"महाभारत आश्वमेधिक पर्व कथाएँ" श्रेणी में पृष्ठ is shreni mean nimnalikhit 189 prishth haian, kul prishth 189 अ अग्नि के स्वरूप में अग्निहोत्र की विधि अग्निदेव का संवर्त के भय से लौटना और इन्द्र से ब्रह्मबल की श्रेष्ठता बताना अग्निहोत्र के माहात्म्य का वर्णन अतिथि सत्कार का माहात्मय अध्यात्म विषयक महान वन का वर्णन अध्यात्म, अधिभूत और अधिदैवत का वर्णन अनुगीता का उपसंहार अनेक प्रकार के दानों की महिमा अन्तर्यामी की प्रधानता अन्नदान की प्रशंसा अर्जुन और बभ्रुवाहन का युद्ध एवं अर्जुन की मृत्यु अर्जुन का पुत्र और पत्नी से विदा लेकर पुन: अश्व के पीछे जाना अर्जुन का प्राग्ज्यौतिषपुर के राजा वज्रदत्त के साथ युद्ध अर्जुन का श्रीकृष्ण से गीता का विषय पूछना अर्जुन का सैन्धवों के साथ युद्ध अर्जुन का हस्तिनापुर आगमन अर्जुन की मृत्यु पर बभ्रुवाहन का शोकोद्गार अर्जुन की मृत्यु से चित्रांगदा का विलाप अर्जुन के द्वारा त्रिगर्तों की पराजय अर्जुन के द्वारा वज्रदत्त की पराजय अर्जुन के विषय में श्रीकृष्ण और युधिष्ठिर की बातचीत अर्जुन द्वारा मगधराज मेघसन्धि की पराजय अर्जुन द्वारा शकुनिपुत्र की पराजय अलर्क के ध्यानयोग का उदाहरण देकर पितामहों का परशुराम को समझाना अश्व का द्वारका, पंचनद तथा गांधार देश में प्रवेश अश्वमेध यज्ञ का आरम्भ अहंकार की उत्पत्ति और उसके स्वरूप का वर्णन अहंकार से पंच महाभूतों और इन्द्रियों की सृष्टिआ आचार-धर्म, कर्म-फल की अनिवार्यता का वर्णन आत्मा और परमात्मा के स्वरूप का विवेचन आत्मा का स्वरूप और उसके ज्ञान की महिमा आपद्धर्म, श्रेष्ठ और निन्द्य ब्राह्मणइ इन्द्र का गन्धर्वराज को भेजकर मरुत्त को भय दिखाना इन्द्र की आज्ञा से अग्निदेव का मरुत्त के पास संदेश लेकर जानाउ उत्तंक का कुण्डल लेकर पुन: सौदास के पास लौटना उत्तंक का कुण्डल हेतु रानी मदयन्ती के पास जाना उत्तंक का गुरुपुत्री के साथ विवाह उत्तंक का दिव्यकुण्डल लाने के लिए सौदास के पास जाना उत्तंक का सौदास से उनकी रानी के कुण्डल माँगना उत्तंक की गुरुभक्ति का वर्णन उत्तंक को पुन: कुण्डलों की प्राप्ति उत्तम और अधम ब्राह्मणों के लक्षण उत्तम प्रायश्चित उत्तम ब्राह्मण की महिमा उत्तरा की श्रीकृष्ण से पुत्र को जीवित करने की प्रार्थना उत्तरा के मृत बालक को जिलाने के लिए कुन्ती की श्रीकृष्ण से प्रार्थना उलूपी और चित्रांगदा सहित बभ्रुवाहन का स्वागत उलूपी का संजीवनी मणि द्वारा अर्जुन को पुन: जीवित करना उलूपी द्वारा अर्जुन की पराजय का रहस्य बतानाक कपिला गौ का माहात्म्य कपिला गौ के दस भेद कपिला गौ तथा उसके दान का माहात्म्य कपिला गौ में देवताओं के निवासस्थान का वर्णन कौरवों के विनाश से उत्तंक मुनि का कुपित होना क्षेत्रज की विलक्षणताग गायत्री मन्त्र जप की महिमा का वर्णन गुरु-शिष्य के संवाद में मोक्ष प्राप्ति के उपाय का वर्णन गुरु-शिष्य संवाद में ब्रह्मा और महर्षियों के प्रश्नोत्तर गौओं को घास डालने का विधानच चराचर प्राणियों के अधिपतियों का वर्णन चातुर्होम यज्ञ का वर्णन चान्द्रायण व्रत की विधि चारों वर्णों के कर्म और उनके फलों का वर्णन ज जल दान और अन्न दान का माहात्म्य जिनका अन्न वर्जनीय है, उन पापियों का वर्णन जीव के गर्भ-प्रवेश का वर्णन ज्ञानी पुरुष की स्थिति तथा अध्वर्यु और यति का संवादत तक्षक द्वारा कुण्डलों का अपहरण तपस्या का प्रभाव तिल का माहात्म्य तिल दान की महिमा तीर्थभूत गुणों की प्रशंसाद दस होताओं से सम्पन्न होने वाले यज्ञ का वर्णन दान का योग्य पात्र दान के फल और धर्म की प्रशंसा का वर्णन दानपात्र ब्राह्मण का वर्णन दु:शला के अनुरोध से अर्जुन और सैन्धवों के युद्ध की समाप्ति देहरूपी कालचक्र का तथा गृहस्थ और ब्राह्मण के धर्म का कथन द्वादशी व्रत का माहात्म्यध धर्म आदि के लक्षणों का और विषयों की अनुभूति के साधनों का वर्णन धर्म और शौच के लक्षण धर्म का निर्णय जानने के लिए ऋषियों का प्रश्न धर्म की वृद्धि और पाप के क्षय होने का उपायन नरक में ले जाने वाले पापों का वर्णन नारद और देवमत का संवाद एवं उदान के उत्कृष्ट रूप का वर्णन नारद की आज्ञा से मरुत्त की संवर्त से भेंट निवृत्तिमार्ग का उपदेश नेवले का सेरभर सत्तूदान को अश्वमेध यज्ञ से बढ़कर बतानाप पंचभूतों के गुणों का विस्तार और परमात्मा की श्रेष्ठता का वर्णन पंचमहायज्ञ का वर्णन परशुराम का तपस्या के द्वारा सिद्धि प्राप्त करना परशुराम के द्वारा क्षत्रिय कुल का संहार परीक्षित को जिलाने के लिए सुभद्रा की श्रीकृष्ण से प्रार्थना पांडवों का हिमालय पर पड़ाव और उपवासपूर्वक रात्रि निवास पीपल का महत्त्व प्राण, अपान आदि का संवाद और ब्रह्मा का सबकी श्रेष्ठता बताना प्रायश्चितरूप में चान्द्रायण व्रत का विधानब बीज और योनि की शुद्धि का वर्णन बृहस्पति का इन्द्र से अपनी चिन्ता का कारण बताना बृहस्पति का मनुष्य को यज्ञ न कराने की प्रतिज्ञा करना ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासी के धर्म का वर्णन ब्रह्महत्या के समान पाप का वर्णन ब्रह्मा के द्वारा तमोगुण, उसके कार्य और फल का वर्णन ब्रह्मा द्वारा बुद्धिमान की प्रशंसा ब्रह्मा द्वारा सत्त्व और पुरुष की भिन्नता का वर्णन ब्राह्मण का पत्नी के प्रति अपने ज्ञाननिष्ठ स्वरूप का परिचय देना ब्राह्मण की महिमा ब्राह्मणगीता, एक ब्राह्मण का पत्नी से ज्ञानयज्ञ का उपदेश करना ब्राह्मणरूपधारी धर्म और जनक का ममत्वत्याग विषयक संवाद ब्राह्मणों की महिमा और उनके तिरस्कार के भयानक फल का वर्णनभ भक्त, गौ और पीपल की महिमा भगवान के प्रिय पुष्पों का वर्णन भगवान के भगवद्भक्तों का वर्णन भूमि दान की महिमा भोजन की विधिम मन और वाणी की श्रेष्ठता का प्रतिपादन मन-बुद्धि और इन्द्रियरूप सप्त होताओं का वर्णन मरुत्त की सम्पत्ति से बृहस्पति का चिन्तित होना मरुत्त के आग्रह पर संवर्त का यज्ञ कराने की स्वीकृति देना महत्तत्त्व के नाम और परमात्मतत्त्व को जानने की महिमा महर्षि अगस्त्य के यज्ञ की कथा मानव धर्म-सार का वर्णन मुक्ति के साधनों का, देहरूपी वृक्ष का तथा ज्ञान-खंग से उसे काटने का वर्णनय यज्ञ और श्राद्ध के अयोग्य ब्राह्मणों का वर्णन यज्ञ तथा मन-इन्द्रिय संवाद का वर्णन यमलोक के मार्ग का कष्ट य आगे. यमलोक के मार्ग-कष्ट से बचने के उपाय युधिष्ठिर का ब्राह्मणों और राजाओं को विदा करना युधिष्ठिर का भाइयों से परामर्श तथा धन लाने हेतु प्रस्थान युधिष्ठिर का शोकमग्न होकर गिरना और धृतराष्ट्र का उन्हें समझाना युधिष्ठिर का श्रीकृष्ण से वैष्णव धर्म विषयक प्रश्न युधिष्ठिर की आज्ञा से यज्ञभूमि की तैयारी युधिष्ठिर के द्वारा भगवान की स्तुति युधिष्ठिर के धर्मराज्य का वर्णन युधिष्ठिर के यज्ञ की सजावट और आयोजन युधिष्ठिर के यज्ञ में नेवले का आगमन युधिष्ठिर द्वारा ऋषियों की विदाई और हस्तिनापुर में प्रवेशर रजोगुण के कार्य का वर्णन और उसके जानने का फल राजा अम्बरीष की गायी हुई आध्यात्मिक स्वराज्यविषयक गाथाव वसुदेव आदि यादवों का अभिमन्यु के निमित्त श्राद्ध करना विधिवत स्नान और उसके अंगभूत कर्म का वर्णन विषुवयोग और ग्रहण आदि में दान की महिमा व्यर्थ जन्म, दान और जीवन का वर्णन व्यास का उत्तरा और अर्जुन को समझाकर युधिष्ठिर को अश्वमेध यज्ञ की आज्ञा देना व्यास का युधिष्ठिर से संवर्त और मरुत्त का प्रसंग कहना व्यास की आज्ञा से अश्व की रक्षा हेतु अर्जुन की नियुक्ति व्यास तथा श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को यज्ञ के लिए आज्ञा देना व्यास द्वारा भीम, नकुल तथा सहदेव की विभिन्न कार्यों हेतु नियुक्ति व्यास द्वारा मरुत्त के पूर्वजों का वर्णनश शिव आदि का पूजन करके युधिष्ठिर का धनराशि को ले जाना श्राद्ध का उत्तम काल श्रीकृष्ण और व्यास का युधिष्ठिर को समझाना श्रीकृष्ण का अर्जुन के साथ हस्तिनापुर जाना श्रीकृष्ण का अर्जुन से द्वारका जाने का प्रस्ताव श्रीकृष्ण का अर्जुन से सिद्ध, महर्षि तथा काश्यप का संवाद सुनाना श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि को कौरवों के विनाश का कारण बताना श्रीकृष्ण का उत्तंक मुनि को विश्वस्वरूप का दर्शन कराना श्रीकृष्ण का उत्तंक से अध्यात्मतत्त्व का वर्णन श्रीकृष्ण का उत्तरा के मृत बालक को जीवन दान देना श्रीकृष्ण का क्रोधित उत्तंक मुनि को शांत करना श्रीकृष्ण का द्वारका में रैवतक महोत्सव में सम्मिलित होकर सबसे मिलना श्रीकृष्ण का द्वारकागमन श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को इन्द्र द्वारा शरीरस्थ वृत्रासुर संहार का इतिहास सुनाना श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर को मन पर विजय पाने का आदेश श्रीकृष्ण का युधिष्ठिर से अर्जुन का संदेश कहना श्रीकृष्ण का वसुदेव को अभिमन्यु वध का वृत्तांत सुनाना श्रीकृष्ण का वसुदेव को महाभारत युद्ध का वृत्तान्त संक्षेप में सुनाना श्रीकृष्ण का सुभद्रा के साथ द्वारका को प्रस्थान श्रीकृष्ण के उपदेश का उपसंहार श्रीकृष्ण द्वारा उत्तंक मुनि को मरुदेश में जल प्राप्ति का वरदान श्रीकृष्ण द्वारा कामगीता का उल्लेख तथा युधिष्ठिर को यज्ञ हेतु प्रेरणा श्रीकृष्ण द्वारा धर्म का तथा अपनी महिमा का वर्णन श्रीकृष्ण द्वारा परीक्षित का नामकरण तथा पाण्डवों का हस्तिनापुर आगमन श्रीकृष्ण द्वारा पांडवों का स्वागत श्रीकृष्ण द्वारा ब्राह्मणगीता का उपसंहार श्रीकृष्ण द्वारा ममता के त्याग का महत्त्वस संन्यासी और अतिथि सत्कार के उपदेश संवर्त का मन्त्रबल से देवताओं को बुलाना और मरुत्त का यज्ञ पूर्ण करना संवर्त का मरुत्त को सुवर्ण की प्राप्ति के लिए महादेव की नाममयी स्तुति का उपदेश संसार से तरने के उपाय का वर्णन सत्त्व आदि गुणों का और प्रकृति के नामों का वर्णन सत्त्वगुण के कार्य का वर्णन और उसके जानने का फल सब पदार्थों के आदि-अन्त का और ज्ञान की नित्यता का वर्णन सर्वहितकारी धर्म का वर्णन सात्त्विक दानों का लक्षण सिद्ध महात्मा द्वारा जीव की विविध गतियों का वर्णन सेना सहित अर्जुन के द्वारा अश्व का अनुसरण स्वर्ग में ले जाने वाले पुण्यों का वर्णनह हिंसामिश्रित यज्ञ और धर्म की निन्दा