनविमर्श -धराचार्य शास्त्री
- परात्परतरा
- परात्मा
- परानन्दद
- परान्त
- पराभद्रा
- परायण
- परार्द्धम
- परावसु
- पराशर
- पराशर (बहुविकल्पी)
- पराशर (साँप)
- पराशर ऋषि
- पराशर मुनि का राजा जनक को कल्याण की प्राप्ति के साधन का उपदेश
- परिक्रमा
- परिक्षित
- परिघ
- परिघ अस्त्र
- परिपूर्णतम
- परिबर्ह
- परियात्र
- परिव्याध
- परिव्राज्य या संन्यास संस्कार
- परिश्रम (महाभारत संदर्भ)
- परिश्रुत
- परिश्रुत (बहुविकल्पी)
- परिश्रुत मधु
- परिष्वंग
- परी तब तैं ठगमूरि ठगौरी -सूरदास
- परी पुकार द्वार गृह गृह तै -सूरदास
- परी मेरै नैननि ऐसी बानि -सूरदास
- परी मेरैं नैननि ऐसी बानि -सूरदास
- परीक्षा (महाभारत संदर्भ)
- परीक्षित
- परीक्षित (अनश्वान के पुत्र)
- परीक्षित (अविक्षित के पुत्र)
- परीक्षित (इक्ष्वाकु वंश)
- परीक्षित (बहुविकल्पी)
- परीक्षित का उपाख्यान
- परीक्षित के धर्ममय आचार
- परीक्षित को जिलाने के लिए सुभद्रा की श्रीकृष्ण से प्रार्थना
- परीक्षित जन्म
- परीक्षित द्वारा शमीक मुनि का तिरस्कार
- परेखौ कौन बोल कौ कीजै -सूरदास
- परेश
- पर्जन्य
- पर्जन्य (गोप)
- पर्जन्य (बहुविकल्पी)
- पर्जन्य अस्त्र
- पर्जन्य गोप
- पर्जन्यास्त्र
- पर्णशाला
- पर्णाद
- पर्णाद (ऋषि)
- पर्णाद (बहुविकल्पी)
- पर्णाशा
- पर्णाशा नदी
- पर्वण
- पर्वत
- पर्वत (गन्धर्व)
- पर्वत (देवर्षि)
- पर्वत (बहुविकल्पी)
- पर्वतास्त्र
- पर्वर्ण
- पल भर नहीं छोड़ते बनता -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पलक-ओट नहिं होत कन्हाई -सूरदास
- पलना झूलौ मेरे लाल पियारे -सूरदास
- पलना स्याम झुलावति जननी -सूरदास
- पलसों गाँव
- पलाला
- पलाश
- पलाश तीर्थ
- पल्लवाङ्घ्रि
- पवन
- पवन-पुत्र बोल्यौ सतिभाइ -सूरदास
- पवित्र (कार्तिकेय)
- पवित्र व्रज-लीला -एक विचारशील सज्जन
- पवित्रपाणि
- पवित्रा
- पवित्रा नदी
- पशुदा
- पशुपतिनाथ
- पशुसख
- पश्चिम अनूप
- पहले भीम की और पीछे कर्ण की विजय
- पहिलै प्रनाम नंदराइ सौ -सूरदास
- पहिलै प्रीति करि कहा पोच लागे करन -सूरदास
- पहिलै हौं ही हो तब एक -सूरदास
- पाँच प्रकार के दानों का वर्णन
- पाँच बरस के लाल ह्वै -सूरदास
- पाँचों पाण्डवों का द्रौपदी के साथ विवाह
- पाँचों पाण्डवों का द्रौपदी के साथ विवाह का विचार
- पाँडव
- पाँड़े नहिं भोग लगावन पावै -सूरदास
- पाँडे़ नहिं भोग लगावन पावै -सूरदास
- पांचजन्य
- पांचजन्य (बहुविकल्पी)
- पांचजन्य (शंख)
- पांचजन्य अग्नि की उत्पत्ति
- पांचजन्य अग्नि की संतति का वर्णन
- पांचजन्य शंख
- पांचाल
- पांचाली
- पांचालों के वध का वृतांत सुनकर दुर्योधन का प्राण त्यागना
- पांचाल्य
- पांडय
- पांडय (बहुविकल्पी)
- पांडय (राजा)
- पांडर
- पांडव
- पांडव-कौरव सेनाओं का परस्पर घोर युद्ध
- पांडव जन्म