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- जनि हठ करहू सारँग नैनी -सूरदास
- जनेश
- जनै पूजित
- जन्तु
- जन्म-मरण न दुःख सुख -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जन्म अजन्मा, अविनाशी का -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जन्म कर्म च मे दिव्यम (जयदयाल)
- जन्म कर्म च मे दिव्यम (जयदयाल गोयन्दका)
- जन्म कर्म च मे दिव्यम -जयदयाल गोयन्दका
- जन्माष्टमी
- जन्माष्टमी -बालकृष्ण कालेलकर
- जन्माष्टमी अर्थात घोर अन्धकार में दिव्य प्रकाश ! -लक्ष्मणनारायण गर्दे
- जन्माष्टमी का सन्देश -टी. एल. वास्वानी
- जन्मोच्छव राधिका कुँवरि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जन्माष्टमी का उत्सव -दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर
- जप और ध्यान की महिमा और उसका फल
- जपने योग्य मंत्र और सबेरे-शाम कीर्तन करने योग्य देवता
- जपयज्ञ के विषय में युधिष्ठिर का प्रश्न
- जपा
- जपापुष्पहस्त
- जब-जब मुरली कै मुख लागत -सूरदास
- जब-जब मुरली कैं मुख लागत -सूरदास
- जब ऊधौ यह बात कही -सूरदास
- जब कर तै गिरि धरयौ उतारि -सूरदास
- जब कर तैं गिरि धरयौ उतारि -सूरदास
- जब कर बेनु सची बलवीर -सूरदास
- जब के तुम विछुरे प्रभु मोरे कबहु न पायो चैन -मीराँबाई
- जब गहि राजसभा मैं आनी -सूरदास
- जब जदु-कुल-पति कंसहि मारयौ -सूरदास
- जब जब तेरी सुरति करत -सूरदास
- जब जब दीननि कठिन परी -सूरदास
- जब जब मुरली कान्ह बजावत -सूरदास
- जब जब हरि कर बेनु गहत -सूरदास
- जब जान्यौ ब्रज-देव मुरारी -सूरदास
- जब जान्यौ ये न्हातिं सबै -सूरदास
- जब तक जग में रहते मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जब तुम कहती हो- हे छलिया -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जब ते हरि मधुपुरी सिधाये -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जब तै निरखे चारु कपोल -सूरदास
- जब तै नैन गए मोहिं त्यागि -सूरदास
- जब तै प्रीति स्याम सौ कीन्ही -सूरदास
- जब तै सुंदर बदन निहारयौ -सूरदास
- जब तै स्रवन सुन्यौ तेरौ नाम -सूरदास
- जब तै हरि अधिकार दियौ -सूरदास
- जब तैं आँगन खेलत देख्यौ -सूरदास
- जब तैं नैन गए मोहिं त्यागि -सूरदास
- जब तैं प्रीति स्याम सौं कीन्ही -सूरदास
- जब तैं बंसी स्त्रवन परी -सूरदास
- जब तैं बंसी स्रवन परी -सूरदास
- जब तैं बिछुरे कुंज बिहारी -सूरदास
- जब तैं बिछुरे कुंजबिहारी -सूरदास
- जब तैं रसना राम कह्यौ -सूरदास
- जब तैं स्रवन सुन्यौ तेरौ नाम -सूरदास
- जब तैं हरि अधिकार दियौ -सूरदास
- जब दधि-रिपु हरि हाथ लियौ -सूरदास
- जब दधि बेचन जाहिं -सूरदास
- जब दधि बेचन जाहिं 1 -सूरदास
- जब दधि बेचन जाहिं 2 -सूरदास
- जब दधि बेचन जाहिं 3 -सूरदास
- जब दधि मथनी टेक अरै -सूरदास
- जब दूती यह बचन कह्यौ -सूरदास
- जब प्यारी मन ध्यान धरयौ है -सूरदास
- जब प्यारी मन ध्यान ध्ररयौ है -सूरदास
- जब प्यारी यह बात सुनाई -सूरदास
- जब मै इहाँ तै जु गयी -सूरदास
- जब मोहन कर गही मथानी -सूरदास
- जब लगि ज्ञान हृदै नहिं आवै -सूरदास
- जब सब गाइ भई इक ठाई -सूरदास
- जब सब गाइ भई इक ठाईं -सूरदास
- जब सिर चरन धरिहौ जाइ -सूरदास
- जब सिर चरन धरिहौं जाइ -सूरदास
- जब सुनिहौ करतूति हमारी -सूरदास
- जब से छूटा था राधे! -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जब से मोहिं नंदनंदन -मीराँबाई
- जब हरि जू भए अंतघनि -सूरदास
- जब हरि जू भए अंतर्धान -सूरदास
- जब हरि मुरली अधर घरत -सूरदास
- जब हरि मुरली अधर धरत -सूरदास
- जब हरि मुरली अधर धरी -सूरदास
- जब हरि मुरली नाद प्रकास्यौ -सूरदास
- जब हरि रथ चढ़ि चले मधुपुरी -सूरदास
- जबसे सुना सुधामय सुन्दर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जबहि चले ऊधौ मधुबन तै -सूरदास
- जबहि बन मुरलो स्त्रकवन परी -सूरदास
- जबहि बेनुधुनि साँमरै बृंदावन लाई -सूरदास
- जबहिं कह्यौ ये स्याम नहीं -सूरदास
- जबहिं कान्ह यह बात सुनाई -सूरदास
- जबहिं कान्ह यह बात सुनाई 1 -सूरदास
- जबहिं बन मुरली स्रवन परी -सूरदास
- जबहिं स्याम तन अति बिस्तारयौ -सूरदास
- जबही यह कहौंगौ याहि -सूरदास
- जबही रथ अक्रूर चढ़े -सूरदास
- जबही स्याम कही यह बानी -सूरदास
- जबहीं मुरली अधर लगावत -सूरदास
- जबहीं रथ अक्रूर चढ़े -सूरदास
- जमदग्नि
- जमदग्नि ऋषि
- जमदग्नि का सूर्य पर कुपित होना
- जमदग्नि की उत्पत्ति का वर्णन
- जमदग्नि मुनि की हत्या
- जमुन तट आइ अक्रूर न्हाए -सूरदास
- जमुना-जल कोउ भरन न पावै -सूरदास
- जमुना-तट देखे नंद-नंदन -सूरदास
- जमुना आइ गई बलदेव -सूरदास
- जमुना कै तट खेलति हरि संग -सूरदास
- जमुना चली राधिका गोरी -सूरदास
- जमुना जल क्रीड़त नंद नंदन -सूरदास
- जमुना जलहि गई जे नारी -सूरदास
- जमुना जलहिं गई जे नारी -सूरदास
- जमुना तै हौ बहुत रिझायौ -सूरदास
- जमुना तै हौं बहुत रिझायौ -सूरदास
- जमुना पुलिनहिं रच्यौ -सूरदास
- जमुना पुलिनहिं रच्यौ 2 -सूरदास
- जमुना में कूद परयौ कान्हा -सूरदास
- जमुनाजल बिहरति ब्रजनारी -सूरदास
- जमुनापुलिन रच्यौ हिंडोर -सूरदास
- जमुपुर द्वारे, लगे तिनमें के वारे -पद्माकर
- जम्बुक
- जम्बू द्वीप
- जम्बूक
- जम्बूद्वीप
- जम्बूमार्ग
- जम्भ
- जम्भ (बहुविकल्पी)
- जम्भ राक्षस
- जम्भक
- जय
- जय-जय धुनि अमरनि नभ कीन्हौ -सूरदास
- जय (अनुचर)
- जय (उपाख्यान)
- जय (कृष्ण पुत्र)
- जय (धृतराष्ट्र पुत्र)
- जय (नाग)
- जय (बहुविकल्पी)
- जय (युधिष्ठिर)
- जय (राजा)
- जय (सूर्य)
- जय अरु विजय पारषद दोइ -सूरदास
- जय अरु विजय पारषद होइ -सूरदास
- जय अरू विजय पारषद होइ -सूरदास
- जय जय, जय जय, माघघ-बेनी -सूरदास
- जय जय, जय जय, माधध-बेनी -सूरदास
- जय जय जय मथुरा सुखकारी -सूरदास
- जय जय जय राधा अभिराम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय जय ब्रजराज-तनय ब्रजबन-बिहारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय जय राधा, रासेश्वरि जय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय जय श्री सूरजा कलिन्द नन्दिनी -छीतस्वामी
- जय जय हरि-हृदया वृषभानु-सुकुमारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय नँद-नंदन प्रेम-बिवर्धन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय नँद-नन्दन, जय गोपाल -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय परमेश्वरि, जयति परम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय राधे! जय राधे! जय राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय राधे, जय जय राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय राधे जय श्री राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय वसुदेव-देवकी-नन्दन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय वसुदेव-देवकीनन्दन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जय श्रीकृष्ण! -झाबरमल्ल शर्मा
- जयंत
- जयंती
- जयंती (इंद्र की पुत्री)
- जयंती (बहुविकल्पी)
- जयंती (मातृका देवी)
- जयंतीपुरी
- जयति जय गोप्रेमी गोपाल -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जयति जय जयति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जयति जय श्रीबृषभानु-दुलारी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जयति देव, जयति देव -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जयति नँदलाल जय जयति गोपाल -सूरदास
- जयति राधिका जीवन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जयत्सेन
- जयत्सेन (जरासंध पुत्र)
- जयत्सेन (धृतराष्ट्र पुत्र)
- जयत्सेन (नकुल)
- जयत्सेन (बहुविकल्पी)
- जयत्सेना
- जयदेव
- जयदेव की जगन्नाथ यात्रा
- जयदेव द्वारा गीतगोविन्द की रचना
- जयद्रथ
- जयद्रथ (बहुविकल्पी)
- जयद्रथ (राजा)
- जयद्रथ और द्रौपदी का संवाद
- जयद्रथ का द्रौपदी पर मोहित होना
- जयद्रथ का पांडवों के साथ युद्ध और व्यूहद्वार को रोक रखना
- जयद्रथ का पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश करने से रोकना
- जयद्रथ की रक्षा हेतु दुर्योधन का अर्जुन के समक्ष आना
- जयद्रथ द्वारा द्रौपदी का अपहरण
- जयद्रथ वध
- जयद्रथ वध हेतु श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को आश्वासन
- जयद्वल
- जयधर
- जयन्त
- जयन्त (आदित्य)
- जयन्त (इन्द्र पुत्र)
- जयन्त (पाण्डव पक्ष योद्धा)
- जयन्त (बहुविकल्पी)
- जयन्त (वसु)
- जयन्ती
- जयन्तीपुरी
- जयप्रिया
- जयमंगल
- जयमाला
- जयरात
- जयसंहिता
- जयसेन
- जया
- जयानीक
- जयानीक (द्रुपद पुत्र)
- जयानीक (बहुविकल्पी)
- जयावती
- जयाश्व
- जयाश्व (द्रुपद पुत्र)
- जयाश्व (बहुविकल्पी)
- जरत्कारु
- जरत्कारु (नाग कन्या)
- जरत्कारु (बहुविकल्पी)
- जरत्कारु ऋषि
- जरत्कारु का जरत्कारु मुनि के साथ विवाह
- जरत्कारु का शर्त के साथ विवाह
- जरत्कारु की तपस्या
- जरत्कारु को पितरों के दर्शन
- जरत्कारु मुनि का नाग कन्या के साथ विवाह
- जरत्कारुप्रिया
- जरत्कारू का पितरों से अनुरोध
- जरत्कारू द्वारा वासुकि की बहिन का पाणिग्रहण
- जरा
- जरा (बहुविकल्पी)
- जरा (बहेलिया)
- जरा राक्षसी का अपना परिचय देना
- जरायु
- जरासंघ
- जरासंध
- जरासंध-मानोद्धर
- जरासंध-संकल्पकृत
- जरासंध का आक्रमण
- जरासंध का श्रीकृष्ण के साथ वैर का वर्णन
- जरासंध की युद्ध के लिए तैयारी
- जरासंध के विषय में युधिष्ठिर, भीम और श्रीकृष्ण की बातचीत
- जरासंध द्वारा बंदी राजाओं की मुक्ति
- जरासंध पर जीत के विषय में युधिष्ठिर का उत्साहहीन होना
- जरासंधहा
- जरासन्ध
- जरासन्ध (धृतराष्ट्र पुत्र)
- जरासन्ध (बहुविकल्पी)
- जरिता
- जरिता एवं उसके बच्चों का संवाद
- जरिता का अपने बच्चों की रक्षा हेतु विलाप करना
- जरितारि
- जर्जरानना
- जर्तिका
- जल
- जल-सुत-प्रीतम-सुत-रिपु-बंधव-आयुध -सूरदास
- जल-सुत-सुत ताकौ रिपुपति -सूरदास
- जल कीड़ा सुख अति उपजायौ -सूरदास
- जल तैं निकसि तीर सब आवहु -सूरदास
- जल दान और अन्न दान का माहात्म्य
- जलंधम
- जलंधमा
- जलधार
- जलनिधि-जलधर मन्द-मधुर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जलन्धम
- जलन्धमा
- जलसंघ
- जलसन्ध
- जलसन्ध (कौरव पक्ष योद्धा)
- जलसन्ध (बहुविकल्पी)
- जला
- जला दो उर मेरे विरहानल -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जला नदी
- जलाशय बनाने तथा बगीचे लगाने का फल
- जली लता-सी पड़ी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जलेयु
- जलेला
- जलेश्वरी
- जलेऽक्रूरसंदर्शित
- जलोद्भव देश
- जसुदा, नार न छेदन दैहौं -सूरदास
- जसुदा कहँ लौं कीजै कानि -सूरदास
- जसुदा कान्ह कान्ह कै बूझै -सूरदास
- जसुदा तू जो कहति ही मोसौं -सूरदास
- जसुदा तेरौ मुख हरि जोवै -सूरदास
- जसुदा तोहिं बांधि क्यौं आयौ -सूरदास
- जसुदा देखति है ढिग ठाढ़ी -सूरदास
- जसुदा देखि सुत की ओर -सूरदास
- जसुदा नार न छेदन दैहौं -सूरदास
- जसुदा मदन गोपाल सोवावै -सूरदास
- जसुदा यह न बूझि कौ काम -सूरदास
- जसुमति अति ही भई बिहाल -सूरदास
- जसुमति अति हीं भई बिहाल -सूरदास
- जसुमति अतिहीं भई बिहाल -सूरदास
- जसुमति करति मोकौ हेत -सूरदास
- जसुमति कहति कान्ह मेरे प्यारे -सूरदास
- जसुमति कह्यौ सुत, जाहु कन्हाई -सूरदास
- जसुमति कान्हहिं यहै सिखावति -सूरदास
- जसुमति किहिं यह सीख दई -सूरदास
- जसुमति कौ सुत यहै कन्हाई -सूरदास
- जसुमति जबहिं कह्यौ अन्हवावन -सूरदास
- जसुमति टेरति कुँवर कन्हैया -सूरदास
- जसुमति तू जू कहति हँसी माई -सूरदास
- जसुमति तेरौ बारौ, अतिहिं हैं अचगरौ -सूरदास
- जसुमति तेरौ वारौ कान्ह -सूरदास
- जसुमति दधि मथन करति -सूरदास
- जसुमति दौरि लिए हरि कनियाँ -सूरदास
- जसुमति धौं देखि आनि -सूरदास
- जसुमति बार-बार पछितानि -सूरदास
- जसुमति बिकल भई -सूरदास
- जसुमति बूझति फिरति गोपालहिं -सूरदास
- जसुमति भाग-सुहागिनि -सूरदास
- जसुमति मन अभिलाष करै -सूरदास
- जसुमति मन मन यहै बिचारति -सूरदास
- जसुमति यह कहि कै रिस पावति -सूरदास
- जसुमति राधा कुँवरि सँवारति -सूरदास
- जसुमति रिस करि-करि रजु करषै -सूरदास
- जसुमति लै पलिका पौढ़ावति -सूरदास
- जसुमति लै संग नंद -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जसुमति सुनि-सुनि चकित भई -सूरदास
- जसुमुति लटकति पाइ परै -सूरदास
- जसोदा! कहा कहौं हौं बात -चतुर्भुजदास
- जसोदा, तेरौ चिरजीवहु गोपाल -सूरदास
- जसोदा ऊखल बांधे स्याम -सूरदास
- जसोदा एतौ कहा रिसानी -सूरदास
- जसोदा कान्हहु तैं दधि प्यारौ -सूरदास
- जसोदा तेरौ भलौ हियौ है माई -सूरदास
- जसोदा बार-बार यौ भाषै -सूरदास
- जसोदा बार बार यौ भाषै -सूरदास
- जसोदा बार बार यौं भाषै -सूरदास
- जसोदा मैया काहे न मंगल गावै -सूरदास
- जसोदा हरि पालनैं झुलावै -सूरदास
- जसोदानंदन सुख संदेह दियौ -सूरदास
- जहँ वै स्याम मदन मूरति -सूरदास
- जहर
- जहर दियो म्हे जाणी -मीराँबाई
- जहाँ-जहाँ तुम हमहि उबारयौ -सूरदास
- जहाँ-जहाँ सुमिरे हरि जिहिं बिधि -सूरदास
- जहाँ जहाँ रिषि जाइँ तहाँ -सूरदास
- जहाँ पवित्र भाव हैं रसमय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- जहाँ स्याम घन रास उपायौ -सूरदास
- जहाँ स्याम धन रास उपायौ -सूरदास
- जहां-जहां तुम हमहि उबारयौ -सूरदास
- जहां-जहां सुमिरे हरि जिहिं बिधि -सूरदास
- जहां स्याम धन रास उपायौ -सूरदास
- जह्नु
- जह्नु (अजमीढ़ पुत्र)
- जह्नु (बहुविकल्पी)
- ज़हर