"महाभारत भीष्म पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 30 prishth haian, kul prishth 230 (पिछले 200) (अगले 200)व वेदव्यास द्वारा अमंगलसूचक उत्पातों का वर्णन वेदव्यास द्वारा भयसूचक उत्पातों का वर्णन वेदव्यास द्वारा विजयसूचक लक्षणों का वर्णन व्यूहबद्ध कौरव-पांडव सेनाओं का घमासान युद्ध व्यूहबद्ध कौरव-पांडव सेनाओं की रणयात्राश शकुनि की घुड़सवार सेना की पराजय शरशय्या पर स्थित भीष्म के पास ऋषियों का आगमन शल्य द्वारा उत्तरकुमार का वध और श्वेत का पराक्रम शास्त्र के अनुकूल आचरण करने के लिए प्रेरणा शिखंडी एवं भीष्म का युद्ध श आगे. शिखण्डी और अश्वत्थामा का युद्ध शिखण्डी को आगे कर पांडवों का भीष्म पर आक्रमण श्रद्धा और शास्त्र विपरीत घोर तप करने वालों का वर्णन श्रीकृष्ण और अर्जुन से डरकर कौरव सेना में भगदड़स संजय का धृतराष्ट्र को भीष्म की मृत्यु का समाचार सुनाना संजय द्वारा धृतराष्ट्र से भूमि के महत्त्व का वर्णन संजय द्वारा युद्ध के वृत्तान्त का वर्णन आरम्भ करना संजय द्वारा शाकद्वीप का वर्णन संसारवृक्ष और भगवत्प्राप्ति के उपाय का वर्णन सकाम और निष्काम उपासना का वर्णन स आगे. सत्त्व, रज और तम गुणों का वर्णन सांख्ययोग, निष्काम कर्मयोग, ज्ञानयोग एवं ध्यानयोग का वर्णन साकार और निराकार उपासकों की उत्तमता का निर्णय सात्यकि और भीष्म का युद्ध सात्यकि और भूरिश्रवा की मुठभेड़ सात्यकि द्वारा अलम्बुष की पराजय सुदर्शन द्वीप के वर्ष तथा शशाकृति आदि का वर्णन सुशर्मा आदि से अर्जुन का युद्धारम्भ सैनिकों के हर्ष तथा उत्साह विषयक धृतराष्ट्र और संजय का संवाद स्वजनवध के पाप से भयभीत अर्जुन का विषाद (पिछले 200) (अगले 200)