"महाभारत आश्रमवासिक पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 58 prishth haian, kul prishth 58 क कुंती का कर्ण के जन्म का गुप्त रहस्य बताने का वर्णन कुंती की चिंता से युधिष्ठिर का वन जाने का विचार कुंती द्वारा पांडवों के अनुरोध का उत्तर कुंती सहित गांधारी व धृतराष्ट्र का गंगातट पर निवासग गांधारी और कुंती का व्यास से मृत पुत्रों के दर्शन का अनुरोध गांधारी सहित धृतराष्ट्र का वन प्रस्थानध धृतराष्ट्र आदि का गंगातट से कुरुक्षेत्र गमन धृतराष्ट्र आदि का शतयूप के आश्रम पर निवास धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर युधिष्ठिर एवं अन्य पांडवों का विलाप धृतराष्ट्र आदि के लिए पांडवों तथा पुरवासियों की चिंता धृतराष्ट्र और युधिष्ठिर की बातचीत धृतराष्ट्र का कुरुजांगल की प्रजा से वन जाने हेतु आज्ञा माँगना धृतराष्ट्र का गांधारी के साथ वन जाने हेतु उद्योग धृतराष्ट्र का मृत बान्धवों के शोक से दुखी होना धृतराष्ट्र का युधिष्ठिर से श्राद्ध के लिए धन मांगना धृतराष्ट्र का वन जाने हेतु युधिष्ठिर से अनुमति लेने का अनुरोध धृतराष्ट्र के धन मांगने पर अर्जुन की सहमति और भीम का विरोध धृतराष्ट्र द्वारा मृत व्यक्तियों के लिए श्राद्ध एवं दान-यज्ञ का अनुष्ठान धृतराष्ट्र द्वारा युधिष्ठिर को राजनीति का उपदेश धृतराष्ट्र द्वारा राजनीति का उपदेश न नारद का धृतराष्ट्र की तपस्या विषयक श्रद्धा को बढ़ाना नारद का युधिष्ठिर को धृतराष्ट्र आदि के दावानल में दग्ध होने का समाचार देना नारद द्वारा धृतराष्ट्र को मिलने वाली गति का वर्णनप परलोक से आये व्यक्तियों का रागद्वेषरहित होकर मिलना पांडवों का धृतराष्ट्र और गांधारी के अनुकूल बर्ताव पांडवों का सेना सहित कुरुक्षेत्र पहुँचना पांडवों का स्त्रियों सहित निराश लौटना पांडवों के अनुरोध पर भी कुंती का वन जाने का निश्चय पांडवों तथा पुरवासियों का धृतराष्ट्र आदि के दर्शन करना पाण्डवों का सदलबल हस्तिनापुर में आना पुत्रदर्शन पर्व के श्रवण की महिमा प्रजाजनों से धृतराष्ट्र द्वारा क्षमा प्रार्थना करनाय युधिष्ठिर आदि का ऋषियों के आश्रम देखना युधिष्ठिर आदि के पास ऋषियों सहित व्यास का आगमन युधिष्ठिर और कुंती आदि का दुखी होना युधिष्ठिर का कलश आदि बाँटना और धृतराष्ट्र के पास बैठना युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र आदि की मृत्यु पर शोक करना युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र को यथेष्ट धन देने की स्वीकृति देना युधिष्ठिर का धृतराष्ट्र को वन जाने हेतु अनुमति देना युधिष्ठिर का सेना सहित वन प्रस्थान य आगे. युधिष्ठिर के साथ सहदेव और द्रौपदी का वन जाने का उत्साह युधिष्ठिर को धृतराष्ट्र द्वारा राजनीति का उपदेश युधिष्ठिर तथा कुंती द्वारा धृतराष्ट्र और गांधारी की सेवा युधिष्ठिर द्वारा धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की हड्डियों को गंगा में प्रवाहित करनाव विदुर का धृतराष्ट्र को युधिष्ठिर का उदारतापूर्ण उत्तर सुनाना विदुर का युधिष्ठिर के शरीर में प्रवेश वैशम्पायन द्वारा जनमेजय की शंका का समाधान व्यास आज्ञा से विधवा क्षत्राणियों का अपने पतियों के लोक जाना व्यास का धृतराष्ट्र से कुशल-क्षेम पूछना व्यास का धृतराष्ट्र से विदुर और युधिष्ठिर की धर्मरूपता का प्रतिपादन व्यास की आज्ञा से धृतराष्ट्र आदि पाण्डवों को विदा करना व्यास की कृपा से जनमेजय को अपने पिता के दर्शन व्यास के कहने पर सब लोगों का गंगा तटपर जान व्यास के प्रभाव से कौरव-पाण्डवों का गंगा नदी से प्रकट होना व्यास द्वारा कुंती को सांत्वना देना व्यास द्वारा धृतराष्ट्र आदि के पूर्वजन्म का परिचयस संजय द्वारा ऋषियों को पांडवों सहित समस्त स्त्रियों का परिचय देना साम्ब ब्राह्मण का धृतराष्ट्र को सान्त्वनापूर्ण उत्तर देना