"अभिलाषा" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 76 prishth haian, kul prishth 76 अ अखिल विश्व में बरसे पावन -हनुमान प्रसाद पोद्दार अणु-महान् तुम! अणु-महान् में -हनुमान प्रसाद पोद्दार अव्यवस्थित व्यस्त घोर -हनुमान प्रसाद पोद्दारइ इसके अधरों पर छा जाये -हनुमान प्रसाद पोद्दारई ईश-विरोधी धर्म-विरोधी -हनुमान प्रसाद पोद्दारउ उनके होकर हम दुःखी हों -हनुमान प्रसाद पोद्दारए एक लालसा मन महँ धारौं -हनुमान प्रसाद पोद्दारक कर लो आत्मसात् तुम मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार करूँ कुछ भी, कहूँ कुछ भी -हनुमान प्रसाद पोद्दार करें कभी कोई मेरा अति -हनुमान प्रसाद पोद्दार काननि सुनौं स्याम की मुरली -हनुमान प्रसाद पोद्दार काम हमारा पर न जगत से -हनुमान प्रसाद पोद्दार क्या नव-वधू कभी मुखरा बन -हनुमान प्रसाद पोद्दारग गो-ब्राह्मण रक्षा के हित नित -हनुमान प्रसाद पोद्दारच चहौं बस एक यही श्रीराम -हनुमान प्रसाद पोद्दार चाह तुम्हारी ही हो प्यारे -हनुमान प्रसाद पोद्दार चित्त करे प्रभु का चिन्तन नित -हनुमान प्रसाद पोद्दारज जग में मरकर, तुममें जीवन -हनुमान प्रसाद पोद्दार जड-चेतन सब में देखूँ नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार जान गया जो भरी हुई हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार जाहि देखि, चाहत नहीं -हनुमान प्रसाद पोद्दारड डरें नहीं कोई भी मुझसे -हनुमान प्रसाद पोद्दारत तन मन धन अर्पन कियौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार तव अनन्त आशा का दीपक -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुमहि तजि जाऊँ कहाँ अब प्यारे -हनुमान प्रसाद पोद्दारद दर-दर भटक, नीच मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार द आगे. दीन बन्धु हे करुणाकर प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार दुःख-मृत्यु में देखूँ मैं नित -हनुमान प्रसाद पोद्दार देखा करूँ तुम्हारी लीला -हनुमान प्रसाद पोद्दारध धन-जन कविता सुंदरी -हनुमान प्रसाद पोद्दारन नंद-नँदन श्रीकृष्ण एक ही हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं करूँगा कभी किसी का -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं चाहता क्षणभर भी हो -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं चाहता राज्य चक्रवर्ती -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं मान-धन, कीर्ति-भोग की -हनुमान प्रसाद पोद्दारप पूरी हो सर्वत्र सर्वथा, स्वामी -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु अनन्त आनन्द सुधा-निधि -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु का लीला-मञ्च बने -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभु की याद दिलाने वाले -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रभो! तुम्हारी सहज कृपा पर -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रियतम! तुमने सहज सभी -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रियतम! भरते रहो नित्य तुम -हनुमान प्रसाद पोद्दारब बनूँ तुम्हारे शयन-कक्ष का पलँग -हनुमान प्रसाद पोद्दार बनूँ सदा रोगी की औषध -हनुमान प्रसाद पोद्दार बिछुरन-मिलन सरीर कौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार बिना प्रीति नहिं मिलते प्रियतम -हनुमान प्रसाद पोद्दारभ भरे रहो तुम मधुर मनोहर -हनुमान प्रसाद पोद्दार भरे रहो तुम सदा हृदय में -हनुमान प्रसाद पोद्दारम मन बन मधुप हरिपद -हनुमान प्रसाद पोद्दार मन में चाह जगी थी प्रियतम -हनुमान प्रसाद पोद्दार माधव! मन नहिं मानत बोध -हनुमान प्रसाद पोद्दार मुझसे कभी किसी प्राणी का -हनुमान प्रसाद पोद्दार म आगे. मूर्छित, तमसाच्छन्न जनों को -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरी ममता सारी केवल तुम में -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे अखिल विश्व-जीवन के -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरे एक राधा नाम अधार -हनुमान प्रसाद पोद्दार मो कों कछु न चहिये राम -हनुमान प्रसाद पोद्दार मौन ग्रहण कर रटूँ निरन्तर -हनुमान प्रसाद पोद्दारर रहै न रंचक राग-रति -हनुमान प्रसाद पोद्दार रे मन हरि सुमिरन करि लीजै -हनुमान प्रसाद पोद्दारल लाखों बार तपाये उज्ज्वल -हनुमान प्रसाद पोद्दारश शान्ति, दया, स्वाभाविक करुणा -हनुमान प्रसाद पोद्दार शुद्ध, सच्चिदानंद, सनातन -हनुमान प्रसाद पोद्दारस सकुञ्च भरे अधखिले सुमन में -हनुमान प्रसाद पोद्दार सद्विचार हों उदित सर्वदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार सनातन सत चित आनँद रूप -हनुमान प्रसाद पोद्दार सब अच्छा खायें -हनुमान प्रसाद पोद्दार सबको मिले सुबुद्धि -हनुमान प्रसाद पोद्दार समराङ्गण में सखा भक्त के -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुख-संपति में तव प्रसाद -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुनावौ कबि! (तुम) रचना ऐसी आज -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुन्यो तेरो पतित-पावन नाम -हनुमान प्रसाद पोद्दार स्वागत! स्वागत! आओ प्यारे -हनुमान प्रसाद पोद्दार स्वामी के शुचि चरण-कमल में -हनुमान प्रसाद पोद्दारह हर लो प्रभु! मेरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार हर्षित होता देख परम जो -हनुमान प्रसाद पोद्दार