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- सकुचित कहत नहीं महाराज -सूरदास
- सखी री, कौन तिहारे जात -सूरदास
- सबरी-आस्रम रघुवर आए -सूरदास
- समुझि अब निराख जानकी-मोहिं -सूरदास
- सरन परि मन-बच-कर्म बिचारि -सूरदास
- सिंधु-तट उतरे राम उदार -सूरदास
- सिय-हित मृग पाछैं उठि धाए -सूरदास
- सीता पुहुप-वाटिका लाई -सूरदास
- सीतापति-सेवक तोहिं देखन कौं आयौ -सूरदास
- सीय-सुधि सुनत रघुबीर धाए -सूरदास
- सुक-सारन द्वै दूत पठाए -सूरदास
- सुकदेव कह्यो, सुनौ हो राव3 -सूरदास
- सुकदेव कह्यौ, सुनौ हो राव -सूरदास
- सुकदेव कह्यौ, सुनौ हो राव2 -सूरदास
- सुकदेव कह्यौ, सुनौ हो राव4 -सूरदास
- सुकदेव कह्यौ, सुनौ हो राव5 -सूरदास
- सुनि अरे अंध दसकंध, लै सीय मिलि -सूरदास
- सुनि सीता, सपने की बात -सूरदास
- सुनि सीता, सपने की बात2 -सूरदास
- सुनि सीता, सपने की बात3 -सूरदास
- सुनि सीता, सपने की बात4 -सूरदास
- सुनि सुग्रीव, प्रतिज्ञा मेरी -सूरदास
- सुनु कपि, वै रघुनाथ नहीं -सूरदास
- सुनौ अनुज, इहिं बन इतननि मिलि -सूरदास
- सुनौ कपि, कौसिल्या की बात -सूरदास
- सुनौ किन कनकपुरी के राइ -सूरदास
- सुरपतिहिं बोलि रघुबीर बोले -सूरदास
- सो हरि-भक्ति पाइ सुख पावै -सूरदास
- सो हरि-भक्ति पाइ सुख पावै2 -सूरदास
- सोचि जिय पवन-पूत पछिताइ -सूरदास
- सो दिन त्रिजटी, कहू कब ऐहै -सूरदास
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