"महाभारत उद्योग पर्व" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 200 prishth haian, kul prishth 683 (पिछले 200) (अगले 200)अ अकृतव्रण और परशुराम का अम्बा से वार्तालाप अगस्त्य का इन्द्र से नहुष के पतन का वृत्तांत बताना अम्बा और परशुराम का संवाद तथा अकृतव्रण की सलाह अम्बा और शैखावत्य संवाद अम्बा का द्रुपद का यहाँ जन्म और शिखण्डी नामकरण अम्बा का भीष्म से शाल्वराज के प्रति अनुराग प्रकट करना अम्बा का शाल्व द्वारा परित्याग अम्बा की कठोर तपस्या अम्बा को महादेव से वरप्राप्ति तथा उसका चिता में प्रवेश अर्जुन का कथन अर्जुन द्वारा अपने सहायकों और युधिष्ठिर की शक्ति का परिचय देना अर्जुन द्वारा कौरवों के लिए संदेशइ इंद्र का ब्रह्म हत्या से उद्धार इंद्र का ब्रह्महत्या के भय से जल में छिपना इंद्र का स्वर्ग में राज्य पालन इंद्र-वृत्तासुर संधि इंद्राणी के अनुरोध पर नहुष का ऋषियों को अपना वाहन बनाना इंद्राणी को बृहस्पति का आश्वासन इन्द्र द्वारा त्रिशिरा वध इन्द्र द्वारा वृत्तासुर का वध इन्द्र द्वारा सुमुख को दीर्घायु देना तथा सुमुख-गुणकेशी विवाहउ उपश्रुति देवी की मदद से इंद्र-इंद्राणी की भेंट उशीनर का ययातिकन्या से शिबि नामक पुत्र उत्पन्न करनाक कण्व मुनि का दुर्योधन को संधि के लिए समझाना कण्व मुनि द्वारा मातलि का उपाख्यान आरम्भ करना कर्ण और भीष्म का रोषपूर्वक संवाद कर्ण का दुर्योधन के पक्ष में रहने का निश्चित विचार कर्ण की अर्जुन को छोड़कर शेष पांडवों को न मारने की प्रतिज्ञा कर्ण की आत्मप्रशंसा एवं भीष्म द्वारा उस पर आक्षेप कर्ण के आक्षेपपूर्ण वचन कर्ण द्वारा कृष्ण से अपने स्वप्न का वर्णन कर्ण द्वारा कृष्ण से पांडवों की विजय और कौरवों की पराजय दर्शाने वाले लक्षणों का वर्णन कर्ण द्वारा कृष्ण से समरयज्ञ के रूपक का वर्णन कर्ण द्वारा कौरव सभा त्यागकर जाना कुंती का कर्ण के पास जाना कुंती का कर्ण से पांडवपक्ष में मिल जाने का अनुरोध कुंती का पांडवों के लिये संदेश कुंती का संदेश तथा कृष्ण का उनसे विदा लेना कुंती द्वारा विदुलोपाख्यान का प्रारम्भ कुन्ती का कृष्ण से अपने दु:खों का स्मरण करके विलाप करना कुरुक्षेत्र में पांडव सेना का पड़ाव तथा शिविर निर्माण कृष्ण का अर्जुन को उत्तर देना कृष्ण का कर्ण को पांडवपक्ष में आने के लिए समझाना कृष्ण का कर्ण से पांडवपक्ष की निश्चित विजय का प्रतिपादन कृष्ण का कौरव-पांडव संधि के प्रयत्न का औचित्य बताना कृष्ण का कौरवसभा में प्रवेश कृष्ण का कौरवसभा से प्रस्थान कृष्ण का कौरवों के प्रति दण्ड के प्रयोग पर जोर देना कृष्ण का दुर्योधन के भोजन निमंत्रण को अस्वीकार करना कृष्ण का दुर्योधन को फटकारना कृष्ण का मार्ग में लोगों द्वारा आदर-सत्कार कृष्ण का युधिष्ठिर को युद्ध के लिए प्रोत्साहन देना कृष्ण का युधिष्ठिर से कौरवसभा में व्यक्त किये भीष्म के वचन सुनाना कृष्ण का युधिष्ठिर से युद्ध को ही कर्तव्य बताना कृष्ण का विदुर के घर पर भोजन करना कृष्ण का विश्वरूप कृष्ण का वृकस्थल पहुँचकर विश्राम करना कृष्ण का शांतिदूत बनकर कौरव सभा में जाने का निश्चय कृष्ण का हस्तिनापुर को प्रस्थान कृष्ण के विभिन्न नामों की व्युत्पत्तियों का कथन कृष्ण को भीमसेन का उत्तर कृष्ण को मार्ग में दिव्य महर्षियों का दर्शन कृष्ण द्वारा कुन्ती को आश्वासन देना कृष्ण द्वारा द्रोणाचार्य, विदुर तथा गांधारी के महत्त्वपूर्ण वचनों का वर्णन कृष्ण द्वारा द्रौपदी को आश्वासन कृष्ण द्वारा धृतराष्ट्र को दुर्योधन आदि को कैद करने की सलाह कृष्ण द्वारा भीमसेन को आश्वासन देना क आगे. कृष्ण द्वारा भीमसेन को उत्तेजित करना कौरव पक्ष के रथियों का परिचय कौरव पक्ष के रथी, महारथी और अतिरथियों का वर्णन कौरव सभा में धृतराष्ट्र द्वारा शान्ति का प्रस्ताव कौरव सेना का रण के लिए प्रस्थान कौरवसभा में कृष्ण का प्रभावशाली भाषण कौरवसभा में कृष्ण का स्वागत और उनके द्वारा आसनग्रहणग गरुड़ और गालव का ययाति के यहाँ आगमन गरुड़ और गालव की तपस्विनी शाण्डिली से भेंट गरुड़ का गालव से उत्तर दिशा का वर्णन करना गरुड़ का गालव से दक्षिण दिशा का वर्णन करना गरुड़ का गालव से पश्चिम दिशा का वर्णन करना गरुड़ का गालव से पूर्व दिशा का वर्णन करना गरुड़ पर सवार गालव का उनके वेग से व्याकुल होना गांधारी का दुर्योधन को समझाना गालव की चिन्ता और गरुड़ द्वारा उन्हें आश्वासन देना गालव द्वारा ययातिकन्या को विश्वामित्र की सेवा में देना गालव द्वारा विश्वामित्र से गुरुदक्षिणा माँगने के लिए हठ का वर्णन गुण दोषों के लक्षण एवं ब्रह्मविद्या का प्रतिपादनघ घड़ी (समय)द दत्तात्रेय एवं साध्य देवताओं का संवाद दिवोदास का ययातिकन्या से प्रतर्दन नामक पुत्र उत्पन्न करना दुर्योधन का अहंकारपूर्वक पांडवों से युद्ध का निश्चय दुर्योधन का उलूक को दूत बनाकर पांडवों के पास भेजना दुर्योधन का कृष्ण के विषय में अपने विचार कहना दुर्योधन का कृष्ण के स्वागत-सत्कार हेतु मार्ग में विश्रामस्थान बनवाना दुर्योधन का धृतराष्ट्र से अपने उत्कर्ष और पांडवों के अपकर्ष का वर्णन दुर्योधन की आत्मप्रशंसा दुर्योधन की कुमन्त्रणा से भीष्म का कुपित होना दुर्योधन के प्रति धृतराष्ट्र के युक्तिसंगत वचनों का वर्णन दुर्योधन द्वारा अपनी प्रबलता का प्रतिपादन और धृतराष्ट्र का उस पर अविश्वास दुर्योधन द्वारा अपने पक्ष की प्रबलता का वर्णन दुर्योधन द्वारा कण्व मुनि के उपदेश की अवहेलना दुर्योधन द्वारा पांडवों को राज्य न देने का निश्चय दुर्योधन द्वारा भीष्म का सेनापति पद पर अभिषेक दुर्योधन द्वारा सेना को सुसज्जित होने और शिविर निर्माण का आदेश दुर्योधन द्वारा सेनाओं का विभाजन और सेनापतियों का अभिषेक देवता-नहुष संवाद देवताओं का विष्णु जी की शरण में जाना द्रुपद का पुरोहित को दौत्य कर्म के लिए अनुमति द्रुपद की सम्मति द्रुपद के पुरोहित का कौरव सभा में भाषण द्रुपद द्वारा नगररक्षा की व्यवस्था और देवाराधन द्रोणाचार्य का दुर्योधन को पुन: संधि के लिए समझाना द्रौपदी का कृष्ण को अपना दु:ख सुनानाध धृतराष्ट्र एवं विदुर के यहाँ कृष्ण का आतिथ्य धृतराष्ट्र और विदुर का दुर्योधन को पुन: समझाना धृतराष्ट्र और संजय का संवाद धृतराष्ट्र का अन्य योद्धाओं को युद्ध से भय दिखाना धृतराष्ट्र का कृष्ण की अगवानी करके उन्हें भेंट देने का विचार धृतराष्ट्र का दुर्योधन को संधि के लिए समझाना धृतराष्ट्र का दुर्योधन को समझाना धृतराष्ट्र का पाण्डवों को संदेश धृतराष्ट्र का संजय से पाण्डवों की प्रतिभा का वर्णन धृतराष्ट्र के अनुरोध से कृष्ण का दुर्योधन को समझाना धृतराष्ट्र के पास व्यास और गांधारी का आगमन धृतराष्ट्र के प्रति विदुर का नीतियुक्त उपदेश धृतराष्ट्र के प्रति विदुर का हितोपदेश धृतराष्ट्र के प्रति विदुर के नीतियुक्त वचन धृतराष्ट्र द्वारा अर्जुन से प्राप्त होने वाले भय का वर्णन धृतराष्ट्र द्वारा कौरव-पांडव शक्ति का तुलनात्मक वर्णन धृतराष्ट्र द्वारा दूत को सम्मानित करके विदा करना धृतराष्ट्र द्वारा भगवद्गुणगान धृतराष्ट्र-विदुर संवाद धृष्टद्युम्न द्वारा योद्धाओं की नियुक्तिन नकुल का निवेदन नहुष का इंद्र के पद पर अभिषिक्त होना न आगे. नहुष का इन्द्राणी को काल अवधि देना नहुष का काम-भोग में आसक्त होना नारद का दुर्योधन से धर्मराज द्वारा विश्वामित्र की परीक्षा लेने का वर्णन नारद का नागराज आर्यक से सुमुख तथा मातलि कन्या के विवाह का प्रस्ताव नारद द्वारा गरुड़लोक तथा गरुड़ की संतानों का वर्णन नारद द्वारा दुर्योधन को समझाना नारद द्वारा नागलोक के नागों का वर्णन नारद द्वारा पाताललोक का प्रदर्शन नारद द्वारा सुरभि तथा उसकी संतानों का वर्णन नारद द्वारा हिरण्यपुर का दिग्दर्शन और वर्णनप पंडवों का संदेश लेकर उलूक का लौटना परशुराम और भीष्म का घोर युद्ध परशुराम और भीष्म का युद्ध हेतु कुरुक्षेत्र में उतरना परशुराम और भीष्म का रोषपूर्ण वार्तालाप परशुराम के साथ भीष्म द्वारा युद्ध प्रारम्भ करना परशुराम द्वारा नर-नारायणरूप कृष्ण-अर्जुन का महत्त्व वर्णन पांडव पक्ष के महारथियों का वर्णन तथा विराट और द्रुपद की प्रशंसा पांडव पक्ष के रथी, महारथी एवं अतिरथी आदि का वर्णन पांडव शिविर में उलूक द्वारा दुर्योधन का संदेश सुनाना पांडव सेना का कुरुक्षेत्र में प्रवेश पांडव सेना का युद्ध के लिए प्रस्थान पांडवपक्ष के सेनापति का चुनाव पांडवों की ओर से दुर्योधन को उसके संदेश का उत्तर पुरोहित का हस्तिनापुर प्रस्थानब बलराम का पांडव शिविर में आगमन और तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान बृहस्पति एवं लोकपालों की इंद्र से वार्तालाप बृहस्पति और अग्नि का संवाद बृहस्पति द्वारा अग्नि और इंद्र का स्तवन बृहस्पति द्वारा इंद्राणी की रक्षा ब्रह्मज्ञान में मौन, तप तथा त्याग आदि के लक्षणभ भीमसेन का शांति विषयक प्रस्ताव भीमसेन के पराक्रम से धृतराष्ट्र का विलाप भीष्म आदि द्वारा अपनी-अपनी शक्ति का वर्णन भीष्म और द्रोण का दुर्योधन को पुन: समझाना भीष्म और द्रोण का दुर्योधन को समझाना भीष्म और परशुराम का युद्ध भीष्म और परशुराम के युद्ध की समाप्ति भीष्म का कर्ण पर आक्षेप और द्रोणाचार्य द्वारा भीष्मकथन का अनुमोदन भीष्म का दुर्योधन से कृष्ण और अर्जुन की महिमा का बखान भीष्म का शिखण्डी और पांडवों का वध न करने का कथन भीष्म का शिखण्डी को न मारने का निश्चय भीष्म को प्रस्वापनास्त्र की प्राप्ति भीष्म तथा परशुराम द्वारा शक्ति और ब्रह्मास्त्र का प्रयोग भीष्म द्वारा काशीराज की कन्याओं का अपहरण भीष्म द्वारा कौरव पक्ष के रथियों और अतिरथियों का परिचय भीष्म द्वारा पांडव पक्ष के रथी और उनकी महिमा का वर्णन भीष्म द्वारा पुरोहित का समर्थन एवं अर्जुन की प्रशंसा भीष्म, द्रोण, विदुर और धृतराष्ट्र का दुर्योधन को समझानाम महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 1 श्लोक 1-11 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 1 श्लोक 12-26 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 10 श्लोक 1-19 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 10 श्लोक 20-38 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 10 श्लोक 39-50 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 100 श्लोक 1-19 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 101 श्लोक 1-16 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 102 श्लोक 1-15 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 103 श्लोक 1-26 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 104 श्लोक 1-17 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 104 श्लोक 18-30 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 105 श्लोक 1-17 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 105 श्लोक 18-35 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 105 श्लोक 36-40 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 106 श्लोक 1-15 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 106 श्लोक 16-27 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 107 श्लोक 1-14 महाभारत उद्योग पर्व अध्याय 107 श्लोक 15-19 (पिछले 200) (अगले 200)