"महाभारत शल्य पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 146 prishth haian, kul prishth 146 अ अग्नितीर्थ, ब्रह्मयोनि और कुबेरतीर्थ की उत्पत्ति का प्रसंग अरुणासंगम में स्नान से राक्षसों और इन्द्र का संकटमोचन अर्जुन और अश्वत्थामा का युद्ध अर्जुन और भीम द्वारा कौरवों की रथसेना एवं गजसेना का संहार अर्जुन के द्वारा सत्यकर्मा और सत्येषु का वध अर्जुन के द्वारा सुशर्मा का उसके पुत्रों सहित वध अर्जुन के रथ का दग्ध होना अर्जुन के संकेत से भीम द्वारा दुर्योधन की जाँघें तोड़ना अर्जुन द्वारा कौरव रथियों की सेना का संहार अर्जुन द्वारा कौरवों की रथसेना पर आक्रमण अर्जुन द्वारा श्रीकृष्ण से दुर्योधन के दुराग्रह की निन्दा अवाकीर्ण तीर्थ की महिमा और दाल्भ्य की कथा अश्वत्थामा आदि के द्वारा दुर्योधन की खोज अश्वत्थामा का शल्य को सेनापति बनाने का प्रस्ताव अश्वत्थामा का सेनापति पद पर अभिषेक अश्वत्थामा के द्वारा सुरथ का वध अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा की सरोवर में दुर्योधन से बातचीत असित देवल तथा जैगीषव्य मुनि का चरित्रआ आर्ष्टिषेण एवं विश्वामित्र की तपस्या तथा वरप्राप्तिइ इन्द्रतीर्थ, रामतीर्थ, यमुनातीर्थ और आदित्यतीर्थ की महिमाउ उदपान तीर्थ की उत्पत्ति तथा त्रित मुनि के कूप में गिरने की कथा उभय पक्ष की सेनाओं का मर्यादा शून्य घोर संग्राम उभयपक्ष की सेनाओं का रणभूमि में उपस्थित होनाऋ ऋषियों के प्रयत्न से सरस्वती नदी के शाप की निवृत्ति ऋषियों द्वारा कुरुक्षेत्र की सीमा और महिमा का वर्णनऔ औशनस एवं कपालमोचन तीर्थ की माहात्म्य कथाक कर्ण के मारे जाने पर पांडवों के भय से कौरव सेना का पलायन कुमार कार्तिकेय का प्राकट्य कुमार कार्तिकेय के अभिषेक की तैयारी कृतवर्मा का सात्यकि से युद्ध तथा उसकी पराजय कृपाचार्य आदि का सरोवर से दूर हट जाना कृपाचार्य का दुर्योधन को संधि के लिए समझाना कृष्ण और अर्जुन की बातचीत कृष्ण का पांडवों के पास लौटना कृष्ण का हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र और गांधारी को आश्वासन देना कृष्ण के आक्षेप पर दुर्योधन का उत्तर कृष्ण द्वारा पांडवों का समाधान कौरव पक्ष के सात सौ रथियों का वध कौरव-पांडव उभयपक्ष की सेनाओं का घमासान युद्ध कौरव-पांडव उभयपक्ष की सेनाओं का घोर संग्राम कौरव-पांडव उभयपक्ष की सेनाओं का भयानक युद्ध कौरव-पांडव योद्धाओं के द्वन्द्वयुद्ध कौरव-पांडवों की बची हुई सेनाओं की संख्या का वर्णन क्रोधित बलराम को कृष्ण का समझानात त्रित मुनि का अपने भाइयों का शाप देना त्रित मुनि का यज्ञद दधीच ऋषि तथा सारस्वत मुनि के चरित्र का वर्णन दुर्योधन और धृष्टद्युम्न का युद्ध दुर्योधन का अपनी सेना को उत्साहित करना द आगे. दुर्योधन का अपने सैनिकों को समझाकर पुन: युद्ध में लगाना दुर्योधन का किसी एक पांडव से गदायुद्ध हेतु तैयार होना दुर्योधन का कृपाचार्य को उत्तर देना दुर्योधन का पराक्रम दुर्योधन का वाहकों द्वारा अपने साथियों को संदेश भेजना दुर्योधन का संजय के सम्मुख विलाप दुर्योधन का संधि स्वीकर न करके युद्ध का ही निश्चय करना दुर्योधन का सरोवर में प्रवेश दुर्योधन की प्रेरणा से कौरव सैनिकों का पांडव सेना से युद्ध दुर्योधन के अनुरोध पर शल्य का सेनापति पद स्वीकार करना दुर्योधन के धराशायी होने पर भीषण उत्पात प्रकट होना दुर्योधन के लिए अपशकुन दुर्योधन के वध पर धृतराष्ट्र का विलाप करना दुर्योधन को देखकर अश्वत्थामा का विषाद एवं प्रतिज्ञा करना दुर्योधन द्वारा चेकितान का वधध धृतराष्ट्र का संजय से युद्ध का वृत्तान्त पूछना धृतराष्ट्र को विदुर द्वारा आश्वासन देना धृष्टद्युम्न द्वारा शाल्व के हाथी का वधन नकुल द्वारा कर्ण के तीन पुत्रों का वध नैमिषारण्य तीर्थ का वर्णनप पांडव वीरों के भय से कौरव सेना का पलायन पांडव सैनिकों और कौरव सैनिकों का द्वन्द्वयुद्ध पांडव सैनिकों द्वारा पांडवों की प्रशंसा और धृतराष्ट्र की निन्दा पांडव सैनिकों द्वारा भीम की स्तुति पांडवों का कृष्ण को हस्तिनापुर भेजना पांडवों का कौरव शिबिर में पहुँचना प्रभासक्षेत्र के प्रभाव तथा चंद्रमा के शापमोचन की कथा प्लक्षप्रस्रवण आदि तीर्थों तथा सरस्वती की महिमाब बची हुई समस्त कौरव सेना का वध बलदेव की तीर्थयात्रा बलराम का आगमन और सम्मान बलराम का नारद से कौरवों के विनाश का समाचार सुनना बलराम का सप्त सारस्वत तीर्थ में प्रवेश बलराम की सलाह से सबका कुरुक्षेत्र के समन्तपंचक तीर्थ में जानाभ भीम और दुर्योधन का गदा युद्ध भीम और दुर्योधन का वाग्युद्ध भीम और दुर्योधन के युद्ध का आरम्भ भीम और दुर्योधन में वाग्युद्ध भीम और शल्य का भयानक गदा युद्ध भीम के द्वारा कौरवों की चतुरंगिणी सेना का संहार भीम के द्वारा धृतराष्ट्र के ग्यारह पुत्रों का वध भीम के द्वारा धृतराष्ट्रपुत्र सुदर्शन का अन्त भीम के द्वारा शल्य की पराजय भीम द्वारा इक्कीस हज़ार पैदलों का संहार भीम द्वारा पच्चीस हज़ार पैदलों का वध भीम द्वारा शल्य के घोड़े और सारथि का वध भीम-दुर्योधन का युद्ध देखने के लिए बलराम का जाना भीमसेन का उत्साह भीमसेन द्वारा दुर्योधन का तिरस्कार भ आगे. भीमसेन द्वारा दुर्योधन की पराजयम मंकणक मुनि का चरित्र मद्रराज के अनुचरों का वध और कौरव सेना का पलायन मद्रराज शल्य का अद्भुत पराक्रमय यायात तीर्थ की महिमा और ययाति के यज्ञ का वर्णन युधिष्ठिर और माद्रीपुत्रों के साथ शल्य का युद्ध युधिष्ठिर और श्रीकृष्ण की बातचीत युधिष्ठिर का दुर्योधन को सान्त्वना देते हुए खेद प्रकट करना युधिष्ठिर का भीम को अन्याय करने से रोकना युधिष्ठिर का सेना सहित सरोवर पर जाना युधिष्ठिर के कहने से दुर्योधन का सरोवर से बाहर आना युधिष्ठिर के द्वारा शल्य का वध युधिष्ठिर के द्वारा शल्य के भाई का वध युधिष्ठिर के साथ कृष्ण और भीम की बातचीत युधिष्ठिर द्वारा शल्य की पराजय युयुत्सु का राजमहिलाओं के साथ हस्तिनापुर में जानार रुषंगु के आश्रम पृथूदक तीथ की महिमाव वरुण का अभिषेक वसिष्ठापवाह तीर्थ की उत्पत्ति वृद्ध कन्या का चरित्र वृद्ध कन्या का शृंगवान से विवाह तथा स्वर्गगमन वैशम्पायन द्वारा विभिन्न तीर्थों का वर्णनश शकुनि का कूट युद्ध और उसकी पराजय शल्य और दुर्योधन वध के समाचार से धृतराष्ट्र का मूर्च्छित होना शल्य का पराक्रम शल्य के वीरोचित उद्गार शल्य के साथ नकुल और सात्यकि आदि का घोर युद्ध श्रीकृष्ण और अर्जुन की बातचीत श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को फटकारना श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को शल्यवध हेतु उत्साहित करना श्रीकृष्ण द्वारा भीमसेन की प्रशंसा श्रुतावती और अरुन्धती के तप की कथास संजय का क़ैद से छूटना सप्तसारस्वत तीर्थ की उत्पत्ति समन्तपंचक तीर्थ में भीम और दुर्योधन में गदायुद्ध की तैयारी सरस्वती नदी के जल की शुद्धि सरोवर में छिपे दुर्योधन के साथ युधिष्ठिर का संवाद सहदेव के द्वारा उलूक का वध सहदेव के द्वारा शकुनि का वध सात्यकि और युधिष्ठिर द्वारा कृतवर्मा की पराजय सात्यकि द्वारा क्षेमधूर्ति का वध सात्यकि द्वारा शाल्व का वध सात्यकि द्वारा संजय का पकड़ा जाना स्कन्द का अभिषेक स्कन्द की मातृकाओं का परिचय स्कन्द के महापार्षदों के नाम, रूप आदि का वर्णन स्कन्द देव की रणयात्रा स्कन्द द्वारा तारकासुर, महिषासुर आदि दैत्यों का सेनासहित संहार