"सूरसागर दशम स्कन्ध" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 200 prishth haian, kul prishth 4,498 (पिछले 200) (अगले 200)आ आजु कछू घर कलह भयौ री -सूरदास आजु कन्हैया बहुत बच्यौ री -सूरदास आजु कहा मुख मूँदि रही री -सूरदास आजु कान्ह करिहैं अनप्रासन -सूरदास आजु कोउ नीकी बात सुनावै -सूरदास आजु कोउ स्याम की अनुहारि -सूरदास आजु कौन बन गाइ चरावत -सूरदास आजु गई हौ नंद भवन मैं -सूरदास आजु गृह नंद महर कैं बधाइ -सूरदास आजु घन स्याम की अनुहारि -सूरदास आजु चरावन गाइ चलौ जू -सूरदास आजु जसोदा जाइ कन्हैया -सूरदास आजु जाइ देखौ वै चरन -सूरदास आजु तन राधा सज्यौ सिंगार -सूरदास आजु तेरे तन मैं -सूरदास आजु दीपति दिब्य दीपमालिका -सूरदास आजु नँद-नंदन रंग भरे -सूरदास आजु नंद के द्वारैं भीर -सूरदास आजु निसि कहाँ हुते हो प्यारे -सूरदास आजु निसि रास रंग हरि कीन्हौ -सूरदास आजु निसि सोभित सरद सुहाई -सूरदास आजु परम दिन मंगलकारी -सूरदास आजु बजाई मुरली मनोहर -सूरदास आजु बधाई नंद कै माई -सूरदास आजु बधायौ नंदराइ कैं -सूरदास आजु बन कोऊ वै जनि जाइ -सूरदास आजु बन बेनु बजावत स्याम -सूरदास आजु बन मोरनि गायौ आइ -सूरदास आजु बन राजत जुगल किसोर -सूरदास आजु बनी नव रंग किसोरी -सूरदास आजु बनी बृषभानु कुमारी -सूरदास आजु बने नव रंग छबीले -सूरदास आजु बने पिय रूप अगाध -सूरदास आजु बने वन तैं ब्रज आवत -सूरदास आजु बन्यौ नव रंग पियारौ -सूरदास आजु बिरहिनी बिरह तुम्हारै -सूरदास आजु ब्रज कोऊ आयौ है -सूरदास आजु ब्रज महा घटनि धन घैरौ -सूरदास आजु भोर तमचुर के रोल -सूरदास आजु मैं गाइ चरावन जैहौं -सूरदास आजु रँग फूले कुँवर कन्हाई -सूरदास आजु राधिका भोरहीं जसुमति कै आई -सूरदास आजु राधिका रूप अन्हायौ -सूरदास आजु रैन हरि कहाँ गँवाई -सूरदास आजु रैनि नहिं नींद परी -सूरदास आजु लखी इक वाम नई सी -सूरदास आजु लालन लटपटात माई आए अनुरागे -सूरदास आजु वने बन तै ब्रज आवत -सूरदास आजु वे चरन देखिहौ जाइ -सूरदास आजु सखि देखे स्याम नए री -सूरदास आजु सखी अरुनोदय मेरे -सूरदास आजु सखी जमुनामग मोहन -सूरदास आजु सखी, हौं प्रात समय -सूरदास आजु सखो मनि-खंभ निकट हरि -सूरदास आजु सर्बरी सर्व बिहानी -सूरदास आजु हठि बैठी मान किये -सूरदास आजु हरि अद्भुत रास उपायौ -सूरदास आजु हरि आलस रंग भरे -सूरदास आजु हरि ऐसौ रास रच्यौ -सूरदास आजु हरि धेनु चराए आवत -सूरदास आजु हरि पायौ है मुँह माँग्यौ -सूरदास आजु हरि रैनि उनीदे आए -सूरदास आजु हो निसान बाजै नंद जू महर के -सूरदास आजु हो निसान बाजै बसुदेव राइकै -सूरदास आजु हो बधायौ बाजै नंद गोप-राइ के -सूरदास आजु हौ अधिक हँसी मेरी माई -सूरदास आजु हौं राज-काज करि आऊँ -सूरदास आ आगे. आदर सहित बिलोकि स्याम-मुख -सूरदास आदि सनातन हरि अविनासी -सूरदास आधौ मुख नीलांबर सौ ढँकि -सूरदास आधौ श्रीवृषभानु कौ आधौ -सूरदास आनँद सहित सबै ब्रज आए -सूरदास आनँद सौं दधि मथति जसोदा -सूरदास आनंदै आनंद बढ़यो अति -सूरदास आनि देहु गेंड़ुरी पराई -सूरदास आपु कदम चढ़ि देखत स्याम -सूरदास आपु कहावति बड़ी सयानी -सूरदास आपु गए हरूऐं सूनैं घर -सूरदास आपु चढ़ै ब्रज-ऊपर काल -सूरदास आपु देखि पर देखि मधुकर -सूरदास आपु भलाई सबै भले री -सूरदास आपु स्वारथी की गति नाही -सूरदास आपुन चढ़े कदम पर धाई -सूरदास आपुन भईं सबै अब भोरी -सूरदास आयसु पाइ तुरतही धाए -सूरदास आयौ आयौ पिय ऋतु बसंत -सूरदास आयौ घोष बड़ौ ब्यौपारी -सूरदास आयौ जान्यौ हरि बसंत -सूरदास आरोगत हैं श्रीगोपाल -सूरदास आलस भरि सोभित सुभामिनी -सूरदास आली देखत रहे नैन मेरे -सूरदास आवत उरग नाथे स्याम -सूरदास आवत बन तैं सांझ -सूरदास आवत मोहन धेनु चराए -सूरदास आवत ही मैं तोहिं लख्यौ री -सूरदास आवतही याके ये ढंग -सूरदास आवति हो जमुना भरि पानी -सूरदास आवहु आवहु इतै -सूरदास आवहु निकसि घोष-कुमारि -सूरदास आवहु री मिलि मंगल गावहु -सूरदास आवहु, कान्ह, साँझ की बेरिया -सूरदास आस जनि तोरहु स्याम हमारी -सूरदासइ इंद्र सोच करि मनहिं आपनैं -सूरदास इक आवत घर तैं चले धाई -सूरदास इक दिन नंद चलाई बात -सूरदास इक दिन मुरली स्याम बजाई -सूरदास इक दिन हरि हलघर-सँग ग्वारन 1 -सूरदास इक दिन हरि हलधर सँग ग्वारन -सूरदास इक दिन हरि हलधर-सँग ग्वारन -सूरदास इकटक रही नारि निहार -सूरदास इततै राधा जाति जमुनतट -सूरदास इतनी दूरि गोपालहिं माई -सूरदास इतनी बात अलि कहियौ हरि -सूरदास इतने जतन काहे कौ किए -सूरदास इतने सब तुम्हारैं पास -सूरदास इतहिं स्याम गोपनि संग ठाढ़े -सूरदास इती बात तब तै न कही री -सूरदास इतौ स्रम नाहिंन तबहिं भयौ -सूरदास इन अँखियनि आगै तैं मोहन -सूरदास इन तै निधरक और न कोई -सूरदास इन नैननि की कथा सुनावै -सूरदास इन नैननि की टेव न जाइ -सूरदास इन नैननि मोहि बहुत सतायौ -सूरदास इन नैननि सौ मानी हारि -सूरदास इन नैननि सौ री सखी मै मानी हारि -सूरदास इन बातनि कछु पावति री -सूरदास इन बातनि कहुँ होति बड़ाई -सूरदास इन बातनि के मारै मरियत -सूरदास इन लोभी नैननि के काजै -सूरदास इनकी प्रीति पतंग लौ जारति है तब देह -सूरदास इनकौ ब्रजही क्यौ न बुलावहु -सूरदास इनही भूलि रहे सब भोगी -सूरदास इनहीं धौं बूझौ यह लेखौ -सूरदास इनहुँ मैं घटताई कीन्ही -सूरदास इ आगे. इहँइ रहौ तौ बदौं कन्हाई -सूरदास इहि अंतर वृषभासुर आयौ -सूरदास इहि उर माखन चोर गड़े -सूरदास इहि तेरै वृंदाबन बाग -सूरदास इहि बन मोर नहीं ए कामबान -सूरदास इहिं अंतर तिहिं खोरिही नँदनंदन आए -सूरदास इहिं अंतर भिनुसार भयौ -सूरदास इहिं अंतर मधुकर इक आयौ -सूरदास इहिं अंतर हरि आइ गए -सूरदास इहिं डर बहुरि न गोकुल आए -सूरदास इहिं दुख तन तरफत मरि जैहै -सूरदास इहिं बँसुरी सखि सबै चुरायौ -सूरदास इहिं बिधि पावस सदा हमारै -सूरदास इहिं बिधि वेद-मारग सुनौ -सूरदास इहिं बिरियाँ बन तै ब्रज आवत -सूरदास इहिं मुरली कछु भलौ न कीनौ -सूरदास इहै सोच अक्रूर परयौ -सूरदासउ उग्रसेन कौं दियौ हरि राज -सूरदास उघटत स्याम नृत्यतिं नारि -सूरदास उघरि आए कान्ह कपट की खानि -सूरदास उघरि आयौ परदेसी कौ नेहु -सूरदास उठि राधे कत रैनि गँवावै -सूरदास उठिये स्याम, कलेऊ कीजै -सूरदास उठी प्रातहीं राधिका -सूरदास उठीं सखी सब मंगल गाइ -सूरदास उठे कहि माधौ इतनी बात -सूरदास उठे नंद-लाल सुनत जननी -सूरदास उठो नँदलाल भयौ भिनुसार -सूरदास उडुपति सौ बिनवति मृग नयनी -सूरदास उत तै पठावत वे -सूरदास उत नंदहिं सपनौ भयौ -सूरदास उत वृषभानुसुता उठी -सूरदास उतारत हैं कंठनि तैं हार -सूरदास उती हूर तै को आवै री -सूरदास उत्तम सफल एकादसि आई -सूरदास उत्तम सफल एकादसि आई 1 -सूरदास उत्तम सफल एकादसि आई 2 -सूरदास उत्तम सफल एकादसि आई 3 -सूरदास उत्तर कत न देत अलि नीच -सूरदास उत्तर न देति मोहिं मोहिनी रही ह्वै मौन -सूरदास उधौ इतने मोहिं सतावत -सूरदास उधौ कहा करै लै पाती -सूरदास उधौ कहा कहत बिपरीत -सूरदास उधौ जोग तबहिं तै जान्यौ -सूरदास उधौ तुम ब्रज की दसा बिचारौ -सूरदास उधौ देखत हौ जैसे व्रजवासी -सूरदास उधौ बानी कौन ढरैगौ -सूरदास उधौ भलौ ज्ञान समुझायौ -सूरदास उधौ हमरी सौ तुम जाहु -सूरदास उन ब्रजदेव नैंकु चित करते -सूरदास उनकौ ब्रज बसिबौ नहिं भावै -सूरदास उनकौ यह अपराध नही -सूरदास उनमैं पाँचौ दिन जौ बसियै -सूरदास उनही कौ मन राखै काम -सूरदास उपँगसुत हाथ दई हरि पाती -सूरदास उपमा धीरज तज्यौ निरखि छवि -सूरदास उपमा नैन न एक रही -सूरदास उपमा हरितनु देखि लजानी -सूरदास उबरयौ स्याम, महरि बड़भागी -सूरदास उमँगि चले दोउ नैन बिसाल -सूरदास उमँगि ब्रज देखन कौ सब धाए -सूरदास उमंगी ब्रजनारि सुभग -सूरदास उर पत देखियत हैं ससि सात -सूरदास उर बैजती सोभा अति बनी -सूरदास उरग लियौ हरि कौं लपटाइ -सूरदास उरग-नारि सब कहतिं परस्पर -सूरदास (पिछले 200) (अगले 200)