"कृष्ण के सहस्र नाम" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 200 prishth haian, kul prishth 754 (पिछले 200) (अगले 200)भ भृगुप्रार्थितम मणिग्रीवमुक्तिप्रद मधु (कृष्ण) मधोर्विलासी मनोज मन्त्रवेत्ता मन्दहास मन्मथ मन्वन्तरम महत्तत्त्वरूप महर्षिस्तुत महाअक्षौहिणीध्वंसकृत महाकीर्तिद महाक्षौहिणीहा महाचक्रधृक महाज्ञानद महादम्भिहा महादानकृत महादैत्यसंग्रामकृद यादवेश महानृत्यकृत महापद्मनेत्र महापद्मवक्ष स्थल महाबन्धनच्छेदकारी महामन्दिरे वासकृत महामल्लवेश महामल्लहा महामात्यहा महामानद महामोक्षद महामोहद महामोहदावाग्निदग्धापति महामोहनाशी महायज्ञकृत महायज्ञशोभाकर महारत्नद महारत्नयुक महावत्सहारी महावैभवी महाशंखहा महासर्पतो नन्दरक्षापराङ्घ्रि महासुन्दर महासुन्दरीक्रीडित महासेनयाअस्थित महासौख्यद महासौख्यद महाहंसभैश्चामरैर्वीज्यमान महियान महीध्र माथुरेशाधिप माद्रीपुत्र माधवीभिर्विहारस्थित माधवीश मानद मानयान मानहर्ता मानहा मानहृत मानिनी-मानद मानिनीमानकारी मानिनीमानहारी मानिनीश मार मालतीनां वनेऽपि प्रियाराधया सह राधिकार्थं रासयुक मालतीमण्डितांग मालिपूज्य मित्रविन्दापति मित्रसम्मेलनार्थी म आगे. मीनकेतु मुनि कर्दमस्यात्मज मुनीशस्तुत मुने सर्गकृत मुरारि मृडप्रस्तुत मृदं भुक्तवान मृधार्थी मृधे रुद्रजित मृषा शिक्षक मेढरक मैथिले कृती मैथिलेन प्रयुक्त मोक्षकर्ता मोहिनी मोहिनीषु महामोहकृतय यज्ञपत्नीमन स्पृक यज्ञसम्भारकर्ता यथेष्टम यदु (कृष्ण) यदु अन्धक यदु उग्रसेन नृप यशस्पृक यशोदाकरैर्बन्धनप्राप्त यशोदाकरैर्लालित यशोदाघृणी यशोदायश यशोदाशुच स्नानकृत यशोदासुताख्य यादवानां ज्ञानद यादवेश यादवैर्मण्डितांग यादवैर्मण्डिताङ्ग यानहन्ता युगानां सहस्त्रम युद्धकृत योगमायाकर योगमायीर रंगभूमिप्रवेशी रक्षक रङ्गकारप्रणाशी रणी रतीश रथस्थ रथी (कृष्ण) रथीपुत्ररूप रमानाथ रमेश रमेश धरानाथ रम्भाशुभोरु रसस्थ रसाक्त रसाढ्य रसारक्तचित्त रसी रसी रासकृत रहो गोपिकाज्ञानद राक्षसीनाशकर्ता राजकन्याअभिराम राजदूतस्तुत राजसूयार्थकारी राधया व्रजं ह्यागत राधापति राधिका प्राणनाथ रामसंधि रावणारि रासरंग र आगे. रासरक्त रासलीलापर राहभिर्हास्यग रुक्महा रुक्मिणीवाक्पटु रुक्मिणीहारक रुद्रमोही रुद्रसर्ग रूक्मिरूपप्रणाशी रेणुकापुत्ररूप रेवतीभूषण रेवतीश रोहिणी सौख्यद रोहिणीजल लय (कृष्ण) लसत्कंकण लसत्कुन्ददन्त लसद्गोपवेश लसद्वालकेलि लोककृत लोकजित लोकरक्षापर लोकरीति लोकवेदोपदेशीव वंशीधर वटस्थ वत्सरान्त वनस्थ वने गोपिकात्यागकृत वने वत्सकृत वने वत्सचारी वनेश वरो गांगल वर्तमान वर्मधृक वल्गितभ्रूविलास वल्लभेश वल्लवीमध्यसंस्थ वशी वातवर्षाहर वानरारि वानरेन्द्रप्रहारी वायकप्रीतिकृत विकारस्थित विचित्र (कृष्ण) विप्रदारिद्रयहा विप्रपुत्रप्रद विप्ररूप विभु (कृष्ण) विलासी विशालाक्ष मोहप्रद विश्वरूपप्रदर्शी विहारस्थित विहारी विहारी वर वृक्षरूप वृन्दारकारण्यवासी वृष्णि वैकारिकस्तैजसस्तामश्च अहंकार वैभवेश व्यासदेव व्रजप्रेमप व्रजाधीश गोपांगनाशंकित व्रजाधीशरक्षाकर व्रजानन्दद व्रजे उद्धव प्रेषिता (पिछले 200) (अगले 200)