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- पुरुमीढ़
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- पुरुवंश का वर्णन
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- पुलस्त्य का भीष्म से तीर्थयात्रा माहात्म्य वर्णन
- पुलस्त्य द्वारा विभिन्न तीर्थों का वर्णन
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- पुष्पदंष्ट्र नाग
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- पुष्पानन
- पुष्पोत्कटा
- पुष्या (चन्द्र पत्नी)
- पूंछरी का लौठा गोवर्धन
- पूछौ जाइ तात सौं बात -सूरदास
- पूजन
- पूजनी
- पूजनीया साध्वी पुनर्वसु
- पूजा
- पूजा सुनत बहुत सुख कीन्हौ -सूरदास
- पूजा सुनत बहुत सुख वीन्हौ -सूरदास
- पूतना
- पूतना-वध
- पूतना (बहुविकल्पी)
- पूतना (मातृका)
- पूतना उद्धार स्थल, महावन
- पूतना उद्धार स्थल महावन
- पूतना वध
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- पूतिकुण्ड
- पूयकुंड
- पूयकुण्ड
- पूरण
- पूरण (ऋषि)
- पूरण (बहुविकल्पी)
- पूरनता इन नैननि पूरे -सूरदास
- पूरी हो सर्वत्र सर्वथा, स्वामी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पूरु
- पूर्ण-बोध
- पूर्ण त्यागमय सर्वसमर्पण का -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पूर्ण समर्पण हो सदा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पूर्णचन्द्रविमानना
- पूर्णदेव
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- पूर्णभद्र नाग
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- पूर्णिमा (कृष्ण पुत्री)
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- पूर्वजन्म की स्मृति का रहस्य
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- पृषध्र (बहुविकल्पी)
- पेशवाच
- पेशी
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- पैठिक
- पैदल सैनिक
- पैल
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- पैलगर्गाश्रम
- पैशाच
- पोडरिक
- पोत
- पोतक
- पोतरा कुंड, मथुरा
- पोतरा कुंड मथुरा
- पोतरा कुण्ड, मथुरा
- पोतरा कुण्ड मथुरा
- पौंड्र
- पौंड्रक का उद्धार
- पौढ़िऐ मैं रचि सेज बिछाई -सूरदास
- पौढ़े लाल राधिका उर लाइ -सूरदास
- पौढ़े स्याम जननि गुन गावत -सूरदास
- पौण्ड्र
- पौण्ड्रक
- पौण्ड्रक (बहुविकल्पी)
- पौण्ड्रक का उद्धार
- पौण्ड्रक जाति
- पौण्ड्रमानप्रहारी
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- पौरव (कौरव पक्षीय योद्धा)
- पौरव (कौरवपक्षीय योद्धा)
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- पौलोम तीर्थ
- पौष
- पौष्टि
- पौष्य
- प्यारी, प्रीतम आरति करतु -सूरदास
- प्यारी-पग काँटौ चुभ्यौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्यारी अंग सिंगार कियौ -सूरदास
- प्यारी अंस परायौ दै री -सूरदास
- प्यारी उठि पिय कैं उर लागी -सूरदास
- प्यारी कर बाँसुरी लई -सूरदास
- प्यारी चितै रही मुख पिय कौ -सूरदास
- प्यारी देखि बिह्रल गात -सूरदास
- प्यारी देखि बिह्वल गात -सूरदास
- प्यारी नंदनंदन वृषभानुकुँवरि -सूरदास
- प्यारी भुअंग डस्यौ कारै -सूरदास
- प्यारी साँच कहति की हाँसी -सूरदास
- प्यारी सुनत सखी मुख बानी -सूरदास
- प्यारी स्याम लई उर लाइ -सूरदास
- प्यारे! हँसो रहो ही हँसते -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्यारे कन्हैया ! ('तेरा ही')
- प्यारे कन्हैया ! -'तेरा ही'
- प्यारे कान्ह सखा की मीठी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्यारे नंदलाल हो -सूरदास
- प्रकट हुईं वृषभानु-राजगृह राधा -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्रकट हुए थे धराधाम में -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्रकम्पन
- प्रकालन
- प्रकाश
- प्रकाश (तम पुत्र)
- प्रकृति
- प्रकृति-संसर्ग के कारण जीव का बारंबार जन्म ग्रहण करना
- प्रकृति और पुरुष का वर्णन
- प्रकृति के संसर्ग दोष से जीव का पतन
- प्रकृति जो जाकै अंग परी -सूरदास
- प्रकृति पुरुष का विवेक और उसका फल
- प्रगट करौ यह बात कन्हाई -सूरदास
- प्रगट करौं अब तुमहि बताउं -सूरदास
- प्रगट करौं अब तुमहिं बताऊँ -सूरदास
- प्रगट तुम गुपत तुम तुमहिं सरबातमा -सूरदास
- प्रगट दरस दै गए कन्हाई -सूरदास
- प्रगट भए नँदनंदन आइ -सूरदास
- प्रगट भए नंदनंदन आइ -सूरदास
- प्रगट भए ब्रज त्रिभुवन राइ -सूरदास
- प्रगट भए व्रज त्रिभुवन राइ -सूरदास
- प्रगटी प्रीति न रही छपाई -सूरदास
- प्रगटीं अनूप भूप -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्रगटीं राधा रावल में -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्रगटे अभिराम स्याम रसिक -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- प्रघस
- प्रघसा
- प्रघोष
- प्रचण्ड
- प्रचण्ड राघवेन्द्र
- प्रचण्डांशुचण्डप्रभामण्डितांग
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- प्रचेता (बहुविकल्पी)
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- प्रच्छाण्डक
- प्रजा से कर लेने तथा कोश संग्रह करने का प्रकार
- प्रजागरा
- प्रजाजनों की शोकातुरता के विषय में धृतराष्ट्र-विदुर का संवाद
- प्रजाजनों से धृतराष्ट्र द्वारा क्षमा प्रार्थना करना
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