"सूरसागर दशम स्कन्ध" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 200 prishth haian, kul prishth 4,498 (पिछले 200) (अगले 200)उ उलटि पग कैसै दीन्ही नंद -सूरदास उलटी रीति तिहारी ऊधौ -सूरदास उल्हरि आयौ सीतल बूँद पवन पुरवाई -सूरदासऊ ऊँचौ गोकुल नगर, जहाँ हरि खेलत होरी -सूरदास ऊधौ अँखियाँ अति अनुरागी -सूरदास ऊधौ अति ओछे की प्रीति -सूरदास ऊधौ अब कछु कहत न आवै -सूरदास ऊधौ अब कछु कही न जाइ -सूरदास ऊधौ अब कोउ कछू कहौ -सूरदास ऊधौ अब चित भए कठोर -सूरदास ऊधौ अब नहिं स्याम हमारे -सूरदास ऊधौ अब हम समुझि भई -सूरदास ऊधौ आवै यहै परेखौ -सूरदास ऊधौ इक पतिया हमरौ लीजै -सूरदास ऊधौ इतनी कहियो जाइ -सूरदास ऊधौ इतनी कहियौ जाइ -सूरदास ऊधौ इतनी कहियौ बात -सूरदास ऊधौ इतनी जाइ कहौ -सूरदास ऊधौ इन नैननि अंजन देहु -सूरदास ऊधौ इन नैननि नेम लियौ -सूरदास ऊधौ इन बतियनि कैसै मन दीजै -सूरदास ऊधौ इहिं ब्रज बिरह बढ्यौ -सूरदास ऊधौ उदित भए दुख तरनि -सूरदास ऊधौ ऐसी हम गुपाल बिनु -सूरदास ऊधौ ऐसे काम न कीजै -सूरदास ऊधौ और कछू कहिबै कौं -सूरदास ऊधौ औरे कान्ह भए -सूरदास ऊधौ औरै कथा कहौ -सूरदास ऊधौ कछुक समुझि परी -सूरदास ऊधौ कत ये बातै चालीं -सूरदास ऊधौ कबहुँ सुरति करै कान्ह तुम्हारे -सूरदास ऊधौ करि रहीं हम जोग -सूरदास ऊधौ कह बूझत तन की दुबराई -सूरदास ऊधौ कहँ की प्रीति हमारै -सूरदास ऊधौ कहत न कछू बनै -सूरदास ऊधौ कहत बात ह्वै ढीठ -सूरदास ऊधौ कहा हमारी चूक -सूरदास ऊधौ कहि न सकति इक बात -सूरदास ऊधौ कहि मधुबन की रीति -सूरदास ऊधौ कहियै बात सोहती -सूरदास ऊधौ कहियौ यह संदेस -सूरदास ऊधौ कही सु फेरि न कहिऐ -सूरदास ऊधौ कहौ कहन जौ पारौ -सूरदास ऊधौ कहौ साँची बात -सूरदास ऊधौ कहौ हमैं क्यौ बिसरै -सूरदास ऊधौ कहौ हरि कुसलात -सूरदास ऊधौ कह्यौ तिहारौ कीन्हौ -सूरदास ऊधौ कह्यौ धन्य व्रजवाला -सूरदास ऊधौ काल चाल औरासी -सूरदास ऊधौ काहे कौ भक्त कहावत -सूरदास ऊधौ किहिं बिधि कीजै जोग -सूरदास ऊधौ कुलिस भई यह छाती -सूरदास ऊधौ कैसे हैं वे लोग -सूरदास ऊधौ कैसै जीवै कमलनयन बिनु -सूरदास ऊधौ को हरि हितू हमारे -सूरदास ऊधौ कोउ नाहिन अधिकारी -सूरदास ऊधौ कोकिल कूजत कानन -सूरदास ऊधौ कौ उपदेस सुनौ किन कान दै -सूरदास ऊधौ क्यौ बिसरत वह नेह -सूरदास ऊधौ क्यौ राखौं ये नैन -सूरदास ऊधौ खरी जरी हरि सूलनि की -सूरदास ऊधौ चले स्याम आयसु सुनि -सूरदास ऊधौ जननी मेरी कौ मिलि -सूरदास ऊधौ जब व्रज पहुँचे जाइ -सूरदास ऊधौ जा हरि जोग सिखावत -सूरदास ऊधौ जाइ बहुरि सुनि आवहु -सूरदास ऊधौ जाके माथैं भाग -सूरदास ऊ आगे. ऊधौ जात ब्रजहिं सुने -सूरदास ऊधौ जानि परयौ सयान -सूरदास ऊधौ जानी न हरि यह बात -सूरदास ऊधौ जानी रे मैं जानी -सूरदास ऊधौ जान्यौ ज्ञान तिहारौ -सूरदास ऊधौ जाहु कहा बूझै कुसलात -सूरदास ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने -सूरदास ऊधौ जू जाइ कहौ दूरि करै दासी -सूरदास ऊधौ जू त्रिभंगी छवि फेरि नहीं दीठी -सूरदास ऊधौ जू, कहियौ तुम हरि सौ जाइ -सूरदास ऊधौ जो तुम हमहि सुनायौ -सूरदास ऊधौ जो मन होत बियौ -सूरदास ऊधौ जोग कहा है कीजतु -सूरदास ऊधौ जोग किधौ यह हाँसी -सूरदास ऊधौ जोग जानै कौन -सूरदास ऊधौ जोग जोग कहत -सूरदास ऊधौ जोग जोग हम नाही -सूरदास ऊधौ जोग जोगहि देहु -सूरदास ऊधौ जोग बिसरि जनि जाहु -सूरदास ऊधौ जोग सिखावन आए -सूरदास ऊधौ जौ अब कान्ह न ऐहै -सूरदास ऊधौ जौ कोउ यह तन फेरि बनावै -सूरदास ऊधौ जौ तुम बात कही -सूरदास ऊधौ जौ हरि आवहिं तौ प्रान रहै -सूरदास ऊधौ जौ हरि हितू तुम्हारे -सूरदास ऊधौ ज्यौ करि कृपा पाउँ धारत हौ -सूरदास ऊधौ तिहारे पा लागति हौ -सूरदास ऊधौ तुम अति चतुर सुजान -सूरदास ऊधौ तुम अपनौ जतन करौ -सूरदास ऊधौ तुम क्यौ नहिं जोग करौ -सूरदास ऊधौ तुम जानत गुप्तहि चारी -सूरदास ऊधौ तुम जु निकट के बासी -सूरदास ऊधौ तुम ब्रज मैं पैठ करी -सूरदास ऊधौ तुम यह निहचे जानौ -सूरदास ऊधौ तुम यह मति लै आए -सूरदास ऊधौ तुम सब साथी भोरे -सूरदास ऊधौ तुम हौ अति बड़ भागी -सूरदास ऊधौ तुम हौ चतुर सुजान -सूरदास ऊधौ तुम हौ निकट के वासी -सूरदास ऊधौ तुमहि स्याम की सौहै -सूरदास ऊधौ ते कत चतुर कहावत -सूरदास ऊधौ तौ हम जोग करे -सूरदास ऊधौ देखे ही व्रज जात -सूरदास ऊधौ धनि तुम्हारौ ब्यौहार -सूरदास ऊधौ नंद कौ गोपाल मोसी -सूरदास ऊधौ ना हम बिरहिनि ना तुम दास -सूरदास ऊधौ निरगुनहिं कहत तुमही सो लेहु -सूरदास ऊधौ नीकी लाँबी चीठी -सूरदास ऊधौ नूतन राज भयौ -सूरदास ऊधौ नैकु सुजात हरि कौ स्रवननि सुन -सूरदास ऊधौ नैननि यह व्रत लीन्हौ -सूरदास ऊधौ पा लागति हौ कहियौ -सूरदास ऊधौ पूछति है ते बावरी -सूरदास ऊधौ प्रीति नई नित मीठी -सूरदास ऊधौ प्रेम गऐ प्रान रहै -सूरदास ऊधौ प्रेम भक्ति रहित -सूरदास ऊधौ बात कही नहिं जाइ -सूरदास ऊधौ बात तिहारी को सुनै -सूरदास ऊधौ बात सुनौ इक नैसी -सूरदास ऊधौ बिनतिं सुनौ इक मेरी -सूरदास ऊधौ बिरहौ प्रेम करै -सूरदास ऊधौ बूझति है अनुमान -सूरदास ऊधौ बेगि मधुबन जाहु -सूरदास ऊधौ बेगिही ब्रज जाहु -सूरदास ऊधौ ब्रज कौं गमन करौ -सूरदास ऊधौ ब्रज जनि गहरु लगावहु -सूरदास ऊधौ ब्रजहि जाहु पालागौ -सूरदास ऊ आगे. ऊधौ भली करी गोपाल -सूरदास ऊधौ भली करी ह्याँ आए -सूरदास ऊधौ भली भई ब्रज आए -सूरदास ऊधौ भूलि भलै भटके -सूरदास ऊधौ मथुरा ही लै जाहु -सूरदास ऊधौ मन अभिमान बढ़ायौ -सूरदास ऊधौ मन तौ एकहि आहि -सूरदास ऊधौ मन न भए दस बीस -सूरदास ऊधौ मन नहिं हाथ हमारै -सूरदास ऊधौ मन माने की बात -सूरदास ऊधौ मोहि ब्रज बिसरत नाही -सूरदास ऊधौ मोहि ब्रज बिसरत नाहीं -सूरदास ऊधौ मौन साधि रहे -सूरदास ऊधौ यह न होइ रस रीति -सूरदास ऊधौ यह मन और न होइ -सूरदास ऊधौ यह मन डौर न आवै -सूरदास ऊधौ यह राधा सौ कहियौ -सूरदास ऊधौ यह हरि कहा करयौ -सूरदास ऊधौ यह हित लागत काहैं -सूरदास ऊधौ यहै अचंभौ बाढ़ -सूरदास ऊधौ यहै बिचार गहौ -सूरदास ऊधौ रथ बैठि चले -सूरदास ऊधौ राखियै यह बात -सूरदास ऊधौ लहनौ अपनौ पैयै -सूरदास ऊधौ लै चल लै चल -सूरदास ऊधौ वेद वचन प्रमान -सूरदास ऊधौ सुधि नाही या तन की -सूरदास ऊधौ सुनत तिहारे बोल -सूरदास ऊधौ सुनहु नैकु जो बात -सूरदास ऊधौ सुनौ बिथा तुम तात -सूरदास ऊधौ सूधै नैकु निहारौ -सूरदास ऊधौ स्याम इहाँ लै आवहु -सूरदास ऊधौ स्याम सखा तुम साँचे -सूरदास ऊधौ हम आजु भई बड़ भागी -सूरदास ऊधौ हम ऐसी नहीं जानी -सूरदास ऊधौ हम कत हरि तै न्यारी -सूरदास ऊधौ हम कह जानै जोग -सूरदास ऊधौ हम दूबरी वियोग -सूरदास ऊधौ हम दोउ कठिन परी -सूरदास ऊधौ हम ब्रजनाथ बिसारे -सूरदास ऊधौ हम लायक सिख दीजै -सूरदास ऊधौ हम लायक हमसौं कहौ -सूरदास ऊधौ हम वह कैसे मानै -सूरदास ऊधौ हम हरि कत बिसराए -सूरदास ऊधौ हम है हरि की दासी -सूरदास ऊधौ हमरौ कछू दोष नहिं -सूरदास ऊधौ हमहि न जोग सिखैयै -सूरदास ऊधौ हमहिं कहा समुझावहु -सूरदास ऊधौ हरि कहियै प्रतिपालक -सूरदास ऊधौ हरि काहे के अंतरजामी -सूरदास ऊधौ हरि के औरै ढंग -सूरदास ऊधौ हरि बिनु ब्रज रिपु -सूरदास ऊधौ हरि बेगहि देउ पठाइ -सूरदास ऊधौ हरि यह कहा बिचारी -सूरदास ऊधौ हरि हीं पै ऐसी बनि आवत -सूरदास ऊधौ हरिगुन हम चकडोर -सूरदास ऊधौ है तू हरि के हित कौ -सूरदास ऊधौ होउ आगे तैं न्यारे -सूरदासऋ ऋतु बसंत के आगमहि -सूरदास ऋतु बसंत के आगमहि 2 -सूरदास ऋतु बसंत के आगमहि 3 -सूरदासए ए अलि कहा जोग मैं नीकौ -सूरदास ए री मो ही तौ पिउ भावै -सूरदास एइ कहियत बसुदेव कुमार -सूरदास एइ दोउ बसुदेव के ढोटा -सूरदास एइ माधौ जिन मधु मारे री -सूरदास (पिछले 200) (अगले 200)