"सूरसागर द्वादश स्कन्ध" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 7 prishth haian, kul prishth 7 ज जनमेजय जब पायौ राज -सूरदासन नृप ऐसी आवर्दा पाइ -सूरदासब बिनु हरि भक्ति मुक्ति नहि होइ -सूरदास ब आगे. बिनु हरि भक्ति मुक्ति नहि होइ2 -सूरदास बौद्ध रूप जैसे हरि धारयौ -सूरदासस सुकदेव हरि चरननि सिर नाइ -सूरदास ह हरि करिहै कलंकि अवतार -सूरदास