"महाभारत कर्ण पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 200 prishth haian, kul prishth 206 (पिछले 200) (अगले 200)अ अर्जुन और भीम के द्वारा कौरव वीरों का संहार अर्जुन और भीम द्वारा कौरव सेना का संहार अर्जुन और युधिष्ठिर का मिलन अर्जुन का अश्वत्थामा के साथ अद्भुत युद्ध अर्जुन का कर्ण के सामने उपस्थित होना अर्जुन का कौरव सेना को नष्ट करके आगे बढ़ना अर्जुन का युधिष्ठिर के वध हेतु उद्यत होना अर्जुन का युधिष्ठिर से कर्ण को न मार सकने का कारण बताना अर्जुन का श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर के पास चलने का आग्रह अर्जुन का श्रीकृष्ण से रथ कर्ण के पास ले चलने के लिए कहना अर्जुन का संशप्तकों के साथ युद्ध अर्जुन के द्वारा अश्वत्थामा की पराजय अर्जुन के द्वारा कर्ण का वध अर्जुन के द्वारा कौरव सेना का विध्वंस अर्जुन के द्वारा कौरव सेना का संहार अर्जुन के द्वारा कौरव सेना का संहार और पांडवों की विजय अर्जुन के द्वारा दण्ड का वध अर्जुन के द्वारा दण्डधार का वध अर्जुन के द्वारा संशप्तक सेना का संहार अर्जुन के बाणों से संतप्त होकर कौरव वीरों का पलायन अर्जुन के वीरोचित उद्गार अर्जुन को मार्ग में शुभ शकुन संकेतों का दर्शन अर्जुन द्वारा अश्वत्थामा की पराजय अर्जुन द्वारा कर्णवध की प्रतिज्ञा और युधिष्ठिर का आशीर्वाद अर्जुन द्वारा कर्णवध हेतु प्रतिज्ञा अर्जुन द्वारा कौरव सेना का विनाश करके रक्त की नदी बहाना अर्जुन द्वारा दस हज़ार संशप्तक योद्धाओं और उनकी सेना का संहार अर्जुन द्वारा धृष्टद्युम्न की रक्षा और अश्वत्थामा की पराजय अर्जुन द्वारा रथसेना का विध्वंस अर्जुन द्वारा वृषसेन का वध अर्जुन द्वारा श्रुतंजय, सौश्रुति तथा चन्द्रदेव का वध अर्जुन द्वारा संशप्तकों का वध अर्जुन द्वारा सत्यसेन का वध तथा संशप्तक सेना का संहार अर्जुन से बाण न चलाने के लिए कर्ण का अनुरोध अर्जुन से श्रीकृष्ण का उपदेश अश्वत्थामा और भीमसेन का युद्ध तथा दोनों का मूर्छित होना अश्वत्थामा का अर्जुन से घोर युद्ध करके पराजित होना अश्वत्थामा का घोर युद्ध और सात्यकि के सारथि का वध अश्वत्थामा का दुर्योधन से संधि के लिए प्रस्ताव अश्वत्थामा का धृष्टद्युम्न पर आक्रमण अश्वत्थामा के द्वारा पाण्ड्य नरेश का वधइ इंद्र आदि देवताओं का शिव की शरण में जाना इंद्र आदि देवताओं द्वारा शिव की स्तुति करनाउ उभयपक्ष की सेनाओं का अमर्यादित भयंकर संग्राम उभयपक्ष की सेनाओं का घोर युद्धक कर्ण और अर्जुन का द्वैरथ युद्ध में समागम कर्ण और अर्जुन का भयंकर युद्ध कर्ण और दुर्योधन की बातचीत कर्ण और भीमसेन का युद्ध कर्ण और युधिष्ठिर का संग्राम तथा कर्ण की मूर्छा कर्ण और सात्यकि का युद्ध कर्ण का अभिमानपूर्वक शल्य को फटकारना कर्ण का आत्मप्रशंसापूर्वक शल्य को फटकारना कर्ण का घोर पराक्रम कर्ण का पराक्रम कर्ण का भय और शल्य का समझाना कर्ण का मद्र आदि बाहीक निवासियों के दोष बताना कर्ण का युद्ध हेतु प्रस्थान और शल्य से उसकी बातचीत कर्ण का राजा युधिष्ठिर पर आक्रमण कर्ण का शल्य को फटकारना कर्ण का शल्य से परशुराम द्वारा प्राप्त शाप की कथा कहना कर्ण का शल्य से ब्राह्मण द्वारा प्राप्त शाप की कथा कहना कर्ण का सारथि बनने के विषय में शल्य का घोर विरोध करना कर्ण का सारथि होने के लिए शल्य की स्वीकृति कर्ण का सेनापति पद पर अभिषेक कर्ण की आत्मप्रशंसा कर्ण की मूर्छा और शल्य का उसे युद्धभूमि से हटा ले जाना क आगे. कर्ण की शल्य से और अर्जुन की श्रीकृष्ण से वार्ता कर्ण के द्वारा नकुल की पराजय कर्ण के द्वारा पांचाल सेना का संहार कर्ण के द्वारा पांडव सेना का संहार और पलायन कर्ण के रथ का पहिया पृथ्वी में फँसना कर्ण के वध पर धृतराष्ट्र का विलाप कर्ण के सेनापतित्व में कौरवों द्वारा मकरव्यूह का निर्माण कर्ण को सेनापति बनाने के लिए अश्वत्थामा का प्रस्ताव कर्ण द्वारा कई योद्धाओं सहित पांडव सेना का संहार कर्ण द्वारा कौरव सेना की व्यूह रचना कर्ण द्वारा नकुल-सहदेव सहित युधिष्ठिर की पराजय कर्ण द्वारा पांचाल सेना सहित योद्धाओं का संहार कर्ण द्वारा भार्गवास्त्र से पांचालों का संहार कर्ण द्वारा मद्र आदि बाहीक देशवासियों की निन्दा कर्ण द्वारा मद्रदेश के निवासियों की निन्दा कर्ण द्वारा युधिष्ठिर की पराजय और तिरस्कार कर्ण द्वारा शल्य को मार डालने की धमकी देना कर्ण द्वारा शिखण्डी की पराजय कर्ण द्वारा श्रीकृष्ण-अर्जुन का पता देने वाले को पुरस्कार देने की घोषणा कर्ण से युद्ध के विषय में श्रीकृष्ण और अर्जुन की बातचीत कर्ण-अर्जुन युद्ध की जय-पराजय के सम्बंध में प्राणियों का संशय कर्णपर्व के श्रवण की महिमा कर्णवध पर कौरवों का शोक तथा भीम आदि पांडवों का हर्ष कर्णवध से दु:खी दुर्योधन को शल्य द्वारा सांत्वना कर्णवध से प्रसन्न युधिष्ठिर द्वारा श्रीकृष्ण और अर्जुन की प्रशंसा कृतवर्मा के द्वारा शिखण्डी की पराजय कृपाचार्य द्वारा युधामन्यु की एवं कृतवर्मा द्वारा उत्तमौजा की पराजय कृपाचार्य द्वारा शिखण्डी की पराजय कृपाचार्य द्वारा सुकेतु का वध कृपाचार्य से धृष्टद्युम्न का भय कौरव और पांडव सेनाओं का घोर युद्ध कौरव पक्ष के जीवित योद्धाओं का वर्णन और धृतराष्ट्र की मूर्छा कौरव वीरों द्वारा कुलिन्दराज के पुत्रों और हाथियों का संहार कौरव सेना का शिबिर की ओर पलायन कौरव सेना में अपशकुन कौरव-पांडव दलों का भयंकर घमासान युद्ध कौरव-पांडव सेना का भयंकर युद्ध तथा अर्जुन और कर्ण का पराक्रम कौरव-पांडव सेना में द्वन्द्वयुद्ध तथा सुषेण का वध कौरव-पांडव सेनाओं का घोर युद्ध और कौरव सेना का व्यथित होना कौरवों की गजसेना का विनाश और पलायन कौरवों की रात्रि में मन्त्रणा कौरवों द्वारा मारे गये प्रधान पांडव पक्ष के वीरों का परिचयज जनमेजय का वैशम्पायन से कर्णवध वृत्तान्त कहने का अनुरोधद दु:शासन और भीमसेन का युद्ध दुर्योधन का सेना को आश्वासन तथा कर्णवध का संक्षिप्त वृत्तान्त दुर्योधन का सैनिकों को प्रोत्साहन देना और अश्वत्थामा की प्रतिज्ञा दुर्योधन की शल्य से कर्ण का सारथि बनने के लिए प्रार्थना दुर्योधन द्वारा अश्वत्थामा के संधि प्रस्ताव को अस्वीकार करना दुर्योधन द्वारा कौरव सेना को रोकने का विफल प्रयास दुर्योधन द्वारा शल्य को शिव के विचित्र रथ का विवरण सुनाना दुर्योधन द्वारा शल्य से त्रिपुरों की उत्पत्ति का वर्णन करना देवताओं का ब्रह्मा को शिव का सारथि बनाना देवताओं की शिव से त्रिपुरों के वध हेतु प्रार्थना द्रौपदीपुत्र प्रतिविन्ध्य द्वारा चित्र का वध द्रौपदीपुत्र श्रुतकर्मा द्वारा चित्रसेन का वधध धृतराष्ट्र और संजय का वार्तालाप धृतराष्ट्र का शोक और समस्त स्त्रियों की व्याकुलता धृतराष्ट्र का संजय से कर्णवध का विस्तारपूर्वक वृत्तान्त पूछना धृतराष्ट्र के द्वारा दैव की प्रबलता का प्रतिपादन धृतराष्ट्रपुत्रों का भागकर कर्ण का आश्रय लेना धृष्टद्युम्न और कर्ण का युद्ध धृष्टद्युम्न और दु:शासन तथा वृषसेन और नकुल का युद्ध धृष्टद्युम्न के द्वारा कृतवर्मा की पराजय धृष्टद्युम्न से दुर्योधन की पराजयन नकुल और कर्ण का घोर युद्ध नकुल और वृषसेन का युद्ध नकुल और सात्यकि के साथ वृषसेन का युद्ध न आगे. नकुल-सहदेव के साथ दुर्योधन का युद्धप परशुराम द्वारा कर्ण को दिव्यास्त्र प्राप्ति का वर्णन पांडव सेना द्वारा अर्धचन्द्राकार व्यूह की रचना पांडव सेना पर भयानक गजसेना का आक्रमण पांडवों के हज़ारों योद्धाओं का वध पांडवों द्वारा कौरव सेना में भगदड़ पांडवों द्वारा बंगराज तथा अंगराज का वध पाण्ड्य नरेश का कौरव सेना के साथ युद्धारम्भब ब्रह्मा और शिव द्वारा अर्जुन की विजय घोषणाभ भीम और कर्ण का घोर युद्ध भीम का अपने सारथि विशोक से संवाद भीम के द्वारा गजसेना, रथसेना और घुड़सवारों का संहार भीम के द्वारा धृतराष्ट्र के दस पुत्रों का वध भीम द्वारा कर्णपुत्र भानुसेन का वध भीम द्वारा कौरव योद्धाओं का सेना सहित विनाश भीम द्वारा दु:शासन का रक्तपान और उसका वध भीम द्वारा दुर्योधन की पराजय तथा गजसेना का संहार भीम द्वारा पच्चीस हज़ार पैदल सैनिकों का वध भीम द्वारा शकुनि की पराजय भीमसेन द्वारा क्षेमधूर्ति का वध भीमसेन द्वारा धृतराष्ट्र के छ: पुत्रों का वधय युधामन्यु द्वारा चित्रसेन का वध तथा भीम का हर्षोद्गार युधिष्ठिर और दुर्योधन का युद्ध युधिष्ठिर का अपनी छावनी में जाकर विश्राम करना युधिष्ठिर का अर्जुन के प्रति अपमानजनक क्रोधपूर्ण वचन युधिष्ठिर का अर्जुन से भ्रमवश कर्ण के मारे जाने का वृत्तान्त पूछना युधिष्ठिर का अश्वत्थामा को छोड़कर दूसरी ओर चले जाना युधिष्ठिर के आदेश से अर्जुन का आक्रमण युधिष्ठिर के द्वारा दुर्योधन की पराजय युधिष्ठिर पर कौरव सैनिकों का आक्रमण युयुत्सु और उलूक का युद्ध तथा युयुत्सु का पलायनर रक्त नदी का वर्णन और पांडव महारथियों द्वारा कौरव सेना का विध्वंसश शतानीक और श्रुतकर्मा का युद्ध शल्य और दुर्योधन का वार्तालाप शल्य का कर्ण के प्रति अत्यन्त आक्षेपपूर्ण वचन कहना शल्य का कर्ण को उत्तर और दुर्योधन का दोनों को शान्त करना शल्य का कर्ण को हंस और कौए का उपाख्यान सुनाना शल्य के द्वारा रणभूमि का दिग्दर्शन शल्य द्वारा अर्जुन की प्रशंसा शल्य द्वारा कर्ण का उपहास और अर्जुन के बल-पराक्रम का वर्णन शल्य द्वारा कर्ण का सारथि कर्म स्वीकार करना शल्य द्वारा कर्ण को श्रीकृष्ण और अर्जुन की शरण में जाने की सलाह शल्य द्वारा पांडव सेना के प्रमुख वीरों का वर्णन शिव द्वारा त्रिपुरों का वध करना श्रीकृष्ण और अर्जुन का भीम को युद्ध का भार सौंपना श्रीकृष्ण और अर्जुन का युधिष्ठिर के पास जाना श्रीकृष्ण और अर्जुन का शिविर की ओर गमन श्रीकृष्ण और अर्जुन की रणयात्रा श्रीकृष्ण और अर्जुन को आते देख शल्य और कर्ण की बातचीत श्रीकृष्ण का अर्जुन को कर्णवध हेतु उत्तेजित करना श्रीकृष्ण का अर्जुन को कर्णवध हेतु उत्साहित करना श्रीकृष्ण का अर्जुन को धर्म का तत्त्व बताकर समझाना श्रीकृष्ण का अर्जुन को प्रतिज्ञाभंग, भ्रातृवध तथा आत्मघात से बचाना श्रीकृष्ण का अर्जुन को प्रोत्साहन देना श्रीकृष्ण का अर्जुन को बलाकव्याध और कौशिक मुनि की कथा सुनाना श्रीकृष्ण का अर्जुन को युद्धभूमि का दृश्य दिखाते हुए रथ को आगे बढ़ाना श्रीकृष्ण का अर्जुन को युद्धस्थल का दृश्य दिखाते हुए उनकी प्रशंसा करना श्रीकृष्ण का अर्जुन से कर्ण के पराक्रम का वर्णन श्रीकृष्ण का अर्जुन से दुर्योधन के पराक्रम का वर्णन श्रीकृष्ण का अर्जुन से भीम के दुष्कर पराक्रम का वर्णन श्रीकृष्ण का कर्ण को चेतावनी देना श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को कर्णवध का समाचार देना श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को सान्त्वना देकर संतुष्ट करना श्रीकृष्ण के द्वारा अर्जुन की सर्पमुख बाण से रक्षा श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन के बल की प्रशंसास संजय का कौरव पक्ष के मारे गये प्रमुख वीरों का परिचय देना (पिछले 200) (अगले 200)