"श्री कृष्ण के प्रेमोद्गार" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 80 prishth haian, kul prishth 80 अ अत: कहीं भी, कभी न होता -हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्त-विहीन, अनादि, नित्य -हनुमान प्रसाद पोद्दार अन्तर की रस-धारा की हो -हनुमान प्रसाद पोद्दारआ आतुर मैं अत्यन्त सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दारए एक तुम्हारे सिवा न राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार एक तुम्हीं में मन अटका है -हनुमान प्रसाद पोद्दारक कभी न होता, कभी न होगा -हनुमान प्रसाद पोद्दार कहत स्याम निज मुख -हनुमान प्रसाद पोद्दार कैसे किसे बताऊँ अब मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार कैसे तुम्हें दिखाऊँ, हे बृषभानुलली! -हनुमान प्रसाद पोद्दारग गोपिका! हौं नित रिनी तिहारौ -हनुमान प्रसाद पोद्दारज जब तुम कहती हो- हे छलिया -हनुमान प्रसाद पोद्दार जब से छूटा था राधे! -हनुमान प्रसाद पोद्दार जिससे मुझ ‘आनन्द-रूप’ को -हनुमान प्रसाद पोद्दार जिह्वा के मम अग्र भाग पर -हनुमान प्रसाद पोद्दारत तुम कभी मन में तनिक भी -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम यह शायद समझ रही -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुमने मुझे दिया सुख नित ही -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम्हारी स्मृति नित बन साकार -हनुमान प्रसाद पोद्दार तुम्हें क्या कहूँ, क्या न कहूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार तेरी चिन्ता, तेरी पीड़ा -हनुमान प्रसाद पोद्दार तेरे उर की शुचि सुन्दरता -हनुमान प्रसाद पोद्दार तोसे मिलहौं, हे राधिके! -हनुमान प्रसाद पोद्दारद दूर रहें या पास -हनुमान प्रसाद पोद्दार देख छबीली छटा -हनुमान प्रसाद पोद्दारन नहीं कर्मका कहीं प्रयोजन -हनुमान प्रसाद पोद्दार नहीं चुका सकता मैं बदला -हनुमान प्रसाद पोद्दार न आगे. नहीं जानता मैं भगवत्ता -हनुमान प्रसाद पोद्दार निर्मल प्रेम नित्य यौं बोलै -हनुमान प्रसाद पोद्दारप पल भर नहीं छोड़ते बनता -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्राणाधिके! प्रियतमे! -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्राणेश्वरि! निश्चय ही तू ही है -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रियतमे! मैं नित रिनी तिहारौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! तुम्हारा-मेरा यह अति -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! तुम्हारी मधुर मनोहर -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! तुम्हारी महान महिमा -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! तुम्हारी मूर्ति नित अपृथक् -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! तुम्हारी वाणी सुनने को -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! तुम्हारी विरह-वेदना -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! प्राण-प्रतिमे! -हनुमान प्रसाद पोद्दार प्रिये! लखौ तुम सर्व-बिलच्छन -हनुमान प्रसाद पोद्दारब बरबस करषौं मुनि-मनहि निज -हनुमान प्रसाद पोद्दारभ भूल गया मैं अन्य सभी कुछ -हनुमान प्रसाद पोद्दार भोली-भाली निपट मनोहर -हनुमान प्रसाद पोद्दारम मधुकर-कृष्ण, मनोहर -हनुमान प्रसाद पोद्दार मानो या मत मानो -हनुमान प्रसाद पोद्दार मिली सदा रहतीं तुम मुझमें -हनुमान प्रसाद पोद्दार मुझ ‘रस’को, मेरे ‘रस' के -हनुमान प्रसाद पोद्दार मेरा तन-मन सब तेरा ही -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं न तुमसे एक क्षण भी दूर हूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं प्रियतम, तू प्रेयसि मेरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार मैं हूँ पूर्णानन्द परम शुचि -हनुमान प्रसाद पोद्दार मो मन राधा-छबि -हनुमान प्रसाद पोद्दारय यद्यपि करता सदा तुम्हारे ही -हनुमान प्रसाद पोद्दार र रहता पुरी द्वारिका में मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा बिना अशोभन नित मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा मेरी प्राण-प्रतिमा -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा से भी लगता मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा! तुम-सी तुहीं एक हो -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधा! तेरे दर्शन को मैं उत्सुक रहता -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधिके! तुम मम जीवन -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधिके! तुम सलिल -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधिके! तुम सौं होड़ लगी -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधे! क्यों मैं रीझा तुम पर -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधे! तू ही चिरजनी -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधे! हे प्रियतमे -हनुमान प्रसाद पोद्दार राधे, तुम-सी तुम्हीं एक हो -हनुमान प्रसाद पोद्दार रोज की आदत मेरी -हनुमान प्रसाद पोद्दारव विधु-बदनी श्रीराधिके! -हनुमान प्रसाद पोद्दार विषय-कामना, भोग-रति -हनुमान प्रसाद पोद्दारस सर्वनियन्ता सर्वेश्वर मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुन्दर-मधुर सदा मैं मुनि-मन को -हनुमान प्रसाद पोद्दार सुमधुर स्मरण तुम्हारा-मेरा -हनुमान प्रसाद पोद्दार सोचा करता तब मैं -हनुमान प्रसाद पोद्दारह हे आराध्या राधा! -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे प्रियतमे राधिके -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे ब्रजरमणि-मुकुटमणि राधे! -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे राधे वृषभानुनन्दिनी -हनुमान प्रसाद पोद्दार हे वृषभानु राजनन्दिनि! -हनुमान प्रसाद पोद्दार है कर्तव्य नहीं कुछ मुझको -हनुमान प्रसाद पोद्दार