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- पद्मावती (मातृका)
- पद्मिनि सारँग एक मझारि -सूरदास
- पनघट पर हरि करत अचगरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पनघट रोके रहत कन्हाई -सूरदास
- पनस
- पन्नग अस्त्र
- पपइया रे, पिव की वाणि न बोल -मीरां
- पपइया रे पिव की बाणि न बोल -मीराँबाई
- पपीया रे पीव की बानी न बोलि -मीराँबाई
- पपीया रे पीवकी बानी न बोलि -मीराँबाई
- पपीहा माई बोलि -सूरदास
- पम्पा
- पयस्य
- पयहारी कृष्णदास
- पयोदा
- पयोष्णी
- पयोष्णी, नर्मदा तथा वैदूर्य पर्वत का माहात्म्य
- पर (कृष्ण)
- पर (बहुविकल्पी)
- पर (विश्वामित्र पुत्र)
- पर जिनमें अपनी रुचि कुछ भी नहीं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पर पूरुष
- परंतप
- परकायप्रवेश सिद्धि
- परत मन छिन नैकहु नहिं चैन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परतंगण
- परद्रुमा
- परन्तप
- परपुरंजय
- परबत पहिलेहि खोदि बहाऊं -सूरदास
- परबत पहिलेहिं खोदि बहाऊँ -सूरदास
- परब्रह्म की प्राप्ति का उपाय
- परम कृपाल श्री वल्लभ नंदन -कृष्णदास
- परम गुरु राम मिलावनहार -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम गोप्य अतिसय अमल -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम चतुर वृषभानु दुलारी -सूरदास
- परम पद
- परम प्रेम-आनंदमय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम प्रेममयी श्रीराधा-गोपीजन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम बियोगिनी सब ठाढ़ी -सूरदास
- परम सत्य जो नित्य हैं -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- परम सनेही राम की निति ओलूंरी आवै -मीराँबाई
- परमकाम्बोज
- परमक्रोधी
- परमधन राधे नाम अधार
- परमपद
- परमात्मतत्त्व का निरूपण
- परमात्मा
- परमात्मा (महाभारत)
- परमात्मा (महाभारत संदर्भ)
- परमात्मा (महाभारत संदर्भ))
- परमात्मा की प्राप्ति का साधन
- परमात्मा की श्रेष्ठता व दर्शन का उपाय
- परमात्मा प्राप्ति के अन्य साधनों का वर्णन
- परमानंद दास
- परमानंददास
- परमानंददास के पद
- परमानन्द दास
- परमानन्ददास
- परमेश्वरी
- परमेष्ठी
- परमेष्ठी दर्जी
- परलोक से आये व्यक्तियों का रागद्वेषरहित होकर मिलना
- परशु अस्त्र
- परशुराम
- परशुराम अवतार की संक्षिप्त कथा
- परशुराम और भीष्म का घोर युद्ध
- परशुराम और भीष्म का युद्ध हेतु कुरुक्षेत्र में उतरना
- परशुराम और भीष्म का रोषपूर्ण वार्तालाप
- परशुराम का अपनी माता का मस्तक काटना
- परशुराम का चरित्र
- परशुराम का तपस्या के द्वारा सिद्धि प्राप्त करना
- परशुराम का पृथ्वी को नि:क्षत्रिय करना
- परशुराम कुण्ड
- परशुराम के उपाख्यान क्षत्रियों का विनाश तथा पुन: उत्पन्न होने की कथा
- परशुराम के द्वारा क्षत्रिय कुल का संहार
- परशुराम के साथ भीष्म द्वारा युद्ध प्रारम्भ करना
- परशुराम को तीर्थस्नान द्वारा तेज की प्राप्ति
- परशुराम जयन्ती
- परशुराम द्वारा कर्ण को दिव्यास्त्र प्राप्ति का वर्णन
- परशुराम द्वारा नर-नारायणरूप कृष्ण-अर्जुन का महत्त्व वर्णन
- परशुराम द्वारा होने वाले क्षत्रिय संहार के विषय में युधिष्ठिर का प्रश्न
- परशुरामकुंड
- परशुरामकुण्ड
- परशुरामदेव
- परशुवन
- परश्वध
- परसत चरन चलत सब घर कौं -सूरदास
- परसपर स्याम ब्रज-बाम सोहै -सूरदास
- परसपर स्याम ब्रज बाम सोहै -सूरदास
- परसपर स्याम ब्रज बाम सोहैं -सूरदास
- परसुराम जदमग्नि-गेह लीनौ अवतारा -सूरदास
- परसुराम तेहिं औसर आए -सूरदास
- परसों गाँव
- परहा
- परा-दृष्टि
- पराक्रम (महाभारत संदर्भ)
- पराजय (महाभारत संदर्भ)
- पराजित
- परात्पर श्रीकृष्णावतार का प्रयोजनविमर्श -धराचार्य शास्त्री
- परात्परतरा
- परात्मा
- परानन्दद
- परान्त
- पराभद्रा
- परायण
- परार्द्धम
- परावसु
- पराशर
- पराशर (बहुविकल्पी)
- पराशर (साँप)
- पराशर ऋषि
- पराशर मुनि का राजा जनक को कल्याण की प्राप्ति के साधन का उपदेश
- परिक्रमा
- परिक्षित
- परिघ
- परिघ अस्त्र
- परिपूर्णतम
- परिबर्ह
- परियात्र
- परिव्याध
- परिव्राज्य या संन्यास संस्कार
- परिश्रम (महाभारत संदर्भ)
- परिश्रुत
- परिश्रुत (बहुविकल्पी)
- परिश्रुत मधु
- परिष्वंग
- परी तब तैं ठगमूरि ठगौरी -सूरदास
- परी पुकार द्वार गृह गृह तै -सूरदास
- परी मेरै नैननि ऐसी बानि -सूरदास
- परी मेरैं नैननि ऐसी बानि -सूरदास
- परीक्षा (महाभारत संदर्भ)
- परीक्षित
- परीक्षित (अनश्वान के पुत्र)
- परीक्षित (अविक्षित के पुत्र)
- परीक्षित (इक्ष्वाकु वंश)
- परीक्षित (बहुविकल्पी)
- परीक्षित का उपाख्यान
- परीक्षित के धर्ममय आचार
- परीक्षित को जिलाने के लिए सुभद्रा की श्रीकृष्ण से प्रार्थना
- परीक्षित जन्म
- परीक्षित द्वारा शमीक मुनि का तिरस्कार
- परेखौ कौन बोल कौ कीजै -सूरदास
- परेश
- पर्जन्य
- पर्जन्य (गोप)
- पर्जन्य (बहुविकल्पी)
- पर्जन्य अस्त्र
- पर्जन्य गोप
- पर्जन्यास्त्र
- पर्णशाला
- पर्णाद
- पर्णाद (ऋषि)
- पर्णाद (बहुविकल्पी)
- पर्णाशा
- पर्णाशा नदी
- पर्वण
- पर्वत
- पर्वत (गन्धर्व)
- पर्वत (देवर्षि)
- पर्वत (बहुविकल्पी)
- पर्वतास्त्र
- पर्वर्ण
- पल भर नहीं छोड़ते बनता -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पलक-ओट नहिं होत कन्हाई -सूरदास
- पलना झूलौ मेरे लाल पियारे -सूरदास
- पलना स्याम झुलावति जननी -सूरदास
- पलसों गाँव
- पलाला
- पलाश
- पलाश तीर्थ
- पल्लवाङ्घ्रि
- पवन
- पवन-पुत्र बोल्यौ सतिभाइ -सूरदास
- पवित्र (कार्तिकेय)
- पवित्र व्रज-लीला -एक विचारशील सज्जन
- पवित्रपाणि
- पवित्रा
- पवित्रा नदी
- पशुदा
- पशुपतिनाथ
- पशुसख
- पश्चिम अनूप
- पहले भीम की और पीछे कर्ण की विजय
- पहिलै प्रनाम नंदराइ सौ -सूरदास
- पहिलै प्रीति करि कहा पोच लागे करन -सूरदास
- पहिलै हौं ही हो तब एक -सूरदास
- पाँच प्रकार के दानों का वर्णन
- पाँच बरस के लाल ह्वै -सूरदास
- पाँचों पाण्डवों का द्रौपदी के साथ विवाह
- पाँचों पाण्डवों का द्रौपदी के साथ विवाह का विचार
- पाँडव
- पाँड़े नहिं भोग लगावन पावै -सूरदास
- पाँडे़ नहिं भोग लगावन पावै -सूरदास
- पांचजन्य
- पांचजन्य (बहुविकल्पी)
- पांचजन्य (शंख)
- पांचजन्य अग्नि की उत्पत्ति
- पांचजन्य अग्नि की संतति का वर्णन
- पांचजन्य शंख
- पांचाल
- पांचाली
- पांचालों के वध का वृतांत सुनकर दुर्योधन का प्राण त्यागना
- पांचाल्य
- पांडय
- पांडय (बहुविकल्पी)
- पांडय (राजा)
- पांडर
- पांडव
- पांडव-कौरव सेनाओं का परस्पर घोर युद्ध
- पांडव जन्म
- पांडव पक्ष के महारथियों का वर्णन तथा विराट और द्रुपद की प्रशंसा
- पांडव पक्ष के रथी, महारथी एवं अतिरथी आदि का वर्णन
- पांडव वनगमन
- पांडव वीरों का द्रोणाचार्य पर आक्रमण
- पांडव वीरों का पराक्रम और कौरव सेना में भगदड़
- पांडव वीरों के भय से कौरव सेना का पलायन
- पांडव शिविर में उलूक द्वारा दुर्योधन का संदेश सुनाना
- पांडव सेना
- पांडव सेना का कुरुक्षेत्र में प्रवेश
- पांडव सेना का युद्ध के लिए प्रस्थान
- पांडव सेना के महारथियों के रथ, घोड़े, ध्वज तथा धनुषों का वर्णन
- पांडव सेना द्वारा अर्धचन्द्राकार व्यूह की रचना
- पांडव सेना पर भयानक गजसेना का आक्रमण
- पांडव सैनिकों और कौरव सैनिकों का द्वन्द्वयुद्ध
- पांडव सैनिकों की अर्जुन के लिए शुभाशंसा
- पांडव सैनिकों द्वारा पांडवों की प्रशंसा और धृतराष्ट्र की निन्दा
- पांडव सैनिकों द्वारा भीम की स्तुति
- पांडवपक्ष के सेनापति का चुनाव
- पांडवों और पांचालों का कर्ण पर आक्रमण तथा कर्ण का पराक्रम
- पांडवों का आर्ष्टिषेण के आश्रम पर निवास
- पांडवों का काम्यकवन में गमन
- पांडवों का काम्यकवन में प्रवेश
- पांडवों का कृष्ण को हस्तिनापुर भेजना
- पांडवों का कौरव शिबिर में पहुँचना
- पांडवों का गंधमादन से प्रस्थान
- पांडवों का गंधर्वों के साथ युद्ध
- पांडवों का तीर्थयात्रा के लिए प्रस्थान
- पांडवों का द्रोणाचार्य पर आक्रमण
- पांडवों का द्वैतवन में प्रवेश
- पांडवों का धृतराष्ट्र और गांधारी के अनुकूल बर्ताव
- पांडवों का धृतराष्ट्र से मिलना
- पांडवों का नरनारायणाश्रम से वृषपर्वा के जाना
- पांडवों का पुन: नरनारायणाश्रम में लौटना
- पांडवों का प्रमाणकोटि तीर्थ निवास
- पांडवों का बदरिकाश्रम में निवास
- पांडवों का मणि देकर द्रौपदी को शांत करना
- पांडवों का राजर्षि आर्ष्टिषेण के आश्रम पर जाना
- पांडवों का वन प्रस्थान
- पांडवों का श्मशान में शमी वृक्ष पर अपने अस्त्र-शस्त्र रखना
- पांडवों का समाचार सुनकर धृतराष्ट्र का खेद तथा चिंतापूर्ण उद्गार
- पांडवों का सरस्वती-तटवर्ती द्वैतवन में प्रवेश
- पांडवों का सेना सहित कुरुक्षेत्र पहुँचना
- पांडवों का स्त्रियों सहित निराश लौटना
- पांडवों का स्वर्गारोहण
- पांडवों का हिमालय पर पड़ाव और उपवासपूर्वक रात्रि निवास
- पांडवों की अर्जुन के लिए उत्कंठा
- पांडवों की उत्तराखण्ड यात्रा
- पांडवों की ओर से दुर्योधन को उसके संदेश का उत्तर
- पांडवों की द्वैतवन में प्रवेश की उद्यता
- पांडवों के अनुरोध पर भी कुंती का वन जाने का निश्चय
- पांडवों के पास कृष्ण, मार्कण्डेय तथा नारद का आगमन
- पांडवों के साथ दुर्योधन का संग्राम
- पांडवों के हज़ारों योद्धाओं का वध
- पांडवों को शाप देने के लिए उद्यत हुई गांधारी को व्यास द्वारा समझाना
- पांडवों तथा पुरवासियों का धृतराष्ट्र आदि के दर्शन करना
- पांडवों द्वारा कौरव सेना में भगदड़
- पांडवों द्वारा गंगा की वन्दना
- पांडवों द्वारा गंधर्वों की पराजय
- पांडवों द्वारा जयद्रथ का पीछा करना
- पांडवों द्वारा जयद्रथ की सेना का संहार
- पांडवों द्वारा बंगराज तथा अंगराज का वध
- पांडवों द्वारा मकरव्यूह तथा कौरवों द्वारा क्रौंचव्यूह का निर्माण
- पांडवों द्वारा राजा गय के यज्ञों की महिमा का श्रवण
- पांडवों द्वारा विराट को सुशर्मा से छुड़ाना
- पांडवों द्वारा वृष्णिवंशियों का श्राद्ध करना
- पांडवों सहित विराट की सेना का युद्ध हेतु प्रस्थान
- पांडु
- पांडुराष्ट्र
- पांशुभोज
- पांशुराष्ट्र
- पाई जाति तुम्हारे नुप की -सूरदास
- पाई जाति तुम्हारे नृप की -सूरदास
- पाई पाई है रे भैया -सूरदास
- पाक
- पाकर आज अगाध अखण्ड -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- पाक्ष
- पाछै ललिता आगै स्यामा -सूरदास
- पाछै ही चितवत मेरे लोचन -सूरदास
- पाछैं ललिता आगैं स्यामा -सूरदास
- पाछैं ही चितवत मेरे लोचन -सूरदास
- पाञ्चजन्य
- पाञ्चजन्य शंख
- पाटल
- पाटला
- पाटलावती
- पाटलावती नदी
- पाणिकर्ण
- पाणिकूर्च
- पाणिनि
- पाणिनि (ऋषि)
- पाणिनी
- पाणिनी (ऋषि)
- पाणिनी (कृष्ण)
- पाणिनी (बहुविकल्पी)
- पाणिमान
- पाणीतक
- पाण्डर
- पाण्डव
- पाण्डव-द्रौपदी विवाह
- पाण्डव जन्म
- पाण्डव द्रौपदी विवाह
- पाण्डव पक्ष
- पाण्डव बन्धु श्रीकृष्ण -बी. सेठुराव
- पाण्डव सेना
- पाण्डवप्रीतिद
- पाण्डवप्रेमकारी
- पाण्डवप्रेषिताक्रूर
- पाण्डवार्थी
- पाण्डवों और कुन्ती का द्रुपद द्वारा सम्मान
- पाण्डवों और धृतराष्ट्र पुत्रों की बालक्रीडाएँ
- पाण्डवों का एक ब्राह्मण से विचित्र कथाएँ सुनना
- पाण्डवों का द्रौपदी के विषय में नियम-निर्धारण
- पाण्डवों का धौम्य को पुरोहित बनाना
- पाण्डवों का सदलबल हस्तिनापुर में आना
- पाण्डवों का हस्तिनापुर आना
- पाण्डवों का हिमालय गमन
- पाण्डवों की दिग्विजय के लिए यात्रा
- पाण्डवों की पांचाल-यात्रा में ब्राह्मणों से बातचीत
- पाण्डवों की पांचाल यात्रा
- पाण्डवों की वारणावत यात्रा तथा उनको विदुर का गुप्त उपदेश
- पाण्डवों के प्रति पुरवासियों का अनुराग देखकर दुर्योधन को चिन्ता
- पाण्डवों के यहाँ नारदजी का आगमन
- पाण्डवों के विवाह से दुर्योधन को चिन्ता
- पाण्डवों के शौर्य, कीर्ति और बल के विस्तार से धृतराष्ट्र को चिन्ता
- पाण्डवों को पराक्रम से दबाने के लिए कर्ण की सम्मति
- पाण्डवों को व्यासजी के दर्शन
- पाण्डवों पर विजय प्राप्त करने के लिए दुर्योधन-शकुनि की बातचीत
- पाण्डवों व ऋषियों का भीष्म से विदा लेना
- पाण्डु
- पाण्डु (जनमेजय पुत्र)
- पाण्डु (बहुविकल्पी)
- पाण्डु और माद्री की अस्थियों का दाह-संस्कार
- पाण्डु का अनुताप, संन्यास लेने का निश्चय
- पाण्डु का कुन्ती को पुत्र-प्राप्ति का आदेश