"काव्य कोश" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 164 prishth haian, kul prishth 364 (पिछले 200) (अगले 200)ब बहुत दुख पैयत हैं इहिं बात -सूरदास बहुरि कब आवैंगे -सूरदास बहुरि न कबहूँ -सूरदास बहुरि पपीहा बोल्यौ -सूरदास बहुरि बन बोलन -सूरदास बहुरि हरि आवहिंगे किहि -सूरदास बहुरौ गोपाल मिलैं -सूरदास बहुरौ देखिबौ इहिं भाँति -सूरदास बहुरौ हो ब्रज बात -सूरदास बार बार मग जोवति माता -सूरदास बारंबार निरखि सुख मानति -सूरदास बारक जाइयौ मिलि माधौ -सूरदास बिछुरत उमँगि नीर भरि आए -सूरदास बिछुरत श्रीब्रजराज आजु -सूरदास बिछुरन जनि काहू सौं होइ -सूरदास बिछुरे री मेरे -सूरदास बिछुरें स्याम बहुत -सूरदास बिधु बैरी सिर पै बसै -सूरदास बिनु परबै उपराग आजु हरि -सूरदास बिनु माधौ राधा तन -सूरदास बिरह भर्यौ घर -सूरदास बीर बटाऊ पाती -सूरदास बोलि सखी चातक -सूरदास ब्याकुल भए ब्रज के लोग -सूरदास ब्रज कहा -सूरदास ब्रज तजि गए माधौ कालि -सूरदास ब्रज तैं पावस पै न टरी -सूरदास ब्रज पै बदरा आए गाजन -सूरदास ब्रज पै बहुरौ लागे -सूरदास ब्रज पै मंडर करत -सूरदास ब्रज पै सजि पावस -सूरदास ब्रज में वै उनहार नहीं -सूरदास ब्रज मैं दोउ बिधि -सूरदासभ भयौ कठोर बज्र तैं भारी -सूरदासम मति कोउ प्रीति कें फंद परै -सूरदास मदन गुपाल बिना या ब्रज की -सूरदास मधुबन चलन कहत हैं सजनी -सूरदास मन गह्वर मोहि उतर न आयौ -सूरदास मनैं कुसुम निरमायल दाम -सूरदास माई बहुरि न बाजी -सूरदास माई मोकौं चंद लग्यौ -सूरदास माई री कैसैं बनै -सूरदास माई री ये मेघ गाजैं -सूरदास माई वै दिन इहिं -सूरदास माई हौं किन संग गई -सूरदास माधौ दरसन की -सूरदास माधौ या लगि है -सूरदास मानौ बिधि अब उलटि -सूरदास मानौ माई सबनि -सूरदास मुरली कौन बजावै -सूरदास मेरी ब्रज की छाती -सूरदास मेरे कुँवर कान्ह बिन सब कुछ -सूरदास मेरे मोहन तुमहिं बिना नहिं जैहौं -सूरदास मेरौ अति प्यारौ नंद नंद -सूरदास मेरौ कहा करत ह्वैहै -सूरदास म आगे. मेरौ मन वैसिऐ सुरति करै -सूरदास मैं जान्यौ री आए हैं हरि -सूरदास मैं सब लिखि सोभा -सूरदास मोरी लागी लटक गुरु चरणकी -मीरां मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा -मीरां मोरे ललन -मीरां मोहन इतौ मोह चित धरिऐ -सूरदास मोहन के मुख जोग -सूरदास मोहन जा दिन बनहिं न जात -सूरदास मोहन नैकु बदन तन हेरौ -सूरदासय यह अक्रूर क्रूर भयौ हम कौं -सूरदास यह कुमया जौ तबहीं करते -सूरदास यह जिय हौंसै पै जु रही -सूरदास यह दुख कौन -सूरदास यह प्रीतम सौ प्रीति निरंतर -सूरदास यह मति नंद तोहि क्यौ छाजी -सूरदास यह सरीर नाहिन मेरौ -सूरदास यह ससि सीतल -सूरदास या बिनु होत कहा -सूरदास ये दिन रूसिबे के नाहीं -सूरदासर रही जहाँ सो तहाँ सब ठाढ़ी -सूरदास रहु रहु रे बिहँग -सूरदास राधे देवो बांसरी मोरी -मीरां राम कृष्न कहि मुरछि परी धर -सूरदास राम-नाम-रस पीजै -मीरां री मोहि भवन भयानक लागै माई -सूरदासल लिखि नहिं पठवत हैं -सूरदास लै आवहु गोकुल गोपालहि -सूरदास लैन कोउ आयौ -सूरदास लोग सब कहत सयानी बातैं -सूरदास लोचन चातक ज्यौं हैं चाहत -सूरदास लोचन लालच तैं न टरैं -सूरदासव वह देखौ रथ जात -सूरदास वह नातौ नहिं मानत मोहन -सूरदास वा मधुबन की राह -सूरदास विरह पदावली वे नहिं आए प्रान पियारे -सूरदासस सँदेसनि मधुबन कूप -सूरदास सकुचन कहि न सकति काहू सौं -सूरदास सखि कर धनु लै -सूरदास सखि कोउ नई बात -सूरदास सखि री बिरह यह -सूरदास सखी इन नैननि तैं घन हारे -सूरदास सखी री चातक मोहि -सूरदास सखी री पावस -सूरदास सखी री बूँद अचानक -सूरदास सदा रहति पावस रितु हम पै -सूरदास सपनें हरि आए -सूरदास सपनेहू में देखिऐ -सूरदास सब मुरझानीं री -सूरदास सबै रितु औरै -सूरदास सबै सुख लै जु गए -सूरदास सरद समैं हूँ स्याम -सूरदास सराहौं तेरौं नंद हियौ -सूरदास सहियत कठिन सूल निसि बासर -सूरदास स आगे. सारँग स्यामहि सुरति -सूरदास सावन माई स्याम बिना -सूरदास सिंधु मथत काहें बिधु काढ़ौ -सूरदास सिखिनि सिखर चढ़ि -सूरदास सींचत नैन नीर के सजनी -सूरदास सुंदर बदन सुख-सदन स्याम कौ -सूरदास सुंदर स्याम पाहुनै कै मिस -सूरदास सुनि री सखी -सूरदास सुनि री सखी समुझि -सूरदास सुनियत कहुँ द्वारिका -सूरदास सुनौ सखी -सूरदास सुन्यौ ब्रज-लोग कहत यह बात -सूरदास सुपने हूँ के सुख न सहि सकी -सूरदास सुमरत प्रीति लाज लागति है -सूरदास सुरति करि ह्याँ की -सूरदास सूल होत नवनीत देखि मेरे -सूरदास सेवा करत करी उन्ह ऐसी -सूरदास स्याम गऐ सखि प्रान रहैंगे -सूरदास स्याम बिना उनए ये -सूरदास स्याम बिनु भई सरद -सूरदास स्याम बिनोदी रे -सूरदासह हम कौं जागत रैनि बिहानी -सूरदास हम कौं सपनेहू मैं सोच -सूरदास हम तैं कमल नैन -सूरदास हम तौ इतनें ही -सूरदास हम तौ भई जग्य के पसु ज्यौं -सूरदास हम सरषा ब्रजनाथ -सूरदास हमहि कहा सखि तन के -सूरदास हमारे हरि चलन -सूरदास हमारे हिरदैं कुलिसहु -सूरदास हर कौ तिलक हरि -सूरदास हरि आवहिं किहिं हेत -सूरदास हरि कहँ इते दिन -सूरदास हरि कौ मारग दिन -सूरदास हरि जु हम सौं करी -सूरदास हरि तुम कायकू प्रीत लगाई -मीरां हरि तुम हरो जन की भीर -मीरां हरि दरसन कौं तरसति अँखियाँ -सूरदास हरि न मिले माइ -सूरदास हरि परदेस बहुत -सूरदास हरि बिन कौन -सूरदास हरि बिन बैरिन नींद बढ़ी -सूरदास हरि बिनु मुरली -सूरदास हरि से पीतम क्यों बिसराहिं -सूरदास हरि हम तब काहे कौं राखी -सूरदास हरिनाम बिना नर ऐसा है -मीरां हौ तौ तिहारे सुत की -सूरदास हौं कछु बोलति -सूरदास हौं कैसें के दरसन -सूरदास हौं जानौं माधौ -सूरदास हौं तौ माई -सूरदास हौं तौ मोहन के बिरह जरी रे -सूरदास हौं तौं दिन कजरा मैं दैंहौं -सूरदास ह्याँ हैं स्याम हमारे प्रीतम -सूरदास (पिछले 200) (अगले 200)