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- विदुर के भेजे हुए खनक द्वारा लाक्षागृह में सुरंग का निर्माण
- विदुर के भेजे हुए नाविक का पाण्डवों को गंगा के पार उतरना
- विदुर द्वारा गहन वन के दृष्टांत से संसार के भयंकर स्वरूप का वर्णन
- विदुर द्वारा चारों वर्णों के धर्म का सक्षिप्त वर्णन
- विदुर द्वारा जुए का घोर विरोध
- विदुर द्वारा दुखमय संसार के गहन स्वरूप और उससे छूटने का उपाय
- विदुर द्वारा धर्म की महत्ता का प्रतिपादन
- विदुर द्वारा धृतराष्ट्र को समझाना
- विदुर द्वारा प्रह्लाद का उदाहरण देकर सभासदों को विरोध के लिए प्रेरित करना
- विदुर द्वारा संसार चक्र का वर्णन
- विदुर द्वारा संसाररूपी वन के रूपक का स्पष्टीकरण
- विदुर द्वारा सनत्सुजात से उपदेश देने के लिए प्रार्थना
- विदुर द्वारा सुधंवा-विरोचन विवाद का वर्णन
- विदुर नीति
- विदुरपत्नी
- विदुला
- विदुला और उसके पुत्र का संवाद
- विदुला का पुत्र को युद्ध हेतु उत्साहित करना
- विदुला के उपदेश से उसके पुत्र का युद्ध हेतु उद्यत होना
- विदुला द्वारा कार्य में सफलता प्राप्ति और शत्रुवशीकरण उपायों का निर्देश
- विदूर
- विदूरथ
- विदेह
- विदेह देश
- विदेहराज का कोसलराज को अपना जामाता बनाना
- विद्या-अविद्या व पुरुष के स्वरूप के उद्गार का वर्णन
- विद्या (महाभारत संदर्भ)
- विद्याजनित
- विद्याधर
- विद्याधरी
- विद्यारंभ संस्कार
- विद्युज्जिह्वा
- विद्युता
- विद्युताक्ष
- विद्युत्पर्णा
- विद्युत्प्रभ
- विद्युत्प्रभ (दैत्य)
- विद्युत्प्रभ (बहुविकल्पी)
- विद्युत्प्रभा
- विद्युद्वर्चा
- विद्युन्माली
- विद्योता
- विद्वान एवं सदाचारी ब्राह्मण को अन्नदान की प्रशंसा
- विद्वान सदाचारी पुरोहित की आवश्यकता
- विद्वान् (महाभारत संदर्भ)
- विधना चूक परी मैं जानी -सूरदास
- विधना यहै लिख्यौ संजोग -सूरदास
- विधाता
- विधान (महाभारत संदर्भ)
- विधि (महाभारत संदर्भ)
- विधि मनहीं मन सोच परयौ -सूरदास
- विधिवत स्नान और उसके अंगभूत कर्म का वर्णन
- विधु-बदनी श्रीराधिके! -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विनता
- विनता का कद्रु की दासी होना
- विनती करत नंद कर जोरैं -सूरदास
- विनती करत सकल अहोर -सूरदास
- विनती सुनहु देव मघवापति -सूरदास
- विनती सुनहु देव मधवापति -सूरदास
- विनती सुनी स्याम सुजान -सूरदास
- विनती सुनौ दीन की चित दै -सूरदास
- विनदी
- विनशन
- विनशन तीर्थ
- विनायक
- विनायकगण
- विनाश (महाभारत संदर्भ)
- विनाशन
- विनाशसूचक उत्पातों का वर्णन
- विनु वोले पिय रहियै जू -सूरदास
- विन्द
- विन्द (राजकुमार)
- विन्ध्य
- विन्ध्यचुलिका
- विन्ध्याचल
- विपदा है करुणाभा, दुःख तुम्हारा है प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विपदा है करुणाभा, दुख तुम्हारा है प्रभु -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विपाट
- विपाठ
- विपापा
- विपापा नदी
- विपाप्मा
- विपाशा
- विपुल
- विपुल (पर्वत)
- विपुल (बहुविकल्पी)
- विपुल (राजा)
- विपुल (वसुदेव पुत्र)
- विपुल का अपने द्वारा किये गये दुष्कर्म का स्मरण करना
- विपुल का देवराज इन्द्र से गुरुपत्नी को बचाना
- विपुल को गुरु देवशर्मा से वरदान की प्राप्ति
- विपुल को दिव्य पुष्प की प्राप्ति और चम्पा नगरी को प्रस्थान
- विपृथु
- विपृष्ठ
- विप्र
- विप्र बुलाइ लिए नंदराइ -सूरदास
- विप्रचित्ति
- विप्रदारिद्रयहा
- विप्रपुत्रप्रद
- विप्ररूप
- विभक्त
- विभांडक
- विभाण्ड
- विभाण्डक
- विभावसु
- विभावसु (अग्नि)
- विभावसु (ऋषि)
- विभावसु (बहुविकल्पी)
- विभिन्न गौओं के दान से विभिन्न उत्तम लोकों की प्राप्ति
- विभिन्न तीर्थों के माहात्मय का वर्णन
- विभिन्न नक्षत्रों के योग में भिन्न-भिन्न वस्तुओं के दान का माहात्म्य
- विभिन्न नक्षत्रों में श्राद्ध करने का फल
- विभिन्न पापों के फलस्वरूप नरकादि की प्राप्ति एवं तिर्यग्योनियों में जन्म लेने का वर्णन
- विभीषण
- विभीषण (बहुविकल्पी)
- विभीषण (यक्ष)
- विभीषण का अभिषेक तथा वानर सेना का लंका की सीमा में प्रवेश
- विभीषणा
- विभु
- विभु (काशिराज पुत्र)
- विभु (कृष्ण)
- विभु (देवता)
- विभु (शकुनि भाई)
- विभु (बहुविकल्पी)
- विभूति
- विभूरसि
- विमल कुंड काम्यवन
- विमल कुण्ड काम्यवन
- विमलतीर्थ
- विमलपिंड
- विमलपिण्ड
- विमलपिण्डक
- विमलपिण्डक नाग
- विमला
- विमला (नदी)
- विमला (बहुविकल्पी)
- विमलाशोक
- विमलोदका
- विमलोदा
- विमुच
- विरज
- विरज तीर्थ
- विरजा
- विरजा (धृतराष्ट्र पुत्र)
- विरजा (बहुविकल्पी)
- विरजा (शुक्राचार्य पुत्र)
- विरजा (सर्प)
- विरथा जन्म लियौ संसार -सूरदास
- विरस
- विरह-व्यथा-पीडित -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विरह पदावली
- विरह पदावली मुखपृष्ठ
- विरहाकुल अति व्यथित-हृदय है -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विराज
- विराजत मोहन मंडल रास -सूरदास
- विराट
- विराट और उत्तरकुमार की विजय के विषय में बातचीत
- विराट और द्रुपद के संदेश
- विराट का उत्तरकुमार से युद्ध का समाचार पूछना
- विराट का युधिष्ठिर को राज्य समर्पण और अर्जुन-उत्तरा विवाह का प्रस्ताव
- विराट की उत्तरकुमार के विषय में चिन्ता
- विराट की सभा में बलराम का भाषण
- विराट की सभा में श्रीकृष्ण का भाषण
- विराट के पुत्र श्वेत का पराक्रम
- विराट के पुत्र श्वेत का महापराक्रम
- विराट को अन्य पांडवों का परिचय प्राप्त होना
- विराट द्वारा पांडवों का सम्मान
- विराट द्वारा युधिष्ठिर का तिरस्कार और क्षमा-प्रार्थना
- विराट नगर
- विराट नगर पर आक्रमण
- विराट नगर में राजा विराट की विजय घोषणा
- विराट पर्व महाभारत
- विराट पर्व श्रवण की महिमा
- विराटनगर में अज्ञातवास करने हेतु पांडवों की गुप्त मंत्रणा
- विराटपर्व महाभारत
- विराव
- विरावी
- विरुधा
- विरू
- विरूप
- विरूप (कृष्ण पुत्र)
- विरूप (दैत्य)
- विरूप (बहुविकल्पी)
- विरूपाक्ष
- विरूपाक्ष (त्वष्टा पुत्र)
- विरूपाक्ष (बहुविकल्पी)
- विरूपाक्ष (राक्षस)
- विरूपाक्ष (शिव)
- विरूपाक्ष (सारथि)
- विरूपाक्ष (सारथी)
- विरूपाश्व
- विरोचन
- विरोचन (बहुविकल्पी)
- विरोचन (सूर्य)
- विरोचना
- विरोहण
- विलम तजि भामिनी बिलसि -सूरदास
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- विवस्वान (सूर्य)
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- विवाह संस्कार
- विविंध्य
- विविंश
- विविंशति
- विवित्सु
- विविध (महाभारत संदर्भ)
- विविध तिथियों में श्राद्ध करने का फल
- विविध प्रकार के कर्मफलों का वर्णन
- विविध प्रकार के तप और दानों का फल
- विविध यज्ञों तथा ज्ञान की महिमा का वर्णन
- विविध वर्ण, सौरभ विभिन्न युत -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विविन्ध्य
- विशल्या
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- विशाख (अनल वसु पुत्र)
- विशाख (ऋषि)
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- विशाखा
- विशाखा कुण्ड वृन्दावन
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- विशाला
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- विशाला (बहुविकल्पी)
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- विशालाक्ष (शिव)
- विशालाक्ष मोहप्रद
- विशालाक्षी
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- विशुद्धा
- विशोक
- विशोका
- विश्रवा
- विश्राम घाट मथुरा
- विश्रुत
- विश्व
- विश्वकर्मा
- विश्वकर्मा (बहुविकल्पी)
- विश्वकर्मा (सूर्य)
- विश्वकर्मा जयंती
- विश्वकर्मा जयन्ती
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- विश्वजित (बहुविकल्पी)
- विश्वजित (यज्ञ)
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- विश्वपति
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- विश्वभुक (बहुविकल्पी)
- विश्वभुक (बृहस्पति पुत्र)
- विश्वरूप
- विश्वरूप (दैत्य)
- विश्वरूप (बहुविकल्पी)
- विश्वरूपप्रदर्शी
- विश्वा
- विश्वाची
- विश्वात्मा
- विश्वामित्र
- विश्वामित्र और चाण्डाल का संवाद
- विश्वामित्र का स्कन्द के जातकर्मादि तेरह संस्कार करना
- विश्वामित्र की तपस्या भंग करने के लिए इंद्र द्वारा मेनका को भेजना
- विश्वामित्र के जन्म की कथा
- विश्वामित्र के पुत्रों के नाम
- विश्वामित्र को ब्राह्मणत्व की प्राप्ति विषयक युधिष्ठिर का प्रश्न
- विश्वामित्रप्रिय
- विश्वामित्रा
- विश्वामित्राश्रम
- विश्वायु
- विश्वावसु
- विश्वावसु (ऋषि)
- विश्वावसु (जमदग्नि पुत्र)
- विश्वावसु (बहुविकल्पी)
- विश्वावसु को जीवात्मा और परमात्मा की एकता के ज्ञान का उपदेश देना
- विश्वास (महाभारत संदर्भ)
- विश्वास (महाभारत संदर्भ) 2
- विश्वेदेव
- विश्वेदेवों के नाम तथा श्राद्ध में त्याज्य वस्तुओं का वर्णन
- विष
- विषकुंड
- विषकुण्ड
- विषग
- विषम बिछुडऩे की बेला में -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विषय-कामना, भोग-रति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विषय चित्त दोऊ है माया -सूरदास
- विषय रस नीरस सदा है -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- विषया जात हरष्यौ गात -सूरदास
- विषयासक्त मनुष्य का पतन
- विषहरी
- विषुवयोग और ग्रहण आदि में दान की महिमा
- विष्टरश्रवा
- विष्णु
- विष्णु, देवगण, विश्वामित्र और ब्रह्मा आदि द्वारा धर्म के गूढ़ रहस्य का वर्णन
- विष्णु (अदिति के पुत्र)
- विष्णु (अदिति पुत्र)
- विष्णु (बहुविकल्पी)
- विष्णु (वसु)
- विष्णु (सूर्य)
- विष्णु आदेश से देवताओं द्वारा अगस्त्य की स्तुति
- विष्णु का वराहरूप में प्रकट हो देवताओं की रक्षा और दानवों का विनाश
- विष्णु द्वारा गरुड़ का गर्वभंजन
- विष्णु द्वारा मधु-कैटभ का वध
- विष्णु द्वारा मिथिलानरेश जनकवंशी जनदेव की परीक्षा और उनके के लिए वर प्रदान
- विष्णु द्वारा सुमुख को दीर्घायु देना तथा सुमुख-गुणकेशी विवाह
- विष्णु पुराण
- विष्णु सहस्रनाम
- विष्णुधर्मा
- विष्णुपद
- विष्णुपद पहाड़ी
- विष्णुपुराण
- विष्णुप्रिया
- विष्णुमाया
- विष्णुयश
- विष्णुलोक
- विष्वक्सेन
- विष्वगश्व
- विष्वगश्व (पृथु पुत्र)
- विष्वगश्व (बहुविकल्पी)
- विष्णु
- विसोबा सराफ
- विहँसि राधा कृष्न अंक लीन्ही -सूरदास
- विहंग
- विहरत दोउ मन एक करे -सूरदास
- विहव्य
- विहारस्थित
- विहारी
- विहारी वर
- विहृल कुण्ड काम्यवन