"महाभारत स्त्री पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 39 prishth haian, kul prishth 39 क कुन्ती द्वारा कर्ण के जन्म का रहस्य प्रकट करना कृपाचार्य का धृतराष्ट्र को कौरव-पांडवों की सेना के विनाश की सूचना देना कृष्ण के फटकारने पर धृतराष्ट्र का पांडवों को हृदय से लगानाग गांधारी का अन्यान्य वीरों को मरा देखकर शोकातुर होना गांधारी का अपने अन्य पुत्रों तथा दु:शासन को देखकर विलाप करना गांधारी का कृष्ण के सम्मुख विलाप गांधारी का जयद्रथ एवं दु:शला को देखकर कृष्ण के सम्मुख विलाप गांधारी का विकर्ण, दुर्मुख, चित्रसेन तथा दु:सह को देखकर विलाप गांधारी द्वारा उत्तरा और विराटकुल की स्त्रियों के विलाप का वर्णन गांधारी द्वारा कर्ण की स्त्री के विलाप का वर्णन गांधारी द्वारा कृष्ण को यदुवंशविनाश विषयक शाप देनाद दुर्योधन व उसके पास रोती हुई पुत्रवधु को देखकर गांधारी का विलाप द्रौपदी का विलाप तथा कुन्ती एवं गांधारी का उसे आश्वासन देना ध धृतराष्ट्र का दुर्योधन व कौरव सेना के संहार पर विलाप धृतराष्ट्र का रणभूमि जाने हेतु नगर से बाहर निकलना धृतराष्ट्र का शोकातुर होना धृतराष्ट्र के शोक करने पर कृष्ण द्वारा समझाना धृतराष्ट्र द्वारा भीम की लोहमयी प्रतिमा भंग करनाप पांडवों का धृतराष्ट्र से मिलना पांडवों को शाप देने के लिए उद्यत हुई गांधारी को व्यास द्वारा समझानाभ भीम का गांधारी से क्षमा माँगना भीष्म और द्रोण को देखकर गांधारी का विलाप भूरिश्रवा के पास उसकी पत्नियों का विलापय युधिष्ठिर का कर्ण के लिये शोक प्रकट करते हुए प्रेतकृत्य सम्पन्न करना युधिष्ठिर की अज्ञा से सबका दाह संस्कार युधिष्ठिर द्वारा अपना अपराध मानना एवं अर्जुन का भयवश कृष्ण के पीछे छिपना य आगे. युधिष्ठिर द्वारा महाभारत युद्ध में मारे गये लोगों की संख्या और गति का वर्णनव विदुर का धृतराष्ट्र को शोक त्यागने के लिए कहना विदुर का शरीर की अनित्यता बताते हुए शोक त्यागने के लिए कहना विदुर का शोक निवारण हेतु उपदेश विदुर का संयम और ज्ञान आदि को मुक्ति का उपाय बताना विदुर द्वारा गहन वन के दृष्टांत से संसार के भयंकर स्वरूप का वर्णन विदुर द्वारा दुखमय संसार के गहन स्वरूप और उससे छूटने का उपाय विदुर द्वारा संसार चक्र का वर्णन विदुर द्वारा संसाररूपी वन के रूपक का स्पष्टीकरण व्यास का धृतराष्ट्र को समझानाश शकुनि को देखकर गांधारी का शोकोद्गारस संजय का धृतराष्ट्र को सान्त्वना देना स्त्री-पुरुषों का अपने मरे हुए सम्बंधियों को जलांजलि देना