"वंदना एवं प्रार्थना" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 158 prishth haian, kul prishth 158 अ अपने अघ-सागर अगाध को -हनुमान प्रसाद पोद्दार अब कित जाऊँ जी -हनुमान प्रसाद पोद्दार अब मोहि एक भरोसौ तेरौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार अब हरि एक भरोसो तेरौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार अर्पण मेरे हैं सदा तुम में -हनुमान प्रसाद पोद्दार अष्ट सखी करतीं सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दारआ आते हो तुम बार-बार प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार आयौ चरन तकि सरन तिहारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार आर्त-त्राण परायण, सहज सुहृद -हनुमान प्रसाद पोद्दारक कभी तथागत बन इतराता -हनुमान प्रसाद पोद्दार कर प्रणाम तेरे चरणों में -हनुमान प्रसाद पोद्दार करुणामय! उदार चूड़ामणि! प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार करो प्रभु! ऐसी दृष्टि-प्रदान -हनुमान प्रसाद पोद्दार करौ कृपा श्रीराधिका -हनुमान प्रसाद पोद्दार करौ, प्रभु! ऐसी कृपा महान -हनुमान प्रसाद पोद्दार कहाँ तुच्छ सब, कहाँ महत् तुम -हनुमान प्रसाद पोद्दार किया न मैंने भूलकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार किया नहीं मैंने सहर्ष प्रभु का -हनुमान प्रसाद पोद्दार किसी काम का नहीं जगत में -हनुमान प्रसाद पोद्दार कृपा जो राधाजू की चहिए -हनुमान प्रसाद पोद्दार केवल तुम्हें पुकारूँ प्रियतम -हनुमान प्रसाद पोद्दार कैसे लूँ मैं नाम तुम्हारा -हनुमान प्रसाद पोद्दार कैसैं बिनय सुनावौं, स्वामी -हनुमान प्रसाद पोद्दार को अपराधी मो सम आन -हनुमान प्रसाद पोद्दार कोई कहते संत मुझे -हनुमान प्रसाद पोद्दार क्रोध-मोह मद-अघ भर्यौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार क्षुद्र स्वार्थ का नाश करो प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दारख खड़ा अपराधी प्रभु के द्वार -हनुमान प्रसाद पोद्दारग गुनाहों से भरी है यह -हनुमान प्रसाद पोद्दारच चावभरे चित चँवर डुलाती अविरत -हनुमान प्रसाद पोद्दारछ छुड़ा दो विषयों का अभिमान -हनुमान प्रसाद पोद्दारज जनम सब बीत्यौ अघ कें काम -हनुमान प्रसाद पोद्दार जब तक जग में रहते मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार जय वसुदेव-देवकीनन्दन -हनुमान प्रसाद पोद्दार जयति देव, जयति देव -हनुमान प्रसाद पोद्दार जयति राधिका जीवन -हनुमान प्रसाद पोद्दार जला दो उर मेरे विरहानल -हनुमान प्रसाद पोद्दार जिन लक्ष्मी की रूप-माधुरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार जिन श्रीराधा के करैं नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार जिसने शुभ-धारा सब खोई -हनुमान प्रसाद पोद्दार जीवन को संगीत बना दो -हनुमान प्रसाद पोद्दार जो चाहो तुम, जैसे चाहो -हनुमान प्रसाद पोद्दार ज्ञानी-मुक्त, सिद्ध-योगी कोई -हनुमान प्रसाद पोद्दारत तुमने दिया सदा ही मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार तोड़-फोड़कर मुझे बना लो -हनुमान प्रसाद पोद्दारद दयामय! मोहि दासता दीजै -हनुमान प्रसाद पोद्दार दयामयि स्वामिनि परम उदार -हनुमान प्रसाद पोद्दार दिन-रजनी, तरु-लता -हनुमान प्रसाद पोद्दार दीनबन्धु करुणा-वरुणालय -हनुमान प्रसाद पोद्दार दीनबन्धो कृपासिन्धो -हनुमान प्रसाद पोद्दार दुख दूर मत करो नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दारन नहीं गर्भगृह ऐसा जिसमें नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं नापाक, नालायक खलक में -हनुमान प्रसाद पोद्दार न आगे. नाथ अब कैसे हो कल्याण -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ अब लीजै मोहि उबार -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ थाँरै सरण पड़ी दासी -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ थाँरै सरणै आयो जी -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ मनें अबकी बार बचाओ -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ मैं थारो जी थारो -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ हौं केहि बिधि करौं पुकार -हनुमान प्रसाद पोद्दार नाथ हौं निपट निरंकुस नीच -हनुमान प्रसाद पोद्दार निन्द्य-नीच, पामर परम -हनुमान प्रसाद पोद्दार नीच मैं मूढ़ दोष की खान -हनुमान प्रसाद पोद्दारप पतित नहीं जो होते जग में -हनुमान प्रसाद पोद्दार परम गुरु राम मिलावनहार -हनुमान प्रसाद पोद्दार परम सत्य जो नित्य हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु तव चरन किमि परिहरौं -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु तुम अपनो बिरद सँभारौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु मेरो मन ऐसो ह्वै जावै -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु! तुम अपनौ बिरद सँभारौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु! मोहि देउ साँचौ प्रेम -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभो कृपा कर मुझे बना लो -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभो यह कैसा बेढब मोह -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभो! मिटा दो मेरा सारा -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रियतम! बनकर आओ चाहे -हनुमान प्रसाद पोद्दारब बंदौं गोपी-जन हृदय जो हरि -हनुमान प्रसाद पोद्दार बंदौं मधुर लाडिलि-लाल -हनुमान प्रसाद पोद्दार बंदौं राधा पद-कमल -हनुमान प्रसाद पोद्दार बंदौं राधा पद-रज पावन -हनुमान प्रसाद पोद्दार बंदौं श्रीराधा-चरन -हनुमान प्रसाद पोद्दार बंदौं हरि-पद पंकज पावन -हनुमान प्रसाद पोद्दार बन जाओ तुम मेरे सब कुछ -हनुमान प्रसाद पोद्दार बना दो बुद्धिहीन भगवान -हनुमान प्रसाद पोद्दार बना दो विमल-बुद्धि भगवान -हनुमान प्रसाद पोद्दार बसा रहे मन-मधुप निरन्तर -हनुमान प्रसाद पोद्दार बहु जुग बहुत जोनि फिरि हारौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार बिना याचना के ही देते रहते -हनुमान प्रसाद पोद्दार ब्रह्मा, ब्रह्मा की शक्ति नित्य में -हनुमान प्रसाद पोद्दारभ भक्त नाम लगता अति प्यारा -हनुमान प्रसाद पोद्दार भरा अमित दोषों से हूँ मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार भेडिय़ा ओढ़ भेड़ की खाल -हनुमान प्रसाद पोद्दार भोगों में सुख है -इस भारी भ्रम को हर लो -हनुमान प्रसाद पोद्दारम मलिन यह मन-मन्दिर -हनुमान प्रसाद पोद्दार महाभाव-रसराज स्वयं -हनुमान प्रसाद पोद्दार माधव! नित मोहि दीजियै -हनुमान प्रसाद पोद्दार माधव! मुझको भी तुम -हनुमान प्रसाद पोद्दार माधव! मो सम कौन अभागी -हनुमान प्रसाद पोद्दार मानव-जन्म सुदुर्लभ पाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार मुझे प्रभु! दो वह सुन्दर स्थान -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरी शक्ति थक गयी सारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे अघ का पार नहीं है -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे मन के धन तुम ही हो -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं शरण आ पड़ा शरणद नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैंने कभी न चाहा तुम को -हनुमान प्रसाद पोद्दार मोपै गिरिधर! कृपा करौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार मोहन राखु पद-रज-तरै -हनुमान प्रसाद पोद्दार म आगे. मोहन-मन धन हारिणी -हनुमान प्रसाद पोद्दारर रसस्वरूप श्रीकृष्ण परात्पर -हनुमान प्रसाद पोद्दार रसिक स्याम की जो सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा नयन कटाक्ष रूप -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा-माधव जुगल के -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा-माधव पद-कमल -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधाजू! मोपै आजु ढरौ -हनुमान प्रसाद पोद्दारव वन्दौं विष्णु विश्वाधार -हनुमान प्रसाद पोद्दार विपदा है करुणाभा, दुख तुम्हारा है प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दारश शिशु की करुण पुकार सहज सुन -हनुमान प्रसाद पोद्दार शुद्ध सच्चिदानन्द सनातन -हनुमान प्रसाद पोद्दार शोभित चारों भुजा सुदर्शन -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्यामा-श्याम युगल चरणों में -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्री ’ललिता’ लावण्य ललित -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीगनपति गुरु सारदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा! अब देहु मोहि -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा! कृष्णप्रिया -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा-माधव जुगल -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधा-माधव! यह मेरी सुन -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधामाधव जुगल दिब्य -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधामाधव युगल -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधामाधव! कर हम पर -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधारानी-चरन बंदौं बारंबार -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्रीराधारानी-चरन बिनवौं बारंबार -हनुमान प्रसाद पोद्दार श्लोक-नारायणं हृषीकेशं -हनुमान प्रसाद पोद्दारस सत्-चित्-घन परिपूर्णतम -हनुमान प्रसाद पोद्दार सब में सब देखें निज आत्मा -हनुमान प्रसाद पोद्दार सर्वरहित, एकाकी वन में -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुनाता मैं वैराग्य महत्त्व -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुनाता मैं वैराग्य महत्व -हनुमान प्रसाद पोद्दार सोभित सिर सिखिपिच्छ -हनुमान प्रसाद पोद्दार स्याम-स्वामिनी राधिके -हनुमान प्रसाद पोद्दार स्वामिनी हे बृषभानु-दुलारि -हनुमान प्रसाद पोद्दारह हमारे जीवन लाडिलि-लाल -हनुमान प्रसाद पोद्दार हमें ऐसा बल दो भगवान -हनुमान प्रसाद पोद्दार हमें प्रभु! दो ऐसा वरदान -हनुमान प्रसाद पोद्दार हर लो हरि सुख-सुविधा सारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार हरो अभिमान मिटा दो मान -हनुमान प्रसाद पोद्दार हुआ अब मैं कृतार्थ महाराज -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे दयामय दीनबन्धो -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे नाथ तुम्हीं सब के मालिक -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे निर्गुण हे सर्वगुणाश्रय -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे परिपूर्ण ब्रह्मा -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे मेरे! तुम, प्राण-प्राण! तुम -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे यन्त्री तुम मुझे बना लो -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे राधा-माधव! तुम दोनों -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे राधे! हे श्याम-प्रियतमे -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे स्वामी अनन्य अवलबन -हनुमान प्रसाद पोद्दार हो परमबन्धु तुम पतितों के -हनुमान प्रसाद पोद्दार होगा कब वह सुदिन समय शुभ -हनुमान प्रसाद पोद्दार हौं हरिदास-दास कौ दास -हनुमान प्रसाद पोद्दार’ ’भगवत्ता’ से रहित नहीं माना -हनुमान प्रसाद पोद्दार