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- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 56
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 57
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 58
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 59
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 6
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 60
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 61
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 62
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 63
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 64
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 65
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 66
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 67
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 68
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 69
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 7
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 70
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 71
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 72
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 73
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 74
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 75
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 76
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 77
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 78
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 79
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 8
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 80
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 81
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 82
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 83
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 84
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 85
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 86
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 87
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 88
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 89
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 9
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 90
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 91
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 92
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 93
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 94
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 95
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 96
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 97
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 98
- बावरी गोपी -प्रेम भिखारी पृ. 99
- बाष्कल
- बासुदेव की बड़ी बढ़ाई
- बासुदेव की बड़ी बढ़ाई-सूरदास
- बासुदेव की बड़ी बढ़ाई -सूरदास
- बाहँ गही कही आँगन ल्याई -सूरदास
- बाहाँजोरी प्रात कुंज तै निकसे -सूरदास
- बाहाँजोरी प्रात कुंज तैं निकसे रीझि रीझि कहैं बात -सूरदास
- बाहु
- बाहुक
- बाहुक (बहुविकल्पी)
- बाहुक (यादव)
- बाहुक (राजा)
- बाहुक (राजा नल)
- बाहुक की अद्भुत रथसंचालन कला
- बाहुदा
- बाहुदा तीर्थ
- बाहुदा नदी
- बाहुदा सुयशा
- बाहुलि
- बाहुशाली
- बाहुशाली (कौरव पक्षीय योद्धा)
- बाहुशाली (बहुविकल्पी)
- बाहुशाली (राजा)
- बाह्मकर्ण नाग
- बाह्य चेतना गयी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बाह्यकर्ण
- बाह्यकुंड
- बाह्यकुण्ड
- बाह्लिक
- बाह्लीक
- बिकल ब्रजनाथ बियोगिनि नारि -सूरदास
- बिकल ब्रजनाथ वियोगिनि नारि -सूरदास
- बिकानी हरि-मुख की मुसुकानि -सूरदास
- बिचारत ही लागे दिन जान -सूरदास
- बिछुरत उमँगि नीर भरि आए -सूरदास
- बिछुरत श्री ब्रजराज आजु -सूरदास
- बिछुरत श्रीब्रजराज आजु -सूरदास
- बिछुरन-मिलन सरीर कौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिछुरन जनि काहू सौं होइ -सूरदास
- बिछुरनि जनि काहू सौ होइ -सूरदास
- बिछुरी मनौ संग तैं हिरनी -सूरदास
- बिछुरे री मेरे -सूरदास
- बिछुरे री मेरे बाल सँघाती -सूरदास
- बिछुरे स्याम बहुत दुख पायौ -सूरदास
- बिछुरें स्याम बहुत -सूरदास
- बिजवारी
- बिथा माई कौन सौ कहियै -सूरदास
- बिदुर सु धर्मराइ अवतार-सूरदास
- बिदुर सु धर्मराइ अवतार। ज्यौं भयौ -सूरदास
- बिधना अतिहीं पोच कियौ री -सूरदास
- बिधना चूक परी मै जानी -सूरदास
- बिधना मुरली सौति बनाई -सूरदास
- बिधना यह संगति मोहिं दीन्ही -सूरदास
- बिधि के कमंडलु की सिद्धि है प्रसिद्धि यही -पद्माकर
- बिधि कें आन बिधि कौ सोच -सूरदास
- बिधि कैं आन बिधि कौ सोच -सूरदास
- बिधि मनहीं मन सोच परयौ -सूरदास
- बिधि सौ अरध पाँवडे दीन्हें -सूरदास
- बिधु बदनी अरु कमल निहारे -सूरदास
- बिधु बैरी सिर पर बसै -सूरदास
- बिधु बैरी सिर पै बसै -सूरदास
- बिनती एक सुनौ श्री स्याम -सूरदास
- बिनती करत गुबिंद गुसाई -सूरदास
- बिनती करत नंद कर जोरैं -सूरदास
- बिनती करत मरत हौ लाज -सूरदास
- बिनती करत सकल अहीर -सूरदास
- बिनती कहियौ जाइ पवनसुत -सूरदास
- बिनती किहिं बिधि प्रभुहिं सुनाऊँ -सूरदास
- बिनती सुनहु देव मघवापति -सूरदास
- बिनती सुनी स्याम सुजान -सूरदास
- बिनवै चतुरानन कर जोरे -सूरदास
- बिना प्रीति नहिं मिलते प्रियतम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिना याचना के ही देते रहते -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिनु गुपाल और मोहि -सूरदास
- बिनु गुपाल वैरनि भई कुजै -सूरदास
- बिनु जानै हरि वाहि बढ़ाई -सूरदास
- बिनु जानैं हरि वाहि बढ़ाई -सूरदास
- बिनु परबहि उपराग आजु हरि -सूरदास
- बिनु परबै उपराग आजु हरि -सूरदास
- बिनु बोले पिय रहियै जू -सूरदास
- बिनु माधौ राधा तन -सूरदास
- बिनु माधौ राधा तन सजनी -सूरदास
- बिनु हरि क्यौ राखै मन धीर -सूरदास
- बिनु हरि भक्ति मुक्ति नहि होइ2 -सूरदास
- बिनु हरि भक्ति मुक्ति नहि होइ -सूरदास
- बिन्दुसर सरोवर
- बिप्र बुलाइ लिए नंदराइ -सूरदास
- बिप्र भवन रथ चढ्यौ -सूरदास
- बिप्रनि गो दीन्ही बहुत जुगुति करि -सूरदास
- बिमुख जननि कौ संग न कीजै -सूरदास
- बिम्बाधरश्री
- बिरंचि मन बहुरि राँचौ आइ -सूरदास
- बिरद मनौ वरियाइन छाँड़े -सूरदास
- बिरला मंदिर मथुरा
- बिरह-दुख सजनी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिरह भरयौ घर आँगन कोने -सूरदास
- बिरह भर्यौ घर -सूरदास
- बिरहबन मिलनसुधि त्रास भारी -सूरदास
- बिरहातुर, अति कातर, सब जग भूलि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिरहिनि क्यौ धीरज मन धरै -सूरदास
- बिरही कहँ लौ आपु सँभारै -सूरदास
- बिरही कैसै जिऐ बिचारे -सूरदास
- बिराजत मोहन मंडल रास -सूरदास
- बिराजत रासेस्वरि-रसराज -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिराजति एक अंग इति बात -सूरदास
- बिराजति राधा रूपनिधान -सूरदास
- बिराजित स्यामा-स्याम निकुंज -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिलग जनि मानौ ऊधौ कारे -सूरदास
- बिलग जनि मानौ हमरी बात -सूरदास
- बिलग हम मानै ऊधौ काकौ -सूरदास
- बिलोकौ राधा नागरि प्यारी2 -सूरदास
- बिलोकौ राधा नागरि प्यारी -सूरदास
- बिल्व वृक्ष
- बिल्वक
- बिल्वक (बहुविकल्पी)
- बिल्वक (साँप)
- बिल्वपांडुक
- बिल्वपाण्डुक
- बिल्वपाण्डुर
- बिल्वपाण्डुर नाग
- बिल्वमंगल
- बिसरसति क्यौ गिरिधर की बातै -सूरदास
- बिसारूँ कैसे स्याम सुजान -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बिहँसि राधा कृष्न अंक लीन्ही -सूरदास
- बिहरत कुंजनि कुंज बिहारी -सूरदास
- बिहरत दोउ मन एक करे -सूरदास
- बिहरत नारि हंसत नंद नंदन -सूरदास
- बिहरत बिबिध बालक-संग -सूरदास
- बिहरत बृंदावन बनवारी -सूरदास
- बिहरत ब्रज बीथिनि बृंदावन -सूरदास
- बिहरत रास रंग गोपाल -सूरदास
- बिहरत है जमुना जल स्याम -सूरदास
- बिहरत हैं जमुना जल स्याम -सूरदास
- बिहरति मानसर सुकुमारि -सूरदास
- बिहारवन
- बिहारी लाल, आवहु, आई छाक -सूरदास
- बिहारी लाल, आवहु -सूरदास
- बीच कियौ कुललज्जा आइ -सूरदास
- बीज (महाभारत संदर्भ)
- बीज और योनि की शुद्धि का वर्णन
- बीभत्सु
- बीर बटाऊ पाती -सूरदास
- बुदबुदा
- बुद्धि
- बुद्धि (धर्म पत्नी)
- बुद्धि (बहुविकल्पी)
- बुद्धि (महाभारत संदर्भ)
- बुद्धि की श्रेष्ठता और प्रकृति-पुरुष-विवेक
- बुद्धिकामा
- बुद्धिचक्षु
- बुद्धिमान् (महाभारत संदर्भ)
- बुद्धिसंचारिणी
- बुध
- बुध (ग्रह)
- बुध (बहुविकल्पी)
- बुध (सूर्य)
- बूझ स्याम कौन तू गोरी -सूरदास
- बूझत हैं अक्रूरहिं स्याम -सूरदास
- बूझति जननि कहाँ हुती प्यारी -सूरदास
- बूझति है रुकुमिनी पिय इनमै -सूरदास
- बृंदाबन मोकौं अति भावत -सूरदास
- बृंदाबन हरि बैठे धाम -सूरदास
- बृंदाबन हरि रास उपायो -सूरदास
- बृंदावन-रानी श्रीराधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बृंदावन क्यों न भए हम मोर -परमानंददास
- बृंदावन परम सुहावनौ राधा -सूरदास
- बृंदावन स्यामलघन नारि संग सोहैं -सूरदास
- बृंहता
- बृंहिता
- बृथा तुम स्यामहिं दूषन देति -सूरदास
- बृथा हठ दूरि किन करो प्यारी -सूरदास
- बृन्दावन खेलत हरि होरी -सूरदास
- बृन्दावन ग्वालिन सँग -सूरदास
- बृहक
- बृहज्ज्योति
- बृहत
- बृहत (ऋषि पुत्र)
- बृहत (बहुविकल्पी)
- बृहत सरोवर
- बृहती
- बृहत्कीर्ति
- बृहत्केतु
- बृहत्क्षत्र
- बृहत्क्षत्र (कौरव पक्षीय योद्धा)
- बृहत्क्षत्र (बहुविकल्पी)
- बृहत्त्वा
- बृहत्पाल
- बृहत्सेन
- बृहत्सेना
- बृहदगर्भ
- बृहदगुरु
- बृहदध्वनि
- बृहदब्रह्मा
- बृहदम्बालिका
- बृहदश्व
- बृहदश्व का युधिष्ठिर को आश्वासन
- बृहदश्व द्वारा नल-दमयन्ती के गुणों का वर्णन
- बृहदश्व द्वारा नलोपाख्यान
- बृहदुक्थ
- बृहद्गर्भ
- बृहद्गुरु
- बृहद्ध्वनि
- बृहद्बल
- बृहद्बल (देवभाग पुत्र)
- बृहद्बल (बहुविकल्पी)
- बृहद्बल (योद्धा)
- बृहद्बल (सुबल के पुत्र)
- बृहद्ब्रह्मा
- बृहद्भानु
- बृहद्भानु (अग्नि)
- बृहद्भानु (बहुविकल्पी)
- बृहद्भास
- बृहद्भासा
- बृहद्युम्न
- बृहद्रथ
- बृहद्रथ (कोशल नरेश)
- बृहद्रथ (बहुविकल्पी)
- बृहद्रथ (मगध नरेश)
- बृहद्वती
- बृहद्वनि
- बृहन्त
- बृहन्नला
- बृहन्नला के साथ उत्तरकुमार का रणभूमि को प्रस्थान
- बृहन्नला द्वारा उत्तर को पांडवों के आयुधों का परिचय कराना
- बृहन्मना
- बृहन्मन्त्र
- बृहन्नला
- बृहभ्दासा
- बृहस्पति
- बृहस्पति (बहुविकल्पी)
- बृहस्पति (सूर्य)
- बृहस्पति एवं लोकपालों की इंद्र से वार्तालाप
- बृहस्पति और अग्नि का संवाद
- बृहस्पति और युधिष्ठिर का संवाद
- बृहस्पति का इन्द्र से अपनी चिन्ता का कारण बताना
- बृहस्पति का मनुष्य को यज्ञ न कराने की प्रतिज्ञा करना
- बृहस्पति का युधिष्ठिर को अहिंसा एवं धर्म की महिमा बताना
- बृहस्पति की संतति का वर्णन
- बृहस्पति द्वारा अग्नि और इंद्र का स्तवन
- बृहस्पति द्वारा इंद्राणी की रक्षा
- बृहह्ह्म
- बेंचति ही दधि ब्रज की खोरी -सूरदास
- बेंचन चलीं दधि ब्रजनारि -सूरदास
- बेगि चलहु, प्रिय चतुर सयानी -सूरदास
- बेगि चलौ पिय कुँवर कन्हाई -सूरदास
- बेगि चलौ बलि कुँवरि सयानी -सूरदास
- बेगि ब्रज कौं फिरिए नँदराइ -सूरदास
- बेद-कमल-मुख परसनि जननी -सूरदास
- बेद की औषद खाइ कछु न करै -रसखान
- बेरस कीजै नाहिं भामिनी -सूरदास
- बेलवन
- बेष बन्यौ नंदनंदन प्यारे -सूरदास
- बेस नदी
- बैकुंठ
- बैकुण्ठ
- बैठि असुर सब सभा रुक्म -सूरदास
- बैठि गई मटुकी सब धरि कै -सूरदास
- बैठी कहा मदन मोहन कौ -सूरदास
- बैठी जननि करति सगुनौती -सूरदास
- बैठी निकुजमें आली! थी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बैठी मानिनी गहि मौन -सूरदास
- बैठी रही कुँवरि राधा -सूरदास
- बैठी राधा थीं यमुना-तट -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बैठे लाल फूलन की चौखंडी -चतुर्भुजदास
- बैठे लाल फूलन के चौवारे -कुम्भनदास
- बैद को बैद गुनी को गुनी -कृष्णदास
- बैद को सारो नाँहि रे माई -मीराँबाई
- बैन वही उनकौ गुन गाइ -रसखान
- बैमित्रा
- बैर सदा हमसौं हरि कीन्हौ -सूरदास
- बैराट
- बॉंट कहा अब सबै हमारौ -सूरदास
- बोध
- बोध (जनपद)
- बोध (बहुविकल्पी)
- बोलक इनहू कौ सुनि लीजै -सूरदास
- बोलत है तोहिं नंदकिसोर -सूरदास
- बोलत हैं तोहिं नंदकिसोर -सूरदास
- बोलति न काहे एरी -पद्माकर
- बोलि लियौ बलरामहिं जसुमति -सूरदास
- बोलि लीन्हौ कंस मल्ल चानूर कौं -सूरदास
- बोलि लेहु हलधर भैया कौं -सूरदास
- बोलि सखी चातक -सूरदास
- बोलि सखी चातक पिक -सूरदास
- बोली-’मैया ! नहीं चाहिये -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बोले तमचुर, चारयौ जाम कौ गजर मारयौ -सूरदास
- बोलो जय राधे, राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- बौद्ध रूप जैसे हरि धारयौ -सूरदास
- बौरे मन रहन अटल करि जान्यौ -सूरदास
- बौरे मन समुझि-समुझि कछु चेत -सूरदास
- ब्याकुल देखि इंद्र कौं श्रीपति -सूरदास
- ब्याकुल नंद सुनत यह बानी -सूरदास
- ब्याकुल भइं घोष कुमारि -सूरदास
- ब्याकुल भईं घोष कुमारि -सूरदास
- ब्याकुल भए ब्रज के लोग -सूरदास
- ब्याह
- ब्रज