"सूरसागर चतुर्थ स्कन्ध" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 21 prishth haian, kul prishth 21 अ अपुनपौ आपुन ही मैं पायौ -सूरदास अब कहों ध्रंव बर देनऽवतार -सूरदास अब कहों ध्रंव बर देनऽवतार 2 -सूरदास अब कहों ध्रंव बर देनऽवतार 3 -सूरदासक कथा पुरंजन की अब कहौं -सूरदास कथा पुरंजन की अब कहौं 2 -सूरदास कथा पुरंजन की अब कहौं 3 -सूरदास क आगे. कथा पुरंजन की अब कहौं 4 -सूरदासघ घारि पृथु-रूप हरि राज कीन्हौ 2 -सूरदासज जज्ञ प्रभु प्रगट दरसन दिखायौ -सूरदासद दच्छ के उपर्जी पुत्री सात -सूरदासध धारि पृथु-रूप हरि राज कीन्हौ -सूरदास ध्रुव विसाता-बचन सुनि रिसायौ -सूरदासर रूचि कैं अत्रि नाम सुत भयो -सूरदास स सती हियैं धरि सिव कौ ध्यान -सूरदास सूर कह्यौ भागवतऽनुसार -सूरदास सूर कह्यौ भागवतऽनुसार 2 -सूरदास सूर कह्यौ भागवतऽनुसार 3 -सूरदास स्वायंभू मनु के सुत दोइ -सूरदासह हरि हरि, हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास हरि हरि, हरि हरि, सुमिरन करौ -सूरदास