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- निम्बार्काचार्य
- नियत समयपर पहुँच न पायी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- नियतायु
- नियति
- निरखत ऊधौ कौ सुख पायौ -सूरदास
- निरखत पिय प्यारी अँग अंग विरह सोभा -सूरदास
- निरखत रूप नागरि नारि -सूरदास
- निरखत रूप नैन मेरे अटके -सूरदास
- निरखति अंक स्याम सुंदर -सूरदास
- निरखि छवि पुलकत है ब्रजराज -सूरदास
- निरखि न्यौछावर प्रानपिरयारे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- निरखि पिय रूप तिय चकित भारी -सूरदास
- निरखि ब्रज-नारि छबि स्याम लाजै -सूरदास
- निरखि मुखचंद तुहारौ नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- निरखि रूप अटकी मेरी अँखिया -सूरदास
- निरखि सखि सुंदरता की सीवा -सूरदास
- निरखि स्याम प्यारी-अँग-सोभा -सूरदास
- निरखि स्याम हलधर मुसुकाने -सूरदास
- निरगुन कौन देस कौ बासी -सूरदास
- निरणि मुख राघव धरत न धोर -सूरदास
- निरमित्र
- निरमित्र (कौरव पक्ष योद्धा)
- निरमित्र (बहुविकल्पी)
- निरमित्र तथा व्याघ्रदत्त का वध और दुर्मुख तथा विकर्ण की पराजय
- निरवद्य
- निरविन्द
- निरामय
- निरामया
- निरामर्द
- निरीह
- निरुद्ध
- निरुद्धा
- निर्ऋति
- निर्गुण
- निर्धन (महाभारत संदर्भ)
- निर्मन्थ्य
- निर्मल प्रेम नित्य यौं बोलै -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- निर्माणाधीन लेख
- निर्मोचन
- निर्मोचन नगर
- निर्व्यूह
- निवात-कवच
- निवातकवच
- निवासन
- निवाहौ बाहँ गहे की लाज -सूरदास
- निवाहौ। बाहँ गहे की लाज -सूरदास
- निवृत्तिमार्ग का उपदेश
- निशठ
- निशठ (बलराम पुत्र)
- निशठ (बहुविकल्पी)
- निशठ (राजा)
- निशा
- निशाकर
- निश्चय (महाभारत संदर्भ)
- निश्च्यवन
- निषंग
- निषंगी
- निषध
- निषध (पर्वत)
- निषध (बहुविकल्पी)
- निषध देश
- निषाद
- निषाद (जाति)
- निषाद (बहुविकल्पी)
- निषादभूमि
- निषिद्ध आचरण के त्याग आदि के परिणाम तथा सत्त्वगुण के सेवन का उपदेश
- निष्क
- निष्काम कर्मयोग का प्रतिपादन और आत्मोद्धार के लिए प्रेरणा
- निष्काम कर्मयोग तथा योगी महात्मा पुरुषों के आचरण एवं महिमा का वर्णन
- निष्कुट
- निष्कुटिका
- निष्कृति
- निष्क्रमण संस्कार
- निष्टानक
- निष्टानक नाग
- निष्ठानक
- निष्ठुरक
- निष्ठुरिक
- निस-जागर-साजित श्रीराधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- निस दिन इन नैननि कौ आली -सूरदास
- निसि काहै बन कौ उठि धाई -सूरदास
- निसि काहैं बन कौं उठि धाई -सूरदास
- निसि दिन बरषत नैन हमारे -सूरदास
- निसि सरद कोटिक काम -सूरदास
- निसिदिन गाइये -नागरीदास
- निसुन्द
- निस्त्रिंश
- नींदलड़ी नहिं आवै सारी रात -मीराँबाई
- नीकै आए गिरिधर नागर -सूरदास
- नीकै धरनि धरयौ गोपाल -सूरदास
- नीकै रहियौ जसुमति भैया -सूरदास
- नीकै विषहिं उतारयौ स्याम -सूरदास
- नीकै स्याम मान तुम धारौ -सूरदास
- नीकैं आए गिरिधर नागर -सूरदास
- नीकैं गाइ गुपालहिं मन रे -सूरदास
- नीकैं तप कियौ तनु गारि -सूरदास
- नीकैं देहु न मेरौ गिंड़ुरी -सूरदास
- नीकैं देहु न मेरौ गिंडूरी -सूरदास
- नीकैं धरनि धरयौ गोपाल -सूरदास
- नीकैं धरौ नंद-नंदन बल-बीर -सूरदास
- नीकैं विषहिं उतारयौ स्याम -सूरदास
- नीकैं स्याम मान तुम धारौ -सूरदास
- नीच (महाभारत संदर्भ)
- नीच मैं मूढ़ दोष की खान -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- नीति (महाभारत संदर्भ)
- नीथ
- नीप
- नीम
- नील
- नील (अनूप देश)
- नील (केकय राजकुमार)
- नील (पर्वत)
- नील (पाण्डव पक्षीय योद्धा)
- नील (बहुविकल्पी)
- नील (बहुविकल्पी शब्द)
- नील (राजा)
- नील (साँप)
- नील पर्वत
- नीलगिरि
- नीलमनि धेनु लिये सँग आवत -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- नीलमनि मनहर बन तें आवत -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- नीला
- नीला नदी
- नीलांबर पहिरे तनु भामिनि -सूरदास
- नीलांबर पहिरे तनु भामिनि 1 -सूरदास
- नीलाम्बराभ
- नीली
- नीले नीले बादल असाढ़ सावन -सूरदास
- नीवारा
- नीवी ललित गही जदुराइ -सूरदास
- नूपुराढ्य
- नृग
- नृग का उद्धार
- नृगं मुक्तिद
- नृत्य
- नृत्य कला
- नृत्य त स्याम नाना रंग -सूरदास
- नृत्यत अंग अभूषन बाजत -सूरदास
- नृत्यत स्याम नाना रंग -सूरदास
- नृत्यत स्याम स्यामा हेत -सूरदास
- नृत्यत है दोउ स्यामा-स्याम -सूरदास
- नृत्यत हैं दोउ स्यामा-स्याम -सूरदास
- नृत्यप्रिया
- नृप अजातशत्रु
- नृप ऐसी आवर्दा पाइ -सूरदास
- नृप कौ नाउं लेत ताही मुख -सूरदास
- नृप सुदच्छिन महादेव ध्यायौ -सूरदास
- नृप सेतुकृत
- नृपति बचन यह सबनि सुनायौ -सूरदास
- नृपति मन इहै विचार परयौ -सूरदास
- नृपति रहूगन कैं मन आई -सूरदास
- नृपति रहूगन कैं मन आई 2 -सूरदास
- नृपति रहूगन कैं मन आई 3 -सूरदास
- नृपतिरजक अंबरनृप धोवत -सूरदास
- नृपप्रेमकृत
- नृपानन्द-कारी
- नृपै पारिबर्ही
- नृपै संवृत
- नृपै संस्तुत
- नृपैर्मन्त्रकृत
- नृशंस अर्थात अत्यन्त नीच पुरुष के लक्षण
- नृसिंह अवतार
- नृसिंह अवतार की संक्षिप्त कथा
- नृसिंह जयंती
- नेता (कार्तिकेय)
- नेता (महाभारत संदर्भ)
- नेत्रमलकुण्ड
- नेपाल
- नेमहिं मैं हरि आइ रहेंगे -सूरदास
- नेमहिं मैं हरि आइ रहैंगे -सूरदास
- नेवले का सेरभर सत्तूदान को अश्वमेध यज्ञ से बढ़कर बताना
- नेह कारन श्री यमुने प्रथम आई -नंददास
- नेह न होइ पुरानी रे अलि -सूरदास
- नेहभरे नयनन्हि सों निरखत -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- नैंकु गोपालहिं मोकौं दै री -सूरदास
- नैंकु न मन तैं टरत कन्हाई -सूरदास
- नैंकु नहीं धर सौं मन लागत -सूरदास
- नैंकु नहीं भावत न्यारे री -सूरदास
- नैंकु रहौ, माखन द्यौं तुमकौं -सूरदास
- नैकपृष्ठ
- नैकहु सोच न काहू कीन्हौ -सूरदास
- नैकु नही भावत न्यारे री -सूरदास
- नैकु निकुंज कृपा करि आइयै -सूरदास
- नैगमेय
- नैगमेय (अग्नि पुत्र)
- नैगमेय (बहुविकल्पी)
- नैणा लोभी रे बहुरि सके नहिं आइ -मीराँबाई
- नैन आपने घर के री -सूरदास
- नैन उनींदे भए रँगराते -सूरदास
- नैन उनीदे भए रँगराते -सूरदास
- नैन करत घरही की चोरी -सूरदास
- नैन करे सुख, हम दुख पावैं -सूरदास
- नैन करैं सुख, हम दुख पावैं -सूरदास
- नैन कहै न मानत मेरे -सूरदास
- नैन कहैं न मानत मेरे -सूरदास
- नैन कोर हरि हेरि कै -सूरदास
- नैन खग स्याम नीकै पढ़ाए -सूरदास
- नैन खग स्याम नीकै पढाए -सूरदास
- नैन गए न फिरे री माई -सूरदास
- नैन गए री अति अकुलात -सूरदास
- नैन गए सु फिरे नहिं फेरि -सूरदास
- नैन घन घटत न एक घरी -सूरदास
- नैन चंचलता कीन्हे कहा -सूरदास
- नैन चपलता कहाँ गँवाई -सूरदास
- नैन तौ कहे मै नहीं मेरे -सूरदास
- नैन तौ कहे मैं नहीं मेरे -सूरदास
- नैन न मेरे हाथ रहे -सूरदास
- नैन निरखि अजहूँ न फिरे री -सूरदास
- नैन पर बहु लूटि मै -सूरदास
- नैन परे बहु लूटि मैं -सूरदास
- नैन परे रस-स्याम-सुधा मैं -सूरदास
- नैन परे हरि पाछै री -सूरदास
- नैन परे हरि पाछैं री -सूरदास
- नैन भए अधिकारी जाइ -सूरदास
- नैन भए बस मोहन तै -सूरदास
- नैन भए बस मोहन तैं -सूरदास
- नैन भए बोहित के काग -सूरदास
- नैन भए वोहित के काग -सूरदास
- नैन भए हरिही के -सूरदास
- नैन मिले हरि कौ ढरि भारी -सूरदास
- नैन मिले हरि कौं ढरि भारी -सूरदास
- नैन रँगीले चिहुर छबीले -सूरदास
- नैन लख्यो जब कुंजन तैं -रसखान
- नैन सफल अब भए हमारे -सूरदास
- नैन सलोने स्याम -सूरदास
- नैन स्यामसुख लूटत हैं -सूरदास
- नैन है री ये बटपारी -सूरदास
- नैन हैं री ये बटपारी -सूरदास
- नैनन नाध्यौ है झर -सूरदास
- नैनन नींद परत नहिं सजनी -सूरदास
- नैनन बनज बसाउरी -मीराँबाई
- नैनन बनज बसाउुंरी -मीराँबाई
- नैनन बनज बसाऊँ री -मीराँबाई
- नैननि उहै रूप जौ देखौ -सूरदास
- नैननि ऐसी बानि परी -सूरदास
- नैननि ऐसीयै कछु बानि -सूरदास
- नैननि कठिन बानि पकरी -सूरदास
- नैननि कोउ समुझावै री -सूरदास
- नैननि कौ मत सुनहु सयानी -सूरदास
- नैननि कौ री यहै सुहाइ -सूरदास
- नैननि कौं अब नहीं पत्याउँ -सूरदास
- नैननि कौं री यहै सुहाइ -सूरदास
- नैननि तै यह भई बड़ाई -सूरदास
- नैननि तै हरि आपुस्वारथी -सूरदास
- नैननि तैं यह भई बड़ाई -सूरदास
- नैननि तैं हरि आपुस्वारथी -सूरदास
- नैननि दसा करी यह मेरी -सूरदास
- नैननि देखिबे की ठौरि -सूरदास
- नैननि देखिवे की ठौरि -सूरदास
- नैननि ध्यान नंदकुमार -सूरदास
- नैननि नंदनंदन ध्यान -सूरदास
- नैननि नाध्यौ है झर -सूरदास
- नैननि निपट कठिनई ठानी -सूरदास
- नैननि निरखि वसीठी कीन्ही -सूरदास
- नैननि निरखि स्याम-स्वरूप -सूरदास
- नैननि निरखि हरि को रूप -सूरदास
- नैननि निरखि हरि कौ रूप -सूरदास
- नैननि नींद गई री निसि दिन -सूरदास
- नैननि प्रान चोरि लै दीने -सूरदास
- नैननि बानि परी नहिं नीकी -सूरदास
- नैननि भलौ मतौ ठहरायौ -सूरदास
- नैननि यह कुटेव पकरी -सूरदास
- नैननि साध नही सिराइँ -सूरदास
- नैननि साध नहीं सिराइँ -सूरदास
- नैननि साधै ई जु रही -सूरदास
- नैननि सिखवत हारि परी -सूरदास
- नैननि सौ झगरौ करिहौ री -सूरदास
- नैननि सौं झगरौ करिहौं री -सूरदास
- नैननि हरि कौ निठुर कराए -सूरदास
- नैननि हरि कौं निठुर कराए -सूरदास
- नैननि होड़ बदी बरषा सौ -सूरदास
- नैननि हौं समुझाइ रही -सूरदास
- नैना (माई) भूलैं अनंत न जात -सूरदास
- नैना अटके रूप मै -सूरदास
- नैना अटके रूप मैं -सूरदास
- नैना अतिही लोभ भरे -सूरदास
- नैना अतिहीं लोभ भरे -सूरदास
- नैना अब लागे पछतान -सूरदास
- नैना इहि ढँग परे -सूरदास
- नैना इहिं ढँग परे -सूरदास
- नैना उनही देखै जीवत -सूरदास
- नैना उनहीं देखैं जीवत -सूरदास
- नैना ऐसे हठी हमारे -सूरदास
- नैना ऐसे हैं बिसवासी -सूरदास
- नैना ओछे चोर अरी री -सूरदास
- नैना कह्यौ न मानै मेरौ -सूरदास
- नैना कह्यौ न मानैं मेरौ -सूरदास
- नैना कह्यौ मानत नाहिं -सूरदास
- नैना खोज परे है ऐसे -सूरदास
- नैना खोज परे हैं ऐसे -सूरदास
- नैना घूँघट मैं न समात -सूरदास
- नैना झगरत आइ कै मोसौं री माई -सूरदास
- नैना ढीठ अतिही भए -सूरदास
- नैना ढीठ अतिहीं भए -सूरदास
- नैना नहि आवै तुव पास -सूरदास
- नैना नहि आवैं तुव पास -सूरदास
- नैना नही सखी वै मेरे -सूरदास
- नैना नाहिंन कछू बिचारत -सूरदास
- नैना नाहिनै ये रहत -सूरदास
- नैना निपट बिकट छबि अटके -सूरदास
- नैना निपट विकट छवि अटके -सूरदास
- नैना नीकै उनहि रए -सूरदास
- नैना नीकैं उनहि रए -सूरदास
- नैना नैननि माँझ समाने -सूरदास
- नैना पंकज पंक खचे -सूरदास
- नैना बहुत भाँति हटके -सूरदास
- नैना बीधे दोऊ मेरे -सूरदास
- नैना भए अनाथ -सूरदास
- नैना भए अनाथ हमारे -सूरदास
- नैना भए पराए चेरे -सूरदास
- नैना भए प्रगटही चेरे -सूरदास
- नैना भए बजाइ गुलाम -सूरदास
- नैना भरे घर के चोर -सूरदास
- नैना माई भूलै अनंत न जात -सूरदास
- नैना मानअपमान सह्यौ -सूरदास
- नैना मानत नाहिंन बरज्यौ -सूरदास
- नैना मानत नाहिन बरज्यौ -सूरदास
- नैना मारेहूँ पर मारत -सूरदास
- नैना मेरे अटके री -सूरदास
- नैना मेरे तलफि तलफि भए राते -सूरदास
- नैना मेरे मिलि चले -सूरदास
- नैना मोकौ नही पत्याहिं -सूरदास
- नैना मोकौं नहीं पत्याहिं -सूरदास
- नैना रहै न मेरे हटकै -सूरदास
- नैना रहैं न मेरे हटकैं -सूरदास
- नैना लीनहरामी ये -सूरदास
- नैना लुब्धे रूप कौ -सूरदास
- नैना लुब्धे रूप कौं -सूरदास
- नैना लोनहरामी ये -सूरदास
- नैना लोभहिं लोभ भरे -सूरदास
- नैना सावन भादो जीते -सूरदास
- नैना सावन भादौं जीते -सूरदास
- नैना हरि अंगरूप लुब्धे री माई -सूरदास
- नैना हाथ न मेरै आली -सूरदास
- नैना हाथ न मेरैं आली -सूरदास
- नैमित्तिक
- नैमिष
- नैमिषारण्य
- नैमिषारण्य तीर्थ का वर्णन
- नैमिषीय तीर्थ
- नैर्ऋत
- नैर्ऋतास्त्र
- नैर्ऋत्य
- नैवेद्य
- नो लख गाय सुनी हम नंद के -रसखान